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CIBIL SCORE फिर सवालों के घेरे में, किसान से लेकर मिडिल क्लास परेशान, जानिये क्यों?

CIBIL Score Tips: आम आदमी को ये समझ नहीं आता कि उनका स्कोर कम क्यों हुआ या इसमें सुधार कैसे किया जा सकता है. लेकिन आम आदमी को लोन देने से पहले बैंक CIBIL स्कोर जरूर जांच करता है.

आदित्य के. राणा
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:48 AM IST

मिडिल क्लास की जिंदगी पर असर डालने वाला CIBIL स्कोर एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है. क्रेडिट स्कोर (Credit Score) जो आपकी योग्यता और लोन लेने की क्षमता को जांचता है, अब मिडिल क्लास और किसानों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. 

CIBIL स्कोर और इससे जुड़ी प्राइवेट कंपनियों की प्रक्रिया पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. आखिर ये स्कोर कैसे बनता है और क्या ये सिस्टम वाकई ट्रांसपेरेंट है? इन सवालों का सही जवाब भी तलाश पाना बेहद मुश्किल है.

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सिबिल स्कोर क्या है?

दरअसल, CIBIL और EXPERIAN जैसी निजी कंपनियां सभी लेन-देन का डेटा रखती हैं. लेकिन इनका ये स्कोर तय करने का प्रोसेस एकदम सीक्रेट है. आम आदमी को ये समझ नहीं आता कि उनका स्कोर कम क्यों हुआ या इसमें सुधार कैसे किया जा सकता है. लेकिन आम आदमी को लोन देने से पहले बैंक CIBIL स्कोर जरूर जांच करता है.

CIBIL और EXPERIAN जैसी प्राइवेट कंपनियां ये स्कोर तय करती हैं. इनके पास सभी का डेटा मौजूद है. लेकिन इसे समझाने में पारदर्शिता की कमी है और किसानों की सरकारी सब्सिडी का असर तक उनके स्कोर में नहीं नजर आता. जानकारों का भी मानना है कि CIBIL स्कोर तय करने के पूरे प्रोसेस में कई खामियां मौजूद हैं. 

इस स्कोर के घटने या बढ़ने का राज आजतक किसी को समझ नहीं आया, क्योंकि समय पर लोन चुकाने के बावजूद भी ये स्कोर कम हो सकता है. इसके तय किए गए स्कोर के खिलाफ कोई अपील या शिकायत का विकल्प भी नहीं है. और ये सिस्टम पूरी तरह से प्राइवेट कंपनियों के हाथ में है जिस पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है.

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सिबिल के आधार पर ही मिलता है लोन

इसके बावजूद लोन मिलना पूरी तरह से इसी स्कोर पर निर्भर है, जिसकी खराबी से लोन की प्रक्रिया में रुकावट होती है. ये समस्या सबसे ज्यादा मिडिल क्लास और किसानों पर असर डालती है. ऐसे में ये समझ पाना मुश्किल है कि CIBIL स्कोर के फायदे ज्यादा हैं या नुकसान? 

अगर फायदों की बात करें तो बैंक को इस स्कोर के आधार पर लोन देने में मदद मिलती है, जबकि नुकसान की बात करें तो पारदर्शिता की कमी और जनता को इसे समझाने में असफलता ही हासिल हुई है. 

बैंक इस स्कोर को इतना महत्व देते हैं कि मिडिल क्लास के लिए लोन लेना मुश्किल हो गया है. वहीं, किसानों की सरकारी सब्सिडी का डेटा इस स्कोर में नजर नहीं आता, जिससे उनके स्कोर पर असर पड़ता है. 

ऐसे में सरकार से मांग की जा रही है कि CIBIL प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए. डेटा जमा करने का तरीका सामने लाया जाए और अपील प्रक्रिया को आसान बनाया जाए. CIBIL स्कोर एक ऐसा सिस्टम है, जो मिडिल क्लास और किसानों की जिंदगी पर बड़ा असर डालता है. अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले समय में ये समस्या और गहरा सकती है.

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