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Wheat Flour Exports Ban: मोदी सरकार ने कहा- पहले देश की चिंता, इसलिए बैठक में ले लिया ये बड़ा फैसला

गेहूं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बाद विदेशों में इसके आटे की मांग बढ़ गई. भारत से गेहूं के आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 फीसदी बढ़ा है. उम्मीद जाताई जा रही है कि आटे के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बाद देश में इसकी कीमतों में गिरावट आएगी.

गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध. गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST

आने वाले दिनों में घरेलू बाजार में आटे की कीमतों (Wheat flour Price) में गिरावट देखने को मिल सकती है. आटे की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए सरकार ने एक्सपोर्ट से जुड़ी पॉलिसी में बदलाव करने का फैसला किया है. बीते दिन प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)  की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक हुई. इसके बाद समिति ने भारत के कमजोर वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध (Wheat flour Export Ban) लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सरकार ने गेहूं के निर्यात को मई में ही प्रतिबंधित कर दिया था.

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विदेशों में बढ़ गई थी आटे की मांग

गेहूं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बाद विदेशों में इसके आटे की मांग बढ़ गई. भारत से गेहूं आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 फीसदी बढ़ा है. उम्मीद जाताई जा रही है कि आटे के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बाद देश में इसकी कीमतों में गिरावट आएगी. CCEA के अनुसार, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) इस फैसले को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी करेगा.

कैबिनेट समिति ने कहा का कि पहले गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की कोई नीति नहीं थी. लेकिन खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए गेहूं के आटे के एक्सपोर्ट से जुड़ी पॉलिसी में संशोधन की आवश्यकता थी.

सप्लाई चेन प्रभावित

मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंधों के कारण विदेशी बाजार में गेहूं के आटे की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिली. खासतौर पर रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बाद इसके निर्यात में तेजी आई. रूस और यूक्रेन दोनों देश गेहूं के प्रमुख निर्यातकों में से एक हैं. ग्लोबल स्तर पर गेहूं के व्यापार में इनकी एक चौथाई हिस्सेदारी है. यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से दोनों देशों की सप्लाई चेन प्रभावित हुई. इस वजह से ग्लोबल मार्केट में भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई, जिसके चलते घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई. 

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भारतीय गेहूं का निर्यात

अन्य देशों की तुलना में भारतीय गेहूं की बेहतर मांग के कारण 2021-22 में भारत ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था. इसकी कीमत करीब 2.05 बिलियन अमेरीकी डॉलर थी. पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत शिपमेंट बांग्लादेश को भेजा गया था.

गेहूं के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी

2020-21 में भारतीय गेहूं का सबसे अधिक आयात करने वाले देश की बात करें, तो इसमें बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, यमन और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल थे. भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत ने 2020 में दुनिया के कुल उत्पादन में लगभग 14 प्रतिशत का योगदान दिया था. 

 

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