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Hindenburg के आरोपों से हिल गया था अडानी का साम्राज्य, जानिए 3 महीने के बाद क्या है हाल?

Hindenburg ने 24 जनवरी 2023 को Adani Group को लेकर रिपोर्ट पब्लिश की थी. इसके आने के बाद निवेशकों में हड़कंप मच गया था. नाथन एंडरसन के नेतृत्व वाली रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कर्ज और गौतम अडानी की कंपनियों (Gautam Adani Firms) के शेयरों में हेर-फेर समेत 88 गंभीर आरोप लगाए थे.

तीन महीने पहले 24 जनवरी 2023 को पब्लिश हुई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट तीन महीने पहले 24 जनवरी 2023 को पब्लिश हुई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

आज 24 अप्रैल और आज से ठीक तीन महीने पहले इसी तारीख को यानी 24 जनवरी 2023 को अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने Adani Group को लेकर अपनी रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की थी. इसका जो बुरा असर ग्रुप और गौतम अडानी के नेटवर्थ (Gautam Adani Net Worth) पर हुआ वो आज सबके सामने है. रिपोर्ट के आने से पहले अडानी दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों (Top-10 Billionaires) की लिस्ट में चौथे पायदान पर मौजूद थे, लेकिन देखते-ही-देखते महीनेभर में वे अमीरों की लिस्ट में बहुत नीचे 37वें पायदान पर खिसक गए. हालांकि, बीते कुछ दिनों में उन्होंने वापसी की है, लेकिन हिंडनबर्ग से हुए नुकसान की भरपाई इतनी आसान नजर नहीं आ रही है. आइए नजर डालते हैं कि बीते 3 महीने में अडानी के साम्राज्य का क्या हाल है? 

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हिंडनबर्ग ने उठाए थे 88 गंभीर सवाल
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने 24 जनवरी 2023 को अडानी समूह (Adani Group) के खिलाफ अपनी रिपोर्ट पब्लिश की थी. इस रिपोर्ट के आने के तुरंत बाद ही निवेशकों में हड़कंप मच गया था. दरअसल, नाथन एंडरसन के नेतृत्व वाली रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कर्ज और गौतम अडानी की कंपनियों (Gautam Adani Firms) के शेयरों में हेर-फेर समेत 88 गंभीर आरोप लगाए थे. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि अडानी की कंपनियों के शेयर अंडरवैल्यूड हैं. इनका निवेशकों के सेंटिमेंट पर रिपोर्ट आने के साथ ही बुरा असर हुआ और शेयर बाजार में लिस्टेड अडानी की कंपनियों के शेयरों में सुनामी आ गई. 

रिपोर्ट के बाद 85% तक टूटे थे अडानी के शेयर
बता दें, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी ग्रुप की शेयर बाजार में लिस्टेड 7 प्रमुख कंपनियां 85 फीसदी से अधिक ओवरवैल्यूड हैं. हालांकि ये दावा एक महीने पहले किसी को हजम नहीं हो रहा था. लेकिन हिंडनबर्ग के कथित दावे के मुताबिक अडानी ग्रुप के शेयर 24 जनवरी से 24 फरवरी के बीच 85 फीसदी अधिक गिर गए. 24 जनवरी को रिपोर्ट पब्लिश होने के अगले कारोबारी दिन ही अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज से लेकर अडानी ग्रीन तक के शेयर बिखर गए. Adani Total Share का भाव 3851.75 रुपये था, जिसमें एक महीने के भीतर ही 80.68 फीसदी की गिरावट आ चुकी थी. इसके अलावा अडानी ट्रांसमिशन और अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर तो 85 फीसदी से ज्यादा टूट गए थे.

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अमीरों की लिस्ट में कहां से कहां पहुंचे गौतम अडानी
Gautam Adani की नेटवर्थ पर हिंडनबर्ग के प्रकोप के चलते हुए असर का जिक्र करें तो बीते साल सितंबर 2022 में गौतम अडानी की नेटवर्थ तेजी से बढ़ते हुए 150 अरब डॉलर पर जा पहुंची थी और वे दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति की कुर्सी तक पहुंच गए थे. हालांकि, फिर 24 जनवरी के ठीक पहले वे करीब 120 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ चौथे सबसे अमीर व्यक्ति के तौर पर टॉप-10 अरबपतियों में शामिल थे. वहीं हर दिन करीब 3000 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ महीनेभर बाद ही वे अमीरों की लिस्ट में गिरकर 37वें नंबर पर पहुंच गए. साल 2023 में उनकी संपत्ति में 60 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. यही नहीं Adani Group का मार्केट कैप भी घटते-घटते 100 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया था. 

