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क्या अब नहीं बढ़ेंगी LPG कीमतें? ऑयल कंपनियों को 20,000 करोड़ देगी सरकार!

भारत अपनी जरूरत का करीब 50 फीसदी एलपीजी इंपोर्ट करता है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर कुकिंग ईंधन के रूप में किया जाता है. पिछले हफ्ते पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया था कि सऊदी कॉन्ट्रैक्ट का प्राइस पिछले 2 साल में 303 पर्सेंट बढ़ा है. तेल मंत्रालय ने 28,000 करोड़ रुपये के कंपनसेशन की मांग की थी.

LPG की कीमतों को काबू करने की कोशिश. LPG की कीमतों को काबू करने की कोशिश.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:38 AM IST

बीती तिमाही में तीन सरकारी तेल कंपनियों (Petroleum Companies) को भारी नुकसान हुआ था. अब उसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार उन्हें बड़ा फंड देने का प्लान बना रही है. पेट्रोलियम कंपनियों को 20,000 करोड़ रुपये का मुआवजा देकर सरकार कुकिंग गैस की कीमतों को काबू में रखना चाहती है. दरअसल, सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों को इंटरनेशनल प्राइस पर क्रूड ऑयल खरीदना पड़ता है और वो फ्यूल को प्राइस-सेंसिटिव मार्केट में बेचती हैं. देश की तीन बड़ी सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां इंडियन ऑयल (Indian oil), एचपीसीएल (HPCL) और बीपीसीएल (BPCL) तेल की सप्लाई करती हैं.

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तेल कंपनियों को हुआ है नुकसान

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने 20,000 करोड़ रुपये नकद भुगतान करने का फैसला किया है. वहीं, तेल मंत्रालय ने 28,000 करोड़ रुपये के कंपनसेशन की मांग की थी. तीन घरेलू तेल खुदरा विक्रेता कंपनियां इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और बीपीसीएल देश में 90 फीसदी पेट्रोलियम फ्यूल की सप्लाई करती हैं. बीती तिमाही में क्रूड ऑयल की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों की वजह से इन कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है.

पेट्रोल, डीजल की कीमतें स्थिर

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने मार्च में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 5,800 करोड़ रुपये की तेल सब्सिडी के लिए निर्धारित किया था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद, भारत में पेट्रोल, डीजल की कीमतें लंबे समय से स्थिर हैं. वहीं, एलपीजी की कीमतें में भी फिलहाल बड़ा बदलाव नहीं देखने को मिला है.

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भारत अपनी जरूरत का करीब 50 फीसदी एलपीजी इंपोर्ट करता है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर कुकिंग ईंधन के रूप में किया जाता है. पिछले हफ्ते पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया था कि सऊदी कॉन्ट्रैक्ट का प्राइस पिछले 2 साल में 303 पर्सेंट बढ़ा है. वहीं, दिल्ली में रिटेल प्राइस में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

कितना हुआ नुकसान?

जून की तिमाही में BPCL ने 6,290.8 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था. वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में HPCL का घाटा बढ़कर 10,196.94 करोड़ हो गया था. अप्रैल-जून में कंपनी को 1,992.53 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

कम नहीं होने वाली हैं फ्यूल की कीमतें!

हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा था कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के बावजूद भारतीय तेल कंपनियां घाटे में हैं. उन्हें इससे उबरने के लिए थोड़ा और वक्त चाहिए. उनके जवाब से यह साफ हो गया कि HPCL, BPCL और IOCL जैसी तेल वितरण कंपनियां निकट भविष्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती नहीं करने वाली हैं.

 

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