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'हफ्ते में 70 घंटे काम...', चीन-जापान को पीछे छोड़ने के लिए नारायणमूर्ति ने दिया ये फॉर्मूला

मौजूदा समय में भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है, जबकि हमारा सबसे ज्यादा मुकाबला चीन से है. ऐसे में इसलिए युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना होगा, जैसा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने किया था.

नारायण मूर्ति की बड़ी सलाह नारायण मूर्ति की बड़ी सलाह
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST

देश के अधिकतर सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में 8 से 9 घंटे का वर्किंग कल्चर है. लेकिन देश के बड़े उद्योगपति और दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति (N R Narayana Murthy) की सलाह है कि देश का युवा हर रोज करीब 12 घंटे काम करें, ताकि भारत तेजी से तरक्की करे. 

नारायणमूर्ति का कहना है कि जब देश का युवा हफ्ते में 70 घंटे काम करेंगे, तभी भारत उन अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेगा, जिन्होंने पिछले दो से तीन दशकों में कामयाबी हासिल की है. नारायणमूर्ति ने पॉडकास्ट 'द रिकॉर्ड' के लिए इंफोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पई से बात करते हुए ये बात कही. 

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उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है, जबकि हमारा सबसे ज्यादा मुकाबला चीन से है और इसलिए युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना होगा, जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने किया था.

वर्क प्रोडक्टिविटी में सुधार के अलावा भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा, इसके लिए सरकार को कदम उठाने होंगे. अगर हमें प्रगतिशील देशों से मुकाबला करना है कि नौकरशाही को दुरस्त करना होगा. किसी काम को लेकर नौकरशाही के स्तर पर देरी नहीं होनी चाहिए. इसलिए युवाओं को कहना चाहिए कि यह मेरा देश है, और मैं हफ्ते में 70 घंटे काम करूंगा. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मन और जापानियों ने भी यही किया था. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक जर्मन अतिरिक्त घंटे काम करे. 

इसलिए सरकार अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, लेकिन देश के लोगों को आगे बढ़कर योगदान देना होगा. मुझे लगता है कि जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, बेचारी सरकार क्या कर सकती है?

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'युवाओं को आगे आना होगा'

जब उनसे आजादी के 75वें वर्ष में भारत के युवाओं के लिए उनके संदेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पिछले 300 सालों में पहली बार, भारत को राष्ट्रों की समिति की नजरों में कुछ सम्मान मिला है. उस सम्मान को मजबूत करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है, खासकर युवाओं की.इंफोसिस के प्रमुख ने बताया कि वर्क प्रोडक्टिविटी में चीन एक जीता-जागता उदाहरण है, जहां भारत के मुकाबले लोग ज्यादा देर तक काम करते हैं. इसलिए देश के सभी युवाओं से मेरा अनुरोध है कि इसे महसूस करें और अगले 20 से 50 सालों तक दिन में 12 घंटे काम करें. ताकि भारत GDP के मामले में नंबर एक या दो बन जाए.

इसके अलावा 77 साल के नारायणमूर्ति ने एक दिलचस्प किस्सा भी सुनाया, उन्होंने बताया कि कैसे टेक्नोलॉजी ने हमारी लाइफ को आसान बना दिया है. पहले राशन खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब एक क्लिक पर घर पहुंच जाता है.

टेक्नोलॉजी की उपलब्धि बताते हुए नारायणमूर्ति ने कहा कि एक दिन उनका रसोइया कहता है, 'सर, आपका डायबिटीज से बचाने वाला आटा कुछ दिन में खत्म हो जाएगा. अभी ऑर्डर करने की जरूरत पड़ेगी. मूर्ति ने रसोइए को पास बिठाया और अमेजन से ऑर्डर किया'. नारायण मूर्ति ने बताया, 'मेरा रसोइया युवा है और ओडिशा से है. उसे ऑनलाइन ऑर्डर के बारे में पता है, उसको पता था कि 2 महीने के लिए कितना आटा चाहिए. उसने तुरंत ऑर्डर कर दिया. इससे समझ आता है कि टेक्नोलॉजी कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है.'

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याद आए पुराने दिन
उन्होंने कहा कि वर्षों पहले जब टेक्नोलॉजी नहीं थी कि तब मेरे चाचा गांव से शहर राशन लेने जाते थे. अब टेक्नोलॉजी को इसको आसान बना दिया है, इसलिए टेक्नोलॉजी को हमें धन्यवाद कहना चाहिए. उन्होंने कहा, 'एक समय था जब रात 10 बजे होम डिलीवरी की कल्पना संभव नहीं थी. मेरे रसोइए ने जब आटा ऑर्डर किया उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. एक समय ऐसा भी था जब शाम होते ही मार्केट बंद हो जाते थे. अब तो आप आधी रात को अपना मन-पसंद खाना खा सकते हैं. टेक्नोलॉजी से हर सेक्टर में फायदा हो रहा है.'

1981 में की थी इंफोसिस की शुरुआत
इंफोसिस के को-फाउंडर एन.आर. नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त 1946 को कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले के शिदलाघट्टा शहर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था.

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