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बीमा पॉलिसी के नाम पर बेकार तो नहीं जा रही आपकी मोटी रकम! न सही बीमा कवर और न निवेश का फायदा 

ज्यादातर लोग एंडोमेंट जैसी ऐसी हाइब्रिड बीमा योजनाओं में पैसा लगाते हैं जिनमें न तो सही बीमा कवर मिलता है और न ही इस पर सही रिटर्न मिलता है. बीमा को असल में निवेश का साधन मानना ही बुनियादी गलती है.

बीमा को निवेश समझना सही नहीं है बीमा को निवेश समझना सही नहीं है
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली ,
  • 12 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST
  • बीमा को भारत में लोग निवेश का साधन मान लेते हैं
  • ज्यादातर बीमा योजनाओं में देना पड़ता है मोटा प्रीमियम
  • इन पर न तो सही बीमा लाभ मिलता है, न ही अच्छा रिटर्न

देश में बीमा इंडस्ट्री काफी फल-फूल रही है. लोग अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा बीमा योजनाओं में लगा देते हैं, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ज्यादातर लोग एंडोमेंट जैसी ऐसी हाइब्रिड बीमा योजनाओं में पैसा लगाते हैं जिसमें न तो सही बीमा कवर मिलता है और न ही इस पर सही रिटर्न मिलता है. बीमा को असल में निवेश का साधन मानना ही बुनियादी गलती है. आइए समझते हैं कि इसमें क्या गड़बड़ है?

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क्यों लिया जाता है बीमा कवर 

हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य और जरूरतें अलग-अलग होती हैं. इसलिए बीमा कवर भी अलग-अलग तरह की होती है. इसके अलावा अलग-अलग उम्र के मुताबिक भी जीवन बीमा पॉलिसी की जरूरत अलग-अलग होती है. लेकिन ज्यादातर मामलों में कोई व्यक्ति बीमा पॉलिसी इसीलिए लेता है कि किसी दुर्भाग्यपूर्ण वजह से यदि वह नहीं रहता है तो उसके परिवार को कोई आर्थिक समस्या न आए और उनको मदद मिल सके. 

मान लीजिए किसी परिवार में मिस्टर ए पैसा कमाने वाले मुख्य व्यक्ति हैं. हर महीने मकान की ईएमआई, बच्चों की फीस, राशन, आदि सभी खर्च उनकी कमाई से होता है. उनकी अचानक किसी दुर्घटना में मौत हो जाती है. इसके बाद उनका परिवार में बहुत दिन तक भावनात्मक भूचाल रहेगा, लेकिन फिर आएगी भौतिक जरूरतें. इसके बाद उनके ईएमआई, बच्चों की फीस, राशन आदि का खर्च कौन देगा? ऐसी जरूरतों के लिए ही बीमा की रकम होती है. 

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निवेश का मतलब क्या है

निवेश का मतलब ऐसे साधन में पैसा लगाने से है, जहां आपको नियमित रूप से अच्छा रिटर्न मिले या एक लंबे समय के बाद आपको अच्छी-खासी रकम वापस मिले. निवेश के साधनों में म्यूचुअल फंड, FD, डेट इंस्ट्रुमेंट जैसे बॉन्ड, शेयर, ज्वैलरी, सीओडी यानी सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट आदि आते हैं.  

इन सब साधनों में या तो आपको हर महीने अच्छा रिटर्न मिलता है या आपको चक्रवृद्धि रिटर्न का फायदा मिलता है, जिससे आपको 10-15 साल में मोटी रकम मिल जाती है. अक्सर लोग रिटायरमेंट को बेहतर बनाने, बच्चों की शादी या उनके हायर एजुकेशन को ध्यान में रखकर ऐसा निवेश करते हैं. 

निवेश नहीं है बीमा 

भारत में समस्या यह है कि बहुत से लोग बीमा पॉलिसी को निवेश का साधन समझकर उसमें अपनी गाढ़ी कमाई लगा देते हैं. यहां तक कि लोग बच्चों के नाम पर भी बीमा पॉलिसी लेते हैं, जिनको वास्तव में किसी तरह की बीमा कवर की जरूरत नहीं होती. बीमा का उद्देश्य अलग होता है. इसका उद्देश्य होता है जोखिम के लिए कवर देना. 

