
PF Vs Home Loan: होली से ठीक पहले सरकार ने पिछले सप्ताह पीएफ पर ब्याज दर (PF Interest Rate) घटाने का फैसला किया. इसे घटाकर अब 8.10 फीसदी कर दिया गया है, जो 4 दशक में सबसे कम है. इस बात को लेकर सरकार की आलोचना की जा रही है और इसे 4 राज्यों में मिली जीत का पहला रिटर्न गिफ्ट बताकर उपहास किया जा रहा है. दूसरी ओर कुछ लोग तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं कि जब होम लोन समेत अन्य लोन पर कम ब्याज वसूला जा रहा है, तो स्वाभाविक है सेविंग्स पर रिटर्न (Return on Savings) भी कम ही मिलेगा. बहरहाल आइए देखें कि पीएफ (PF) और होम लोन की ब्याज दरें (Home Loan Interest Rate) पिछले 1 दशक के दौरान कैसे ऊपर-नीचे गई हैं. इससे ये भी समझने में मदद मिलेगी कि ओवरऑल पब्लिक के लिए अभी घाटे की स्थिति है, या अभी भी उसे फायदा हो रहा है.
3 दशक पहले 12 फीसदी मिलता था ब्याज
मोदी सरकार (Modi Govt) ने होली से एक सप्ताह पहले पीएफ (PF) पर ब्याज दर को 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी करने का फैसला किया. यह चार दशक से भी ज्यादा समय में पीएफ पर ब्याज दर (Interest Rate On PF) का सबसे निचला स्तर है. इससे पहले पीएफ पर ब्याज की सबसे कम दर 8 फीसदी 1977-78 में थी. एक समय तो ऐसा भी था, जब पीएफ पर 12 फीसदी तक ब्याज मिला करता था. यह करीब 3 दशक पहले 1989-90 की बात है. उसके बाद से ही पीएफ पर ब्याज को कम करने का ट्रेंड शुरू हुआ.
1 दशक में इतना कम हुआ पीएफ का ब्याज
हम बहुत पहले नहीं जाकर पिछले एक दशक का हिसाब देख लेते हैं. इतने से ही काफी चीजें साफ हो जाएंगी और बेहतर समझ बनाने में आसानी होगी. पिछले दशक की शुरुआत यानी साल 2010 में पीएफ पर ब्याज की दर 9.50 फीसदी थी. अगले ही साल यानी 2011-12 में इसे 1.25 फीसदी घटाकर 8.25 फीसदी पर ला दिया गया. जब 2014 में पहली बार मोदी सरकार सत्ता में आई, तब इस ब्याज की दर 8.75 फीसदी थी. 2015-16 में इसे मामूली बढ़ाकर 8.80 फीसदी किया गया. ताजी कटौती से पहले 2019-20 से ईपीएफ ब्याज दर 8.50 फीसदी पर थी, जो अब 8.10 फीसदी पर आ चुकी है.
अभी मिल रहा है इतना सस्ता होम लोन
इसकी तुलना में होम लोन की ब्याज दर देखने के लिए सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई का आंकड़ा यूज करते हैं. एसबीआई के एक स्टैंडर्ड होम लोन प्रोडक्ट पर 2010 में 10.25 फीसदी ब्याज वसूला जा रहा था. यानी पिछले दशक की शुरुआत में पीएफ पर होम लोन की तुलना में 0.75 फीसदी कम ब्याज मिल रहा था. एसबीआई ने इसे 2012 में बढ़ाकर 13 फीसदी कर दिया. इस तरह ठीक 10 साल पहले होम लोन की तुलना में पीएफ का ब्याज 4.75 फीसदी कम था. अभी एसबीआई के होम लोन की शुरुआती ब्याज दर 6.70 फीसदी है. इसे पीएफ की मौजूदा ब्याज दर की तुलना में देखें तो 10 साल पहले से ठीक उलट तस्वीर सामने आती है. पहले जहां लोग इस तुलना में घाटा झेल रहे थे, अभी इस मोर्चे पर 1.40 फीसदी का फायदा हो रहा है.
अटल सरकार में पड़ी ब्याज घटाने की परिपाटी
आपको बता दें कि नौकरी-पेशा लोगों खासकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों की सोशल सिक्योरिटी के लिए भारत में 1952 में EPFO का गठन हुआ था. तब पीएफ पर महज 3 फीसदी ब्याज मिलता था. बाद में इसे लगातार बढ़ाया गया और 1989-90 में यह 12 फीसदी तक पहुंच गया. यही पीएफ पर ब्याज दर का ऐतिहासिक उच्च स्तर है. पीएफ पर मिलने वाले ब्याज को कम करने की परिपाटी अटल सरकार में शुरू हुई. इसमें पहली बार कटौती 2001 में हुई और इसे रिकॉर्ड उच्च स्तर से घटाकर 11 फीसदी किया गया. इसके बाद पीएफ का ब्याज चुनिंदा मौकों को छोड़कर घटाया ही गया है.
इन जरूरतों पर बहुत काम आता है पीएफ
किसी भी एम्पलॉई की बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जमा होता है. एम्पलॉयर भी अपनी ओर से इतना कंट्रीब्यूट करता है, लेकिन इस 12 फीसदी में 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में जमा होता है और बाकी का 3.67 फीसदी पीएफ खाते में जमा होता है. एम्पलॉयर के हिस्से से 0.50 फीसदी हिस्सा ईडीएलआई में जाता है. पीएफ की रकम कई बार आपातकालीन स्थिति में लोगों के बड़े काम आती है. नौकरी छूट जाने, अचानक बड़ा मेडिकल खर्च आ जाने, बच्चों की पढ़ाई, बच्चों की शादी, घर खरीदने, अपना मकान बनाने जैसी कई जरूरतें हैं, जिनके लिए पीएफ खाते से पैसे निकाला जा सकता है. अभी कोरोना काल में सरकार ने कोविड एडवांस निकालने की भी सुविधा लोगों को दी.