
आज 2 जून है, और 'दो जून की रोटी' की खूब बात हो रही है. यह एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि नसीब से दिनभर में दो टाइम खाना मिलना. लेकिन ये कहावत है, अब दुनिया तेजी से बदल रही है. अब लोग भविष्य में दो जून की रोटी की कमी न हो, इसके लिए भी सोचते हैं और फ्यूचर प्लान करते हैं.
अगर आप भी आज 2 जून के मौके पर ये 5 कदम उठा लेंगे, तो फिर जिंदगी ऐशो-आराम कटेगी. दरअसल हर कोई चाहता है कि उसका भविष्य उज्ज्वल हो. इस मॉडर्न युग में तेज रफ्तार से जिंदगी भाग रही है. लेकिन इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल ठहरकर भविष्य के बारे में भी सोचने की जरूरत है. खुद सोचिए क्या जिस तरह से आज आप जिंदगी जी रहे हैं, अगले 20 साल के बाद भी ऐसा ही चलता रहेगा. बिल्कुल नहीं, क्योंकि हर चीज के लिए एक उम्र होती है.
जब आप कमाते हैं, तो खर्च से पीछे नहीं हटते, चाहे वो जरूरी हो या न हो. लेकिन सोचिए जब आपकी कोई आय नहीं होगी, तो फिर जरूरत की चीजें भी कैसे खरीदेंगे. इसका एक ही रास्ता है बचत. यानी आज बचत कल मौज! इसलिए आज ही इन 5 फैसलों पर अमल कर लें, फिर भविष्य गुलजार रहेगा.
पहला काम- जितनी आमदनी उसी में बचत
अगर आप ये सोच रहे हैं कि आमदनी बढ़ेगी तब निवेश करेंगे, तो ये सोच गलत है. जितनी आमदनी में उसी में बचत करना शुरू कर दें. अगर आपकी सैलरी 30 हजार रुपये है तो मानकर चलिए काफी है. उसी में से हर हाल 20 फीसदी बचाइए, यानी हर महीने सबसे पहले निवेश के लिए सैलरी में से 6000 रुपये निकाल दें. अगर 50 हजार रुपये महीने सैलरी है तो 10 हजार रुपये हर महीने जरूर बचाइए. इसी तरह अगर 100000 रुपये सैलरी है तो हर महीने कम से कम से 20 हजार रुपये जरूर बचाएं.
दूसरा काम- 'खर्च' और 'फिजूल खर्च' की करें पहचान
कम सैलरी वाले कैसे पैसे बचाएं. इसका सरल जवाब है, 'खर्च' और 'फिजूल खर्च' के बीच के अंतर को समझें. हर आदमी को ये मानकर चलना चाहिए कि वो किसी न किसी तरह से फिजूल खर्च करता है. एक अनुमान के मुताबिक, अधिकतर लोग अपनी आमदनी या सैलरी का कम से कम 10 फीसदी हिस्सा फिजूलखर्च कर देता है. जिसे आप बचा सकते हैं. उन खर्चों को जोड़िए, जो बेहद जरूरी नहीं है. लेकिन उसपर आप खर्च कर देते हैं. हम यहां कुछ उदाहरण दे रहे हैं, जिसे आप फिजूलखर्च मान सकते हैं.
बाहर खाना: बड़े शहरों में बाहर खाने का कल्चर तेजी से आगे बढ़ रहा है. अब तो लोग घर बैठे भी ऑनलाइन खाना मंगवा लेते हैं. हालांकि कभी-कभी खाना मंगाकर खाना मजबूरी हो सकती है. लेकिन अधिकतर लोग मेहनत करने से बचते हैं, और बाहर जाकर खाना खा लेते हैं, या फिर ऑनलाइन ऑर्डर कर देते हैं. इसपर लगाम लगा सकते हैं. बाहर जितने पैसे खाने पर खर्च करते हैं, उससे एक चौथाई की लागत पर घर में खाना बनकर तैयार हो जाएगा.
