
गोल्ड पर आयात ड्यूटी (Import Duty) घटने से बीते कुछ दिनों से सोने की कीमतों में गिरावट का दौर देखा जा रहा है. लेकिन इसके पहले बीते कुछ साल के दौरान गोल्ड की कीमतों ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है. वहीं अगर डायमंड (Diamond) की बात करें तो इसके कीमतों ने पिछले 2 साल में गहरा गोता लगाया है. इन दो साल में लैब में बने यानी LGD और नैचुरल डायमंड दोनों तरह के हीरों की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है.
आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2022 में LGD की कीमत 300 डॉलर यानी करीब 35 हजार रुपये प्रति कैरेट थी, जो इस महीने गिरकर 78 डॉलर यानी करीब 6 हजार 529 रुपये प्रति कैरेट पर आ गई है. वहीं प्राकृतिक हीरे की कीमत में भी 25 से 30 फीसदी की गिरावट देखी गई है.
सूरत में रोजगार का संकट!
हीरा कारोबारियों का कहना है कि दो साल में हीरे के दाम में लगातार जारी गिरावट ने कारोबार की चुनौतियों को बढ़ा दिया है. इस दौरान सोने की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है, अमेरिकी अर्थव्यवस्था और पश्चिमी देशों में मंदी का असर रहा है और चीन के खरीदारी पैटर्न में अचानक बदलाव आए हैं.
इन सब वजहों से डायमंड की कीमतों में आई गिरावट ने कारोबारियों को मायूस कर दिया है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक देश के डायमंड हब सूरत में काम करने वाले 38 हजार श्रमिकों से लेकर छोटे और मध्यम कारोबार और बड़े उद्यमों तक सभी को नुकसान हुआ है.
चीन ने घटाई खरीद
चीन ने अब हीरों के आयात में दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी है. पहले के मुकाबले ड्रैगन महज 10 से 15 फीसदी हीरे ही खरीद रहा है. ऐसे में इस साल अप्रैल-मई के दौरान रत्न और आभूषणों का कुल निर्यात करीब 39 हजार 123 करोड़ रुपये रहा जो 2023 के इन 2 महीनों के मुकाबले 5.9 फीसदी कमी है.
कटे और पॉलिश किए गए हीरों में साढ़े 15 परसेंट की गिरावट देखी गई और ये घटकर 2627 मिलियन डॉलर रह गया. पॉलिश किए लैब ग्रोन हीरों में भी साढ़े 15 परसेंट की गिरावट आई है और ये अप्रैल-मई 2023 के 241.6 मिलियन डॉलर से घटकर इस साल इन 2 महीनो में 204.2 मिलियन डॉलर रह गया है. हीरे की कीमत में आ रही कमी के कारण ऑर्डर कम कीमत पर ही देने पड़ रहे हैं जिससे हीरा कारोबारियों को नुकसान हो रहा है. इसका असर हीरा उद्योग में काम करने वाले 50 लाख लोगों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है क्योंकि बीते 22 महीनों से इनकी कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है.