
धनतेरस( Dhanteras 2021) और दिवाली (Diwali) के मौके पर ज्वेलरी खरीदने की पुरानी परंपरा रही है. इस मौके पर लोग पाई-पाई जोड़कर सोने की ज्वेलरी खरीदते हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि आप जो सोना-चांदी खरीद रहे हैं वो प्योर हो और उसमें मिलावट नहीं हो. इस खबर को पढ़कर आसानी से पहचान सकते हैं कि आप जो ज्वेलरी खरीद रहे हैं तो वो प्योर है या नहीं?
जहां तक सोने की शुद्धता (Gold Purity) की बात है तो धनतेरस हो या आम दिन, केवल और केवल हॉलमार्क वाली ज्वेलरी ही खरीदें. हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं. सभी कैरेट का हॉलमार्क अलग होता है. मसलन 22 कैरेट पर 916, 21 कैरेट पर 875 और 18 कैरेट पर 750 लिखा होता है. इससे शुद्धता में शक नहीं रहता.
क्या होती है हॉलमार्किंग(Hallmarking): हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना होता है. इसके तहत हर गोल्ड ज्वेलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अपने मार्क के द्वारा शुद्धता की गारंटी देता है. केंद्र ने साफ कर दिया है कि हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद देश में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट सोने की ज्वेलरी ही बिकेगी. इसके द्वारा इसका सही आंकड़ा मिल जाता है कि किसी ज्वेलरी में कीमती धातु (जैसे सोने) का कितना हिस्सा है और इसकी आधिकारिक मुहर होती है. एक तरह से यह कहा जा सकता है कि यह हॉलमार्किंग सरकार द्वारा दी गई सोने की शुद्धता की गारंटी होती है.
शुद्धता का भरोसा: BIS से सर्टिफाइड ज्वेलर अपने ज्वेलरी पर किसी भी निर्धारित हॉलमार्किंग सेंटर से हॉलमार्क हासिल कर सकते हैं. इसका आम उपभोक्ताओं को सबसे बड़ा फायदा कि है कि वे जो गोल्ड ज्वेलरी खरीदेंगे, उस पर यह भरोसा होगा कि जितने कैरेट की शुद्धता का बताया जा रहा है, उतने ही शुद्धता का वाकई मिल रहा है.
आप हॉलमार्क (Hallmark) ज्वेलरी की चार तरह से पहचान कर पाएंगे.
पहला (बीआईएस मार्क)- हर ज्वेलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो का ट्रेडमार्क यानी BSI का लोगो होगा.
दूसरा (कैरेट में प्योरिटी)- हर ज्वेलरी की कैरेट या फाइनेंस में प्योरिटी होगी. 916 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वेलरी 22 कैरेट के गोल्ड (91.6 फीसदी शुद्धता) की है. 750 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वेलरी 18 कैरेट (75 फीसदी शुद्ध) गोल्ड की है. इसी तरह 585 लिखा है तो इसका मतलब कि ज्वेलरी 14 कैरेट गोल्ड (58.5 फीसदी शुद्धता) की है.
तीसरा- हर ज्वेलरी पर एक विजिबल आइडेंफिकेशन मार्क होगा जो हालमार्क सेंटर का नंबर होगा.
चौथा- हर ज्वेलरी पर एक विजिबल आइडेंटिफिकेशन मार्क होगा ज्वेलर कोड के रूप में, यानी यह किस ज्वेलर के यहां बना है, उसकी पहचान होगी.
गौरतलब है कि भारत में हर साल करीब 800 टन सोने का आयात किया जाता है. इसमें से 80 फीसदी सोना 22 कैरेट की प्योरिटी वाला होता है और ज्वेलरी में इस्तेमाल होता है.