
चाहे घर बनाना (Home Construction) हो या कोई और कंस्ट्रक्शन, मजबूती के लिए सरिया (Iron Rod) सबसे जरूरी चीज है. घरों की छत, बीम और कॉलम आदि बनाने में सरिये का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. अभी कुछ ही समय पहले तक सरिये का भाव (Saria Rate) आसमान छू रहा था. हालांकि अभी राहत की बात है कि बीते कुछ दिनों से सरिये का भाव रोज कम हो रहा है. कुछ समय पहले 80 हजार रुपये क्विंटल के पार बिक रहा सरिया अभी करीब 60 हजार रुपये क्विंटल तक गिर चुका है.
इतना सस्ता हो गया है सरिया
दरअसल सरकार ने स्टील पर हाल ही में एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) बढ़ा दी है. इसके कारण घरेलू बाजार में स्टील के उत्पादों (Steel Products) के दाम तेजी से गिरे हैं. सरिया की कीमतों में आई कमी की भी मुख्य वजह यही है. गिरावट का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अप्रैल में एक समय सरिया का खुदरा भाव 82 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच गया था, जो अभी कम होकर 62-63 हजार रुपये प्रति टन पर आ गया है. ब्रांडेड सरिये का भाव भी पिछले कुछ महीने में 5-6 हजार रुपये क्विंटल कम हो चुका है. अभी ब्रांडेड सरिया का भाव भी कम होकर 92-93 हजार रुपये प्रति टन पर आ गया है. एक महीने पहले इनका भाव 98 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच गया था.
सरिया की खुदरा कीमत (रुपये प्रति टन):
नवंबर 2021 : 70000
दिसंबर 2021 : 75000
जनवरी 2022 : 78000
फरवरी 2022 : 82000
मार्च 2022 : 83000
अप्रैल 2022 : 78000
मई 2022 (शुरुआत) : 71000
मई 2022 (अंतिम सप्ताह): 62-63000
सरकार के प्रयास और मौसम मेहरबान
सरकार ने आसमान छूती महंगाई (Inflation) को कम करने के लिए डीजल और पेट्रोल पर टैक्स (Diesel Petrol Duty Cut) भी घटाया है. इसके बाद घरेलू बाजार में स्टील की कीमतें नियंत्रित करने के लिए इसके निर्यात पर टैक्स बढ़ा दिया गया. ये फैक्टर्स सरिये के भाव को गिराने में योगदान दे रहे हैं. सरकार के प्रयासों के अलावा भी कुछ फैक्टर अनुकूल हैं. बारिश का मौसम शुरू होते ही निर्माण कार्यों में कमी आने लगती है, जिससे बिल्डिंग मटीरियल्स की डिमांड खुद ही कम होने लगती है. मार्केट में जैसे ही डिमांड गायब होती है, सरिया समेत अन्य बिल्डिंग मटीरियल्स के दाम गिरने लग जाते हैं.
इन कारणों से भी कम हुई कीमत
रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) के बुरे हालात भी इस समय सहयोग कर रहे हैं. एक के बाद एक कई बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां (Real Estate Companies) दिवालिया हो रही हैं. नए प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग ऑलमोस्ट ठप है. डेवलपर्स (Developers) के कई पुराने प्रोजेक्ट लटके हुए हैं. छोटे बिल्डर (Builders) भी प्रोजेक्ट नहीं ला रहे हैं. इस कारण ईंट, सीमेंट, सरिया यानी छड़, रेत जैसी चीजों की डिमांड निचले स्तर पर है. बारिश के मौसम में आम लोग भी घर बनाना पसंद नहीं करते हैं.