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Moody's Report: निकल पड़ी है भारत की गाड़ी, कोई नहीं टक्कर में... अगले 5 साल तक जारी रहेगा कमाल!

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की तेज रफ्तार को लेकर तारीफ की, तो वहीं इस तेजी के इस रास्ते में ब्यूरोक्रेट्स के रवैये को ब्रेकर भी करार दिया है. एजेंसी की ओर से सरकार को साफ संकेत दिया गया है कि वो फैसले लेने की प्रक्रिया में लेट-लतीफी से बचने की कोशिश करे.

मूडीज के मुताबिक तेजी से आगे बढ़ती रहे भारतीय अर्थव्यवस्था मूडीज के मुताबिक तेजी से आगे बढ़ती रहे भारतीय अर्थव्यवस्था
आदित्य के. राणा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2023,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

दुनियाभर में छाई आर्थिक सुस्ती के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पूरे दमखम और जोश के साथ तेजी से दौड़ रही है. इसकी गवाही केवल सरकारी आंकड़े ही नहीं दे रहे हैं, बल्कि दुनिया की दिग्गज एजेंसियां भी भारतीय इकोनॉमी का लोहा मान रही हैं. अब क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody's) ने कहा है कि भारत की GDP 2022 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा रही है और ये अगले 5 साल तक ये G20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा. 

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ब्यूरोक्रेट्स का रवैया बना ग्रोथ में ब्रेकर!
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को लेकर तारीफ की, तो वहीं इस तेजी के रास्ते में ब्यूरोक्रेट्स के रवैये को ब्रेकर भी करार दिया है. अमेरिकी रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, फैसले लेने की प्रक्रिया में शामिल नौकरशाही का लेट-लतीफी वाला रवैया भारत में FDI आने की स्पीड को घटा सकता है. मूडीज के मुताबिक, भारत की आर्थिक रफ्तार पर नौकरशाही की तरफ से लगाई जाने वाली अड़चनें लगाम लगा सकती हैं.

लाइसेंस लेने और कारोबार शुरू करने की मंजूरी प्रक्रिया में नौकरशाही की धीमी स्पीड प्रोजेक्ट्स के शुरू होने के वक्त को बढ़ा सकती हैं. इससे इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे दूसरे विकासशील देशों के मुकाबले एक एफडीआई डेस्टिनेशन के तौर पर भारत का आकर्षण कम हो सकता है. 

भारत की युवा शक्ति ने किया कमाल!
रिपोर्ट के जरिए रेटिंग एजेंसी Moody's की तरफ से सरकार को साफ संकेत दिया गया है कि वो फैसले लेने की प्रक्रिया में लेट-लतीफी से बचने की कोशिश करे. इस ब्रेकर के बने रहने के बावजूद भारत की आर्थिक रफ्तार के तेज होने की कई वजहों पर भी वैश्विक एजेंसी ने फोकस किया है.

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इनमें भारत की बड़ी युवा और शिक्षित मैनपावर, छोटे परिवारों की बढ़ती संख्या और शहरीकरण से घर, सीमेंट और नई कारों के लिए बढ़ती मांग शामिल हैं. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकारी खर्च बढ़ने से लोहे और सीमेंट कारोबार और नेट जीरो उत्सर्जन से नवीकरणीय ऊर्जा में भी इन्वेस्टमेंट में इजाफे का भी अनुमान है. 

मैन्युफैक्चरिंग-इंफ्रास्ट्रक्चर का डबल ग्रोथ इंजन!
रिपोर्ट के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में डिमांड के दम पर 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से से बढ़ेगी. हालांकि इस तेज तरक्की के बावजूद भारत की क्षमता 2030 तक चीन से कम रहने का दावा इस रिपोर्ट में किया गया है.

मूडीज के मुताबिक क्षेत्रीय व्यापार समझौतों को लेकर भारत के सीमित उदार रवैये का भी विदेशी निवेश आकर्षित करने पर असर पड़ेगा. हालांकि, भ्रष्टाचार पर नकेल कसने, आर्थिक गतिविधियों को संगठित करने, टैक्स कलेक्शन और प्रशासन को बेहतर करने की सरकारी कोशिशें उत्साहजनक हैं लेकिन इन कोशिशों के असर को लेकर जोखिम भी बढ़े हैं.

 

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