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US, जापान, ताइवान के बाजार में कोहराम... मंदी की आहट से 57 साल की सबसे बड़ी गिरावट, भारत का ये हाल?

भारतीय बाजार में गिरावट के पीछे ग्लोबल कारण है, भारत की इकोनॉमी मजबूत है और बाजार को ये पता है. लेकिन दूसरे देशों को देखें तो वहां हाहाकार मचा है, जिसका असर अब भारतीय बाजारों पर दिख रहा है. 

Global Stock Market Crash Global Stock Market Crash
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

शेयर बाजार (Share Market) का क्या होगा? रिटेल निवेशकों के मन में ये सवाल तेजी से उठ रहा है. क्योंकि लगातार दूसरे दिन भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है. सबसे ज्यादा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की पिटाई हो रही है. सरकारी कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा टूटे हैं. 

दरअसल, इस गिरावट के पीछे ग्लोबल कारण हैं, भारत की इकोनॉमी मजबूत है और बाजार को ये पता है. लेकिन दूसरे देशों को देखें तो वहां हाहाकार मचा है, जिसका असर अब भारतीय बाजारों पर दिख रहा है. 

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अमेरिकी बाजार में हाहाकार

बता दें, सबसे ज्यादा अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है, उसके बाद जापान के शेयर बाजार में भूचाल आ गया है. इसके अलावा ताइवान के शेयर बाजार में भी कोहराम मचा है. ताइवान का बेंचमार्क इंडेक्स ताइपे में 57 साल की सबसे बड़ी गिरावट आई है. ताइपे 8.4 फीसदी गिरा है. साल 1967 के बाद एक दिन की ये सबसे बड़ी गिरावट है. 

जापान के इस कदम का बड़ा असर

जापाना का शेयर बाजार निक्केई 12 फीसदी से ज्यादा गिर गया है, पिछले 37 साल के दौरान एक दिन में ये सबसे बड़ी गिरावट है. 1987 के बाद आज का दिन यहां के बाजार के लिए सबसे खराब रहा. दरअसल, जापान का केंद्रीय बैंक यानी बैंक ऑफ जापान ने करीब 14 साल बाद नीतिगत ब्याज दरों में बुधवार (31 जुलाई 2024) को 25 बेसिस प्वॉइंट्स (0.25%) की बढ़ोतरी कर दी है. 

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इसके बाद डॉलर के मुकाबले जापानी करेंसी येन में तेजी दिखी. कम ब्याज दर होने की वजह से जापानी करेंसी येन का इस्तेमाल 'Carry Trade' जैसे फॉरेक्स रणनीति के लिए होता था. इसका मतलब ये है कि कम ब्याज दर पर येन उधार लेकर ऊंचे यील्ड्स वाले एसेट्स में निवेश किया जाता था. लेकिन, अब दरों में बढ़ोतरी के बाद फॉरेक्स ट्रेडर्स की रणनीति को झटका लगा है. इस वजह से भी ग्लोबल बाजारों में उथल-पुथल देखने को मिल रही.

आगे गिरावट जारी रहने का डर?

वहीं दुनिया की सबसे बड़ी मजबूत इकोनॉमी अमेरिका का भी बुरा हाल है. फिलहाल US फ्यूचर्स से इस बात का संकेत मिल रहा है कि बाजार की गिरावट फिलहाल रुकने वाली नहीं है. डाओ जोंस फ्यूचर्स में 400 प्वाइंट्स का गिरावट में दिख रहा है. जबकि नैस्डेक फ्यूचर्स 700 अंक नीचे दिख रहा है. अमेरिका में जारी कमजोर विनिर्माण (Manufacturing PMI) के डेटा ने भूचाल ला दिया है. यहां जुलाई के लिए विनिर्माण सूचकांक 46.8% रहा है, जो कि चिंताजनक है. विनिर्माण सूचकांक 50 फीसदी से कम अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. 

इसके अलावा अमेरिका में बेरोजगारी दर भी अनुमान से ज्यादा रहने पर शेयर बाजार पर दबाव बढ़ा. अमेरिकी डॉलर की दरें और ट्रेजरी यील्ड में भी वृद्धि हुई. अमेरिकी शेयर बाजार में दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी Nvidia, Intel, Apple, ब्रॉडकॉम इंक (Broadcom Inc) जैसे शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है.  

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दक्षिण कोरिया के बाजार में लोअर सर्किट

दक्षिण कोरिया के शेयर बाजार में लोअर सर्किट लग गया है, जो कि 2001 के बाद दक्षिण कोरिया मार्केट के सबसे बुरा दिया है. चीन में डिमांड घटने से भी मंदी की आहट को बल मिल रहा है. खासकर कच्चे तेल की डिमांड चीन में घटी है. जिससे कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. वहीं इटली, हॉन्ग कॉन्ग और फ्रांस का बाजार भी 5 फीसदी तक टूट गया है. खाड़ी देशों में तवान भी बाजार के लिए एक चिंता का विषय है. 

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