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ग्रुप ​हेल्थ इंश्योरेंस कवर होंगे 40 फीसदी तक महंगे, बीमा कंपनियों ने बताई ये वजह 

बीमा कंपनियों का कहना है कि प्रीमियम में यह बढ़त इसलिए हो रही है, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस कारोबार में मुनाफा काफी घट गया है.

ग्रुप ​हेल्थ इंश्योरेंस कवर महंगे (फाइल फोटो) ग्रुप ​हेल्थ इंश्योरेंस कवर महंगे (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 23 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST
  • बीमा कंपनियां बढ़ा रहीं प्रीमियम
  • बीमा कंपनियों के मार्जिन पर असर

कोविड की वजह से अब तमाम कंपनियों में कर्मचारियों को मिलने वाले ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस की लागत 25 से 40 फीसदी तक बढ़ रही है.  बीमा कंपनियों का कहना है कि कोविड के दौरान क्लेम में काफी बढ़त हुई है जिसकी वजह से उनके मार्जिन पर काफी असर पड़ा है. इसलिए वे प्रीमियम बढ़ाने पर मजबूर हैं. 

बीमा कंपनियों का कहना है कि उन कंपनियों के लिए लागत में कम बढ़त होगी जिन्होंने पूरी तरह से वर्क फ्रॉम होम मॉडल को अपनाया है, क्योंकि उनमें तुलनात्मक रूप से बीमारी से संपर्क का खतरा कम है और इसलिए क्लेम आने के आसार भी कम हैं. 

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होने लगी बढ़त 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, Future Generali इंडिया इंश्योरेंस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्रीराज देशपांडे ने बताया, 'हमने औसतन ग्रुप हेल्थ पॉलिसी में एक साल पहले की तुलना में प्रीमियम में 30 फीसदी की बढ़त देखी है.' 

इंश्योरटेक कंपनी Vital के को-फाउंडर जयन मैथ्यूज ने कहा, 'महामारी के आने के बाद कर्मचारी यह उम्मीद कर रहे थे कि उनके इंक्लूजिव और किफायती ग्रुप हेल्थ पॉलिसी मिले, जिसमें पोस्ट कोविड इफेक्ट को भी कवर किया जाए, जैसे मेंटल हेल्थ और वेलनेस के लिए काउंसलिंग. एम्प्लॉयर्स पर इस बात के लिए अतिरिक्त दबाव था कि वे वर्क फ्रॉम होम कर रहे कर्मचारियों को इंक्लूजिव वेलनेस केयर प्रदान करें.' 

मुनाफा घट गया है!

बीमा कंपनियों का कहना है कि प्रीमियम में यह बढ़त इसलिए हो रही है, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस कारोबार में मुनाफा काफी घट गया है. ManipalCigna  हेल्थ इंश्योरेंस के ग्रुप बिजनेस हेड निलंजन रॉय कहते हैं, 'अगर मांग बहुत ज्यादा रही तो ही प्रीमियम में बढ़त 12 से 17 फीसदी तक हो सकती है, नहीं तो यह आसानी से 30 से 40 फीसदी तक जा सकता है.' 

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यह तब है जब कर्मचारियों के लिए ग्रुप इंश्योरेंस की डिमांड काफी बढ़ रही है. छोट एवं मध्यम उद्यमों से लेकर एमएनसी तक सभी इस पर जोर दे रहे हैं. अब तो 50 से कम कर्मचारियों वाले एसएमई भी अपने कर्मचारियों को इसकी सुविधा दे रहे हैं.

अभी तक ऐसे छोटे कारोबार में कर्मचारियों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम ( ESIC) के तहत बीमा कवर दिया जाता था. लेकिन इनके मालिकों को अब यह लग रहा है कि ESIC का बीमा पर्याप्त नहीं है, इसलिए वे निजी कंपनियों के कॉमर्शियल बीमा कवर को चुन रहे हैं.


 

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