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Mutual Fund Tips: घबराना नहीं है... शेयर बाजार में गिरावट से SIP न रोकना और न बेचना, क्योंकि...

एक्सपर्ट्स की मानें लंबी अवधि के निवेशकों को बिल्कुल नहीं घबराना चाहिए, उन्हें बस जिस लक्ष्य के लिए निवेश शुरू किया है, उसे ध्यान में रखते हुए SIP जारी रखनी चाहिए.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

जब तक मुनाफा हो रहा है तब तक बहुत अच्छा, लेकिन जैसे ही पोर्टफोलियो हरा से लाल रंग का हुआ तो अधिकतर रिटेल निवेशक घबराने लगते हैं. जिसके बाद आनन-फानन में या तो बेचकर बाहर निकल लेते हैं, या फिर निवेश को रोक देते हैं. यहां हम बात कर रहे हैं म्यूचुअल फंड निवेशक के बारे में.

लेकिन क्या गिरावट के दौर में म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) निवेशक को फंड बेचकर बाहर निकलना सही फैसला होता है, या फिर गिरावट के समय निवेश को रोक देना सही है? अगर आप भी ऐसा करते हैं तो फिर इस खबर को जरूर पढ़ें.

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कोरोना संकट एक बड़ा उदाहरण... 

आपको पहले एक उदाहरण से समझाने की कोशिश करते हैं... कोरोना महामारी से देश को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ था. उस समय शेयर बाजार (Share Market) में करीब 40 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी. हड़कंप मच गया था, लग रहा था कि सबकुछ तबाह हो जाएगा. इस दौर में घबराकर अधिकतर लोगों ने म्यूचुअल फंड में SIP रोक दी. पोर्टफोलियो में गिरावट देख बहुत ऐसे भी निवेशक थे, जो म्यूचुअल फंड को औने-पौने दाम में बेचकर निकल लिए. ऐसा इसलिए हुआ कि निवेशकों के मन में डर समा गया था कि और गिर गया तो क्या होगा?

लेकिन ये सिक्के का एक पहलु था... दूसरा पहलु ये है कि कोरोना संकट के दौरान जो निवेशक धैर्य के साथ बने रहे और गिरावट में निवेश को बढ़ाने का काम किया. उनसे आज पूछिए तो पता चलेगा कि उन्हें कितना बड़ा मुनाफा हुआ है. जबकि अधिकतर लोग नुकसान उठाकर ही म्यूचुअल फंड से बाहर हो गए. जिनके लिए म्यूचुअल फंड एक घाटे का सौदा साबित हुआ. लेकिन हकीकत ये है कि ऐसे निवेशकों को सही से मार्गदर्शन नहीं हो पाया. 

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पोर्टफोलियो लाल होने पर क्या करें?

दरसअल पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार में थोड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. इस बीच नए रिटेल निवेशकों में ये सवाल आम हो गया है कि म्यूचुअल फंड में निवेश को अभी रोक देना चाहिए. क्योंकि मुनाफा तो हो नहीं रहा है. लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें लंबी अवधि के निवेशकों को बिल्कुल नहीं घबराना चाहिए, उन्हें बस जिस लक्ष्य के लिए निवेश शुरू किया है, उसे ध्यान में रखते हुए SIP जारी रखनी चाहिए.

यही नहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि जब बाजार में गिरावट आए, तब निवेश को बढ़ाने का मौका होता है. बाजार के गिरावट में बेहतर फंड में SIP शुरू भी कर सकते हैं. क्योंकि जैसे ही शेयर बाजार में तेजी आएगी, म्यूचुअल फंड निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलेगा. जब शेयर की कीमत कम रहती है तो म्यूचुअल फंड में निवेश पर ग्राहकों को ज्यादा यूनिट मिलते हैं, जिससे अधिक पैसे बनते हैं.

उदाहरण के तौर पर अगर आप फिलहाल 500 रुपये किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. मान लीजिए जिस फंड में निवेश कर रह हैं उसकी एक यूनिट की कीमत अभी गिरकर 20 रुपये है. ऐसे में इस निवेश पर आपको करीब 25 यूनिट मिल जाएंगे. लेकिन अगर बाजार ऊपर रहता तो फिर कम यूनिट मिलेगा, यानी ज्यादा यूनिट मिलने से ज्यादा रिटर्न मिलता है.

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लंबी अवधि में तगड़ा मुनाफा 

दरअसल, म्यूचुअल फंड में गिरावट शॉर्ट टर्म निवेशक भले ही झटका दे सकता है. लेकिन लंबी अवधि में कभी नुकसान नहीं होता है. लंबी अवधि में कम से कम 7 साल का नजरिया होना चाहिए. क्योंकि शेयर बाजार में भले कुछ समय के लिए गिरावट देखने को मिले, लेकिन लंबी अवधि में बाजार ने पैसा बनाकर दिया है. इसलिए अगर आपको लग रहा है कि आपको इन्वेस्टमेंट में नुकसान हो रहा है तो ऐसे समय में बिल्कुल म्यूचुअल फंड से पैसे नहीं निकालें.

एसआईपी क्या है?
एसआईपी का मतलब (सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान) है. यह निवेशकों