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मंदी का खौफ, कोरोना काल के बाद का संकट... चमकते टेक सेक्टर में कैसे आ गई छंटनी की नौबत?

दुनिया भर की टेक कंपनियों में छंटनी का दौर चल रहा है. गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज टेक कंपनियों ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. ऐसे में सभी के मन में एक ही सवाल घूम रहा है कि जो कंपनियां कोविड जैसे मुश्किल दौर में मजबूत नजर आईं, अब उनकी सेहत क्यों बिगड़ने लगी है?

कैसे बिगड़े टेक सेक्टर के हालात? कैसे बिगड़े टेक सेक्टर के हालात?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

छंटनी...छंटनी और छंटनी. पिछले कुछ महीनों से टेक कंपनियां इसी वजह से सुर्खियों में हैं. छंटनी (layoffs) के इस दौर में टेक कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों (Employees) की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. कर्मचारियों के ई-मेल बॉक्स में नौकरी से निकाले जाने के मेल पहुंच रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और गूगल अल्फाबेट ने हजारों कर्मचारियों को एक झटके में नौकरी से निकाल बाहर कर दिया. यही हाल मेटा (Meta) और अमेजन (Amazon) का है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि टेक जैसे चमकते सेक्टर में छंटनी की नौबत क्यों आ गई?

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पिछले कितने लोगों ने गंवाई थी नौकरी?

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल करीब 1,00,000 लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई थी और 2023 में भी ये सिलसिला फिलहाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. उद्योग जगत में नौकरी पर नजर रखने वाली वेबसाइट layoffs.fyi के अनुसार, दो दर्जन से अधिक अमेरिकी टेक कंपनियों ने कहा है कि वे अपने कर्मचारियों की संख्या में 10 फीसदी या उससे अधिक की कटौती करेंगी.

कोविड के बाद बिगड़े हालात

दुनियाभर की टेक कंपिनयों में छंटनी क्यों हो रही है? इस सवाल के जवाब में एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड महामारी के समय लगे लॉकडाउन के दौरान टेक कंपनियों में बड़े पैमाने पर हायरिंग हुई थी. तब माहौल अनुकूल था. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन की पाबंदिया खत्म हुईं और मार्केट खुले टेक सेक्टर की सेहत बिगड़ने लगी. 

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Salesforce के सीईओ मार्क बेनिओफ ने जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में ही आठ हजार कर्मचारियों को निकालने का ऐलान किया था. मार्क बेनिओफ का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान लाखों लोग घर से काम कर रहे थे. इस वजह से कंपनी के टेक्नोलॉजी डिमांड बढ़ रही थी. लेकिन जैसे ही लोग वापस दफ्तर जाने लगे तकनीक की मांग कम हो गई. 

आर्थिक मंदी का खौफ

टेक कंपनियों में हो रही छंटनी के पीछे एक दलील आर्थिक मंदी की भी दी जा रही है. कंपनियां लगातार लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं. ग्लोबल मंदी की वजह से वैश्विक स्तर पर अमेजन, गूगल, ट्विटर और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का ऐलान किया है.

भारतीय टेक और एडटेक कंपनियां भी कॉस्ट कटिंग में जुट गई हैं. यूरोप और अमेरिका में तो मंदी की आशंका की वजह से टेक कंपनियों ने अपने बजट में कटौती की है. ऐसे में भारतीय टेक कंपनियों में हो रही कॉस्ट कटिंग ने इस सवाल को जन्म दे दिया है कि क्या भारत के आईटी सेक्टर में भी मंदी गहराने वाली है? क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस साल भारतीय IT कंपनियों ने नई नौकरियों के लिए 10 फीसदी कम विज्ञापन निकाले हैं.

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भारत में अभी तक विप्रो ने कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है. विप्रो ने बिजनेस टुडे को बताया था हमें 452 फ्रेशर्स को बाहर करना पड़ा क्योंकि उन्होंने ट्रेनिंग के बाद भी बार-बार असेसमेंट में खराब परफॉर्मेंस किया था.

भारत पर क्या पड़ेगा मंदी का असर?

भारतीय आईटी कंपनियों पर आर्थिक मंदी का असर पड़ेगा या नहीं, इसपर एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत भी दुनिया की अर्थव्यवस्था का हिस्सा है. सभी इकोनॉमी एक दूसरे के साथ जुड़ी है. इसलिए जाहिर सी बात है कि जो विश्व में होगा उसका असर भारत पर भी पड़ेगा. लेकिन कितना पड़ेगा ये आने वाले समय में पता चलेगा. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और वर्ल्ड बैंक ने भारत को चमकता सितारा बताया है. लेकिन IMF की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कुछ समय पहले कहा था कि ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) के लिए 2023 मुश्किल भरा रहने वाला है. 

 

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