
कई साइबर एक्सपर्ट्स लोगों को दुकानों, पेट्रोल पंप और ऑनलाइन पेमेंट के लिए डेबिट कार्ड की जगह क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. इसकी वजह यह है कि बैंक और क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनियां क्रेडिट कार्ड, नेटवर्क और सर्वर की सिक्योरिटी पर बहुत अधिक ध्यान देती हैं. इसकी दूसरी वजह यह है कि डेबिट कार्ड या बैंकिंग धोखाधड़ी में आपके रियल अकाउंट से रियल पैसे चले जाते हैं और काफी मुश्किल और समय लगने के बाद ही ये वापस मिल पाते हैं. दूसरी ओर, क्रेडिट कार्ड में यह जोखिम भी कम होता है क्योंकि अगर आप समय पर फ्रॉड की सूचना देते हैं तो बैंक या क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनी मामले की जांच करते हैं और मामला सही पाए जाने पर आपको कुछ भी भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी. इन सबके बावजूद कई बार लोग क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के शिकार भी हो जाते हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्रेडिट कार्ड फ्रॉड की जानकारी मिलने के तुरंत बाद क्रेडिट कार्ड होल्डर्स को क्या करना चाहिए. आइए इन प्रमुख उपायों पर गौर करते हैं जिससे आपको मदद मिल सकती हैः
वर्किंग डे में सूचना देने पर आपकी कोई देनदारी नहीं
अगर आपके साथ क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी हो गई है और तीन कार्यदिवस यानी वर्किंग डे में इसकी सूचना बैंक को दे देते हैं तो आपके ऊपर कोई देनदारी नहीं बनेगी. वहीं, आप 4-7 दिन के भीतर सूचना देते हैं तो आपको मैक्सिम लायबलिटी अमाउंट या फ्रॉड की राशि में से जो कम हो, उसका भुगतान करना होगा. अगर आपके क्रेडिट कार्ड का लिमिट 5 लाख रुपये से कम है तो आपकी अधिकतम देनदारी 10,000 रुपये बनती है. वहीं, कार्ड की लिमिट 5 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपकी देनदारी 25,000 रुपये बनेगी. फ्रॉड के 7 दिन बाद सूचना देने पर बैंक के बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी के हिसाब से आपकी देनदारी होगी.
आरबीआई से कर सकते हैं संपर्क
बैंक को एक निश्चित अवधि के भीतर मामले की जांच करनी होती है लेकिन बैंक की ओर से बहुत अधिक रुचि नहीं दिखाई जाती है तो आप आरबीआई से शिकायत कर सकते हैं. इसके लिए आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या मिस्ड कॉल नंबर 14440 का सहारा ले सकते हैं.
धोखाधड़ी से बचने के लिए ये टिप्स आजमाएं
क्रेडिट कार्ड से जुड़ी धोखाधड़ी कार्ड की क्लोनिंग या कार्ड की डेटा चोरी होने से होती है. ऐसे में आपको विश्वसनीय ऐप का ही इस्तेमाल करना चाहिए. हर जगह और खासकर कुछ भी संदिग्ध लगने पर कार्ड स्वैप करने से बचना चाहिए. किसी के साथ भी कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, सीवीवी, अपनी जन्म तिथि या ओटीपी शेयर ना करें. मल्टीपल फैक्टर सिक्योरिटी को एनेबल करें. बैंक के ऐप में जाकर हर ट्रांजैक्शन की लिमिट सेट करें.