हिंडनबर्ग के असर के चलते लगातार हो रहे नुकसान के बीच अडानी ग्रुप के हाथ से कई बड़ी डील्स भी निकल गई. इनमें अडानी पावर और डीबी पावर के बीच हुआ 7000 करोड़ रुपये का सौदा भी शामिल है. हालांकि, जब हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश हुई थी, तो इसे खारिज करते हुए अडानी ग्रुप ने इसमें उठाए गए सवालों का 400 से अधिक पन्नों में जवाब दिया था. अडानी ग्रुप की ओर से इस रिपोर्ट को दुर्भावनापूर्ण और तथ्यहीन करार दिया गया था. लेकिन अडानी ग्रुप का स्टेटमेंट भी निवेशकों के बिगड़ मूड को ठीक नहीं कर सका और उन्हें हर बीतते दिन के साथ भारी नुकसान झेलना पड़ा. 

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शेयरों में तेजी, लेकिन नुकसान की भरपाई अभी मुश्किल
बीते कुछ दिनों में अडानी की कंपनियों के शेयर ने जोरदार कमबैक जरूर किया है, लेकिन ये हिंडनबर्ग से हुए नुकसान की भरपाई करने में अभी नाकाफी है. फिलहाल की बात करें तो Forbes के रियल टाइम बिलेनियर्स इंडेक्स के मुताबिक, गौतम अडानी की कुल नेटवर्थ 45.1 अरब डॉलर है. इतनी नेटवर्थ के साथ दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में वे 25वें पायदान पर हैं. इस बीच बता दें कि गौतम अडानी ने मुश्किल दौर से उबरने की कवायद के तौर पर अपनी रणनीति में भी कई अहम बदलाव किए हैं और ग्रुप का पूरा फोकस कर्ज चुकता करने और निवेशकों का भरोसा वापस पाने पर कर दिया है. 

कर्ज चुकाने पर अडानी ग्रुप का फोकस 
हिंडनबर्ग (Hindenburg) से बड़ा नुकसान झेलने वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) ने बीते दिनों एक बयान जारी कर बताया था कि उसने करीब 7,374 करोड़ रुपये (901 मिलियन डॉलर) का शेयर आधारित कर्ज समय से पहले चुका दिया है. बयान के मुताबिक, समय से पहले कर्ज भुगतान का ये कदम प्रमोटरों के वादे के मुताबिक है और उम्मीद जताई जा रही है कि निवेशकों के सेंटिमेंट पर भी इसका असर दिखाई देगा. यहां बता दें कि बीते दिनों ही अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनमिक जोन (APSEZ) ने एसबीआई म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Funds) का 1,500 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया था. अडानी ग्रुप के इस कदम को निवेशकों का भरोसा कायम करने की नजर से देखा जा रहा है.

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शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग कैसे करती है काम?
रिसर्च फर्म Hindenburg का मुख्य काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है. इस रिसर्च के जरिए कंपनी ये पता लगाती है कि क्या Stock Market में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है?. कहीं बड़ी कंपनियां अपने फायदे के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो नहीं कर रही हैं?. कोई कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही है? इन सब बिंदुओं पर गहन रिसर्च के बाद कंपनी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर उसे पब्लिश करती है. 

हिंडनबर्ग एक इन्वेस्टमेंट फर्म होने के साथ ही शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) कंपनी है. कंपनी की प्रोफाइल पर नजर डालें तो ये एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है. शॉर्ट सेलिंग के जरिए ये अरबों रुपये की कमाई करती है. अब सवाल ये कि आखिर शॉर्ट सेलिंग होती क्या है? तो बता दें यह एक ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है. इसमें कोई व्यक्ति किसी खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदता है और फिर कीमत ज्यादा होने पर उसे बेच देता है, जिससे उसे जोरदार फायदा होता है.


 

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