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Leave Encashment: कितनी छुट्टियों का ले सकते हैं पैसा? इस आधार पर कंपनियां करती हैं भुगतान

कंपनियां अपने कर्मचारियों को कई तरह की छुट्टियां देती हैं. इनमें से कुछ को कर्मचारी कैश करा सकते हैं, लेकिन हर कंपनी में इसको लेकर नियम अलग-अलग होते हैं. छुट्टियों का भुगतान किस आधार पर किया जाता है. इसे समझ लीजिए.

किस आधार पर मिलता है छुट्टियों का पैसा. किस आधार पर मिलता है छुट्टियों का पैसा.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

किसी भी कंपनी में कर्मचारियों (Employees) को कुछ छुट्टियां (Leave) मिलती हैं. इनमें ऐसी भी छुट्टियां शामिल होती हैं, जिन्हें आप नहीं ले पाते हैं तो उसके बदले पैसा मिलता है. सैलरी स्ट्रक्चर (Salary Structure) में इस बात की जानकारी दी जाती है. इसे लीव इनकैशमेंट (Leave Encashment) कहा जाता है. लेकिन एक साल में कितनी छुट्टियों को आप कैश करा सकते हैं, इस बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. कंपनी किस आधार पर छुट्टियों को एन्कैश करती है ये आपको मालूम होना चाहिए.

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कितने तरह की होती हैं छुट्टियां

ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की कंपनियां अपने कर्मचारियों को कई तरह की छुट्टियां देती हैं. इनमें सिक लीव (Sick Leave), कैजुअल (Casual Leave), अर्न्ड लीव (Earned) और प्रिवलेज (Privilege Leave). इनमें से अगर सिक और कैजुअल लीव को आप एक कैलेंडर ईयर में इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो ये लैप्स हो जाती हैं. लेकिन अर्न्ड लीव और प्रिवलेज लीव के बदले में पैसा लिया जा सकता है. मतलब आप इन्हें एन्कैश करा सकते हैं. हालांकि, इन छुट्टियों को एन्कैश करने के नियम कंपनी में अलग-अलग हो सकते हैं. 

कितने दिनों की छुट्टियां होती हैं कैश

सामान्य रूप से एक कैलेंडर ईयर में मैक्सिमम 30 छुट्टियों को एन्कैश कराने का नियम होता है. सरकार की तरफ से भी भी एक साल में 30 छुट्टियों के लीव इनकैशमेंट पर छूट मिलती है. हालांकि, इस मामले में कंपनियों के नियम अलग-अलग हो सकते हैं. कई कंपनियां साल खत्म होने के बाद ही छु्ट्टियों को एन्कैश कर देती हैं. वहीं, कुछ कंपनियां कर्मचारी के इस्तीफे के बाद फुल एंड फाइनल में छुट्टियों के पैसे देती हैं. 

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किस आधार पर होता है भुगतान?

अब सवाल है कि छुट्टियों का पैसा किस आधार पर मिलता है. सबसे पहले इस भ्रम को दूर कर लीजिए कि एक दिन के हिसाब से लीव का भुगतान किया जाता है. दरअसल, लीव इनकैशमेंट कर्माचारियों की बेसिक सैलरी और डीए पर निर्भर करता है. उसी हिसाब से भुगतान किया जाता है. हालांकि, लीव एन्‍कैशमेंट के लिए कोई सरकारी नियम होता है. लीव एन्‍कैशमेंट की सुविधा कंपनियों पर निर्भर करता है.

क्या लगता है टैक्स?

लीव एन्‍कैशमेंट टैक्स के दायरे में आता है. इसे कर्मचारियों की सैलरी का हिस्सा माना जाता है. अगर आप नौकरी में रहते हुए छुट्टियां कैश कराना चाहते हैं, तो इसे आपकी सैलरी का हिस्सा माना जाता है. इसके एक कैलेंडर ईयर खत्म होने के बाद ही एक बार रीडीम किया जा सकेगा. 
 

 

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