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किराये पर रहते हैं, होम लोन लिया है या पिता के घर में रहते हैं? ऐसे मिलेगा आयकर छूट का पूरा लाभ

HRA Exemption Rule: अगर सालाना किराया एक लाख से एक रुपये भी ज्यादा है तो आयकर छूट के लिए मकान मालिक के पैन नंबर को देना होगा. साथ ही आयकर विभाग को रेंट एग्रीमेंट भी सबमिट करना होगा. जब आप मकान मालिक के पैन कार्ड को देंगे, तो किराये की राशि मकान मालिक की आय में जुड़ जाएगा.

इनकम टैक्स में छूट के तरीके इनकम टैक्स में छूट के तरीके
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST

कोई किराये पर रहता है तो कोई अपने माता-पिता के घर में, किसी पर होम लोन चल रहा है. लेकिन सबकी टेंशन एक ही है. 31 मार्च नजदीक है. इनकम टैक्स बचाना है, कैसे? आज हम आपको इनकम टैक्स में HRA छूट को लेकर पूरी जानकारी देंगे. जिसके बाद आप खुद आसानी से कैलकुलेट कर पाएंगे कि आयकर में HRA को लेकर क्या नियम है, और कैसे इसका पूरा लाभ उठाया सके? 

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सबसे पहले आपको सरल भाषा में बता दें कि ये HRA है क्या? हाउस रेंट अलाउंस (HRA) एक भत्ता है, जो एम्प्लायर अपने एम्प्लाइज को घर के किराये के तौर देता है. लगभग सभी प्राइवेट-सरकारी कर्मचारियों को HRA को मिलती है. यह CTC का ही एक हिस्सा है. लेकिन HRA टैक्स छूट के दायरे में आता है, जिसका लाभ कर्मचारियों को मिलता है. आयकर अधिनियम धारा 10(13A) के तहत HRA की छूट ली जा सकती है. एचआरए क्लेम के लिए सैलरी में से केवल मूल वेतन और महंगाई भत्ता (DA) को जोड़ा जाता है. 

एक लाख तक के किराये पर नो-पैन कार्ड 

अगर आप किराये पर रहते हैं और सालाना 1 लाख रुपये तक किराये देते हैं तो किराये की रसीद (रेंट रिसिप्ट) जमाकर 1 लाख रुपये तक का क्लेम कर सकते हैं. लेकिन अगर सालाना किराया एक लाख से एक रुपये भी ज्यादा है तो आयकर छूट के लिए मकान मालिक के पैन नंबर को देना होगा. साथ ही आयकर विभाग को रेंट एग्रीमेंट भी सबमिट करना होगा. जब आप मकान मालिक के पैन कार्ड को देंगे, तो किराये की राशि मकान मालिक की आय में जुड़ जाएगी. फिर उसपर नियम के अनुसार टैक्स लगेगा.

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बता दें, लगभग कंपनियां हर वित्तीय वर्ष के खत्म होने से पहले कर्मचारियों को रेंट रिसिप्ट जमा करने के लिए कहती है. कर्मचारी को नौकरी देने वाली कंपनी से प्राप्त न्यूनतम एचआरए, या महानगरों (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई) में रहने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 50% (दूसरी जगहों पर 40%) या वास्तविक किराए के भुगतान में मूल वेतन का 10% घटाने के बाद बाकी राशि को HRA के रूप में दावा किया जा सकता है.  

HRA कैलकुलेशन का फॉर्मूला
मान लीजिए कि आपका मूल वेतन (Basic Salary) प्रति माह 40,000 रुपये है और आप दिल्ली में हर महीने 15,000 रुपये रेंट देकर रहते हैं. जबकि आपको कंपनी हर महीने करीब 17,000 रुपये एचआरए देती है. फिर आपको कैसे टैक्स बेनिफिट्स लाभ मिलेगा, कुछ इस प्रकार गणित है. 

HRA= 17,000 रुपये 
वास्तविक किराये के भुगतान में मूल वेतन का 10% घटाने के बाद बाकी राशि = 15,000 – 4,000 रुपये = 11,000 रुपये
मूल वेतन (Basic Salary) का 50% = 20,000 रुपये
इस फॉर्मूले से एचआरए 11,000 रुपये होगा और बाकी पर टैक्स देना होगा.

होम लोन लिया है तो ये फॉर्मूला 

अगर होम लिया है तो फिर कैसे आयकर छूट का लाभ मिलेगा? अगर होम लोन चल रहा है तो फिर आयकर की धारा 80c के तहत 1.5 लाख रुपये तक के मूल भुगतान के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं. इसके अलावा होम लोन पर चुकाये गए ब्याज पर सेक्शन 24B के तहत 2 लाख रुपये तक अतिरिक्त टैक्स छूट भी मिलता है. इसका मतलब है कि कुल 3.5 लाख रुपये तक टैक्स बेनिफिट्स ले सकते हैं. वहीं अगर होम लोन संयुक्त रूप से लिया है, इसमें पति-पत्नी,या फिर दो भाई होने पर दोनों अलग-अलग टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए करदाता को इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) में लोन और उसकी ब्याज अदायगी के बारे में बताना होगा. प्रूफ के तौर संबंधित बैंक से इंटरेस्ट लेटर लेकर उसे जमा करना होगा. 

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माता-पिता के घर में रहते हुए टैक्स बचत का फॉर्मूला

वहीं अगर आप माता-पिता के घर में रहते हैं तो उन्हें भी हर महीने किराये देकर टैक्स बचा सकते हैं. शर्त ये है कि उन्हें वास्तव में किराये दें, और उसकी जानकारी आयकर विभाग को दें. अगर किराया सालाना 1 लाख रुपये से ज्यादा देते हैं तो आयकर छूट में लाभ के लिए माता-पिता के पैन नंबर को फॉर्म में भरना होगा. साथ ही रेंट एग्रीमेंट को भी लगाना होगा. इसके बाद किराये की राशि माता-पिता की आय में जुड़ जाती है. अगर माता-पिता को कोई दूसरी आमदनी नहीं है तो फिर इस आय पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इस तरह आप माता-पिता के साथ रहते हुए HRA का पूरा लाभ ले सकते हैं.

 

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