जीवन बीमा को अच्छा निवेश नहीं माना जाता है. इसमें आपको पैसाा लगाने पर अच्छा रिटर्न नहीं मिलता. इसी तरह ज्यादातर लोग एंडोमेंट जैसी ऐसी हाइब्रिड बीमा योजनाओं में पैसा लगाते हैं जिनमें न तो पर्याप्त बीमा कवर मिलता है और न ही इस कथित निवेश पर सही रिटर्न. 

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मोटा प्रीमियम कम फायदा 

ज्यादातर एंडोमेंट जैसे बीमा प्लान में लोगों को बहुत ज्यादा रकम का निवेश करना पड़ता है और उसे इसकी तुलना में फायदा कम मिलता है. उदाहरण के लिए मान लिजिए रोहित नाम के किसी व्यक्ति की उम्र 35 साल है. वह एलआईसी का न्यू जीवन आनंद प्लान लेता है. वह 5 लाख रुपये के सम एश्योर्ड के लिए 20 साल के टर्म के लिए यह पॉलिसी लेता है. तो उसे इस पर सालाना करीब 30,273 रुपये का प्रीमियम देना होगा. 

यदि रोहित पूरे पॉलिसी टर्म 20 साल तक जिंदा रहता है तो उसे अंत में बोनस के साथ करीब 9.60 लाख रुपये हासिल होंगे. लेकिन यदि पॉलिसी टर्म के दौरान उसकी मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को सम एश्योर्ड बोनस आदि के साथ करीब 10.60 लाख रुपये मिलेंगे. 

यानी 20 साल तक कुल 30273X20 यानी करीब 6.05 लाख रुपये जमा करने पर उसे करीब 10 लाख रुपये ही मिलेंगे. ध्यान रहे कि रोहित की अभी अगर मासिक खर्च 50 हजार रुपये की महीने की है और यही खर्च उसकी बने रहे तो भी 20 साल बाद उसे इसके कम से तिगुने यानी 1.5 लाख रुपये महीने के रकम की जरूरत होगी, अगर महंगाई 6 फीसदी भी मान लें तो. 

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ऐसी पॉलिसी में निवेश करने से न तो बीमा के हिसाब से ज्यादा फायदा मिलता है और न निवेश के हिसाब से. इस तरह से निवेश के लिहाज से तो बीमा घाटे के सौदे जैसा है. इतनी रकम यदि कोई किसी म्यूचुअल फंड के लॉन्ग टर्म प्लान में डाल दे तो उसे अच्छा खासा रिटर्न मिलेगा. 

उदाहरण के लिए यदि कोई किसी म्यूचुअल फंड में हर महीने 2500 रुपये की भी सिप के द्वारा निवेश शुरू करता है तो वह एक साल में 30000 और पूरे 20 साल में 6 लाख रुपये का निवेश करेगा. यदि उसे सालाना 8 फीसदी का भी चक्रवृद्धि रिटर्न मिले तो यह रकम लाख 14.82 लाख रुपये की हो जाएगी. किसी भी अच्छे इक्विटी फंड में लॉन्ग टर्म में 10 से 12 फीसदी का रिटर्न मिल जाता है.

इसी तरह सोने की बात करें तो यह साल 2001 में 5000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था और अब यह करीब 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है, यानी इसमें अगर 20 साल पहले किसी ने 1 लाख रुपये लगाया होता तो उसकी कीमत आज करीब 10 लाख रुपये हो जाती. 
यानी निवेश के लिहाज तो बीमा किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है और दूसरे विकल्प ज्यादा बेहतर हैं. 