सैर-सपाटा: अक्सर लोग देश-विदेश घूमने में मोटी रकम खर्च कर देते हैं. हर महीने Fun के नाम पर घूमने निकले जाते हैं. फिर ऐसे लोगों की सबसे बड़ी शिकायत होती है कि पैसे नहीं बचते. आप खुद सोचें कि इस मद में आप हर महीने कितने खर्च करते हैं. इस बचाने की कोशिश करें.
तीसरा काम- बिना जरूरत की चीजें खरीदना करें बंद
अक्सर लोग ऐसी चीजों को खरीद लेते हैं, जो उनके लिए जरूरी नहीं होती है, फिर बाद में पछताते हैं. खासकर लोग महंगे गैजेट्स खरीद लेते हैं और फिर इस्तेमाल नहीं करते. ऐसे खर्च अधिकतर लोग ऑफर और जेब में क्रेडिट कार्ड होने की वजह से करते हैं. जिसपर लगाम लगाना सबसे जरूरी है. इस खर्च को आप फिजूलखर्ची की कैटेगरी में रख सकते हैं.
शॉपिंग: जब आप बाजार जाते हैं, तो खरीदने होते हैं दो कपड़े, और खरीद डालते हैं चार. इसलिए जब भी शॉपिंग के लिए जाएं तो लिस्ट बनाकर घर से निकलें. ऑफर के चक्कर में न पड़ें. इसके अलावा सबसे महंगी और सबसे सस्ती चीजें खरीदने की आदत बदल डालें. लोग ब्रांड के चक्कर में बहुत ज्यादा पैसे खर्च कर देते हैं. वो इसे अपने स्टे्टस से जोड़कर देखते हैं, लेकिन ये सीधा फिजूलखर्ची है.
अब जब आप हर महीने केवल फिजूलखर्च को रोक देंगे, और उस राशि को कहीं भी निवेश कर सकते हैं. सबसे अच्छा विकल्प होगा कि आप हर महीने फिजूलखर्च से बचे पैसे को म्यूचुअल फंड में SIP करें. यकीन मानिए आपको बहुत जल्द अहसास हो जाएगा कि आपने अपनी का कितना बड़ा हिस्सा फिजूलखर्च कर चुके हैं. यही नहीं, लगातार 5 साल तक SIP करने के बाद आपके पोर्टफोलियो में बड़ी राशि जमा हो जाएगी. साथ ही धीरे-धीरे निवेश के प्रति आपका लगाव बढ़ता जाएगा.
ये सच है कि एक नौकरी-पेशा, यानी खासकर जॉब करने वाला एक साथ मोटी रकम नहीं निकाल सकता है. इसलिए ऐसे लोगों के लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में SIP एक शानदार विकल्प हो सकता है, जिसमें नियमित निवेश से बड़ा लक्ष्य (Investment Goal) हासिल किया जा सकता है. म्यूचुअल फंड ने पिछले दो दशक में शानदार रिटर्न दिया है. ऐसे में आगे भी बेहतर रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है. म्यूचुअल फंड में लोग 500 रुपये महीने से SIP की शुरुआत कर सकता है.
चौथी काम- SIP की ताकत को समझिए
एक उदाहरण से समझते हैं, अगर किसी की सैलरी 30 हजार रुपये महीने है तो उसे हर 20 फीसदी यानी 6000 रुपये बचाना होगा. अगर इस राशि को म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में SIP करते हैं, और आमदनी बढ़ने के साथ हर साल निवेश में 20 फीसदी का इजाफा करते हैं तो 20 साल के बाद उस निवेश पर सालाना 12 फीसदी के हिसाब से कुल 2,17,45,302 रुपये मिलेंगे. वहीं अगर ब्याज 15 फीसदी के हिसाब से मिल जाए तो फिर कुल 3,42,68,292 रुपये मिलेंगे. मतलब साफ है कि अगर भविष्य आर्थिक तौर पर उज्ज्वल चाहिए तो बचत ही एकमात्र विकल्प है.
(नोट: म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)