
देश की राजधानी दिल्ली में बिजली अब महंगी हो गई है. मध्य जून से दिल्ली में रहने वालों के लिए बिजली 2-6 फीसदी महंगी हो गई. बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMS) ने उपभोक्ताओं पर लगने वाले बिजली खरीद समायोजन लागत (PPAC) में 4 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इस वजह से दिल्ली में बिजली महंगी हुई है. बिजली वितरण कंपनियों ने कोयले और गैस जैसे ईंधन के महंगे होने के चलते ये बढ़ोतरी की है. हालांकि, दिल्ली में हर महीने 200 यूनिट बिजली फ्री में दी जाती है. इस वजह से लोगों को राहत मिली हुई है.
ईंधन की महंगाई की पड़ी मार
बिजली वितरण कंपनियों ने दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DIRC) की मंजूरी के बाद कोयले और गैस जैसे ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण रेट को बढ़ाया है. बिजली की कीमतों पर बढ़े हुए सरचार्ज को इस साल 10 जून से लागू किया गया है. अब बिजली उपभोक्ताओं के बिल पर भी इसका असर दिखेगा.
घाटे में बिजली कंपनियां
10 जून को जारी एक आदेश में DIRC ने कहा था कि अतिरिक्त PPAC इस साल 31 अगस्त तक या अगले आदेश तक प्रभावी रह सकती है. बिजली नियामक आयोग ने कहा है कि दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियां घाटे में चल रही हैं. इस वजह से बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई है.
क्यों लगाया जाता है PPAC
ईंधन की कीमतों में वृद्धि को ऑफसेट करने के लिए PPAC लगाया जाता है. PPAC को बढ़ाने का निर्णय इंपोर्टेड कोयले के सम्मिश्रण, गैस की कीमतों में बढ़ोतरी और बिजली एक्सचेंजों में उच्च कीमतों पर आधारित है.
डिस्कॉम अधिकारी ने दावा किया कि 2002 के बाद से दिल्ली डिस्कॉम के लिए बिजली खरीदने की लागत में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. ये एक ऐसी लागत है, जिस पर डिस्कॉम का कोई नियंत्रण नहीं है, जबकि इसी अवधि में खुदरा शुल्क में लगभग 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
क्यों महंगी हुई बिजली
हाल में बिजली उत्पादन केंद्रों में बन रही बिजली के दामों में इजाफा हुआ है. इसकी वजह है देसी कोयले के साथ इंपोर्टेड कोयले की मिलावट. महंगे विदेशी कोयले की वजह से बिजली उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी हुई है. इसके चलते डिस्कॉम्स को भी महंगी दर पर बिजली मिल रही है. इसका नतीजा आम उपभोक्ताओं के बिजली बिल पर दिखना शुरू हो चुका है.
बिजली आपूर्ति के लिए रेट बढ़ाना जरूरी
सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी यमुना पार और पुरानी दिल्ली वाले इलाकों में हुई है. नए आदेश के मुताबिक बीएसईएस यमुना इलाके में 6 फीसदी, बीएसईएस राजधानी के इलाकों में 4 फीसदी और टाटा पावर के अंदर आने वाले इलाकों में 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी. डीईआरसी के मुताबित, आयातित कोयले और गैस की कीमतें बढ़ी हैं ऐसे में 24 घंटे बिजली आपूर्ति और कैश फ्लो बनाए रखने के लिए दरें बढ़ानी जरूरी होंगी.
गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ी
बीवाईपीएल ने ऐसा करने के लिए 17.16%, और बीआरपीएल ने 20.22% बढ़ोत्तरी सितंबर 2022 तक के लिए मांगी थी, जबकि टाटा पावर ने मार्च 2023 तक के लिए 25% का इजाफा मांगा था. कमीशन ने डिस्कॉम की इन मांगों पर विचार किया और पाया कि गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ने से थर्मल पावर प्लांट को अपनी क्षमता बढ़ानी पड़ी, लेकिन घरेलू कोयले की कमी की वजह से पावर जेनेरेशन पर असर पड़ा.
इसी वजह से 28 अप्रैल को केंद्र सरकार ने आयातित कोयले की 10 फीसदी ब्लेंडिंग का आदेश दिया जबकि उसे 18 मई को 30 फीसदी तक बढ़ाया, जो कि अगले साल 31 अगस्त तक लागू रहेगा.
बिजली कंपनियों को नुकसान
100 फीसदी डिमांड को पूरा करने के लिए डिस्कॉम ने अप्रैल के महीने में 240 मिलियन यूनिट पावर एक्सचेंज में खरीदे, जो मई के महीने में बढ़कर 450 मिलियन यूनिट पहुंच गया. इस वजह से मई के महीने में पहली बार 7000 मेगावाट बिजली की मांग पहुंचने के बावजूद उसे पूरा किया गया. अप्रैल के महीने में BRPL, BYPL और TPDDL ने क्रमश: 168 करोड़, 132 करोड़ और 61 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया. वहीं, मई के महीने में BRPL को 166 करोड़ का नुकसान हुआ और उसी दौरान BYPL को 38 करोड़ का सरप्लस रहा.
31 अगस्त तक लागू रहेंगे आदेश
BRPL ने कहा कि वो बिजली जेनेरेशन कंपनियों के 74 करोड़ का भुगतान नहीं कर पाई है. BYPL ने भी ये डीईआरसी को लिखा कि अप्रैल और मई महीने में उसपर 163 करोड़ रुपये की देनदारी है. वहीं TPDDL ने भी लिखा कि उसने 423 करोड़ शॉर्ट टर्म लोन लेकर चुकाए हैं. इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुआ डीईआरसी ने 10 जून के आदेश में तत्काल प्रभाव से BRPL, BYPL और TPDDL के लिए कीमतों में बढ़ोत्तरी की घोषणा कर दी और कहा कि ये आदेश 31 अगस्त 2022 तक लागू रहेंगे जिसके बाद इसकी फिर से समीक्षा की जाएगी.