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बीमा के लिए टर्म पॉलिसी लें 

बीमा की टर्म पॉलिसियां ऐसी होती हैं, जिनको आपको अपने जीते जी एक पैसे का फायदा नहीं मिलता, लेकिन आपकी मौत के बाद आपके परिजनों यानी नॉमिनी को रकम मिलती है. कई जानकार यह कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपनी सालाना आय का करीब 10 गुना बीमा कवर लेना चाहिए. यानी अगर किसी की सालाना आय 5 लाख रुपये है तो उसे कम से कम 50 लाख की पॉलिसी लेनी चाहिए. यह टर्म पॉलिसी के द्वारा ही हो सकता है. बाकी किसी पॉलिसी में आप इतने रकम के बीमा कवर के लिए प्रीमियम का भुगतान कर ही नहीं पाएंगे. 

अब आपको टर्म पॉलिसी का उदाहरण समझाते हैं. मान लीजिये रोहित अपने लिए एलआईसी की जीवन अमर टर्म पॉलिसी लेता है तो 25 लाख रुपये के सम एंश्योर्ड के लिए हर साल करीब 5300 रुपये का प्रीमियम ही देना होगा. वह 20 साल में कुल सिर्फ 1.06 लाख रुपये की रकम देगा और उसके परिवार को इसके बदले 25 लाख रुपये का बीमा कवर हासिल होगा.

ध्यान रहे कि 20 साल तक यदि रोहित जिंदा रहता है तो उसे अंत में कुछ नहीं मिलेगा. यानी उसकी 1.06 लाख रुपये की यह रकम आप समझ लीजिये कि डूब जाएगी. लेकिन यह सोचिए कि इस बीच यदि खुदा न खास्ता रोहित को कुछ हो जाता है तो उसके परिवार को जो 25 लाख रुपये की रकम मिलेगी वह कितना बड़ा सहारा साबित होगी.

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अगर वह किसी एंडोमेंट प्लान या अन्य बीमा प्लान में इतना पैसा लगाता तो भी उसे 2 लाख रुपये के आसपास ही हासिल होते. आज के 20 साल बाद 2 लाख रुपये की कोई खास वैल्यू नहीं होगी, लेकिन इस बीच 25 लाख रुपये की तो बड़ी वैल्यू है. 

इसलिए अगर आप सिर्फ अपने परिवार को बीमा सुरक्षा देना चाहते हैं, तो आपको टर्म पॉलिसी का चुनाव करना चाहिए. अगर रोहित टर्म पॉलिसी पर सालाना करीब 18 हजार रुपये का प्रीमियम दे देता है उसे एलआईसी की 1 करोड़ रुपये बीमा कवर वाली पॉलिसी मिल सकती है यानी उसके उसके परिवार को पूरे एक करोड़ का इंश्योरेंस कवर. इसके लिए उसे 20 साल में सिर्फ 3.60 लाख रुपये खर्च करने होंगे. 

एंडोमेंट और टर्म प्लान की तुलना 

अब मान लीजिए कि रोहित एंडोमेंट प्लान पर 30,273 रुपये का जो सालाना का प्रीमियम देने वाला है, किसी एंडोमेंट प्लान खरीदने की जगह 25 लाख रुपये सम एश्योर्ड की LIC की टर्म पॉलिसी लेता है तो उसे सिर्फ करीब 5300 रुपये का सालाना प्रीमियम देना होगा. यानी उसका करीब 25000 रुपये सालाना की बचत होगी.

अब यदि इस 25 हजार रुपये को वह हर महीने 2 हजार रुपये के हिसाब से किसी म्यूचुअल फंड की इक्विटी योजना में SIP के द्वारा लगाता है जिस पर लॉन्ग टर्म में आसानी से 10 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है, तो उसे 20 साल के अंत में इस निवेश से आसानी से 15 लाख रुपये से ज्यादा की रकम हासिल हो सकती है.

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इस तरह अब रोहित ने समझदारी से निवेश किया तो उसे 20 साल बाद 15 लाख की रकम भी मिल गयी और उसके परिवार को 25 लाख रुपये का बीमा भी. यानी उसे एंडोमेंट प्लान से ज्यादा रकम भी मिल सकती है और साथ में 25 लाख की अच्छी रकम का बीमा कवर भी. 

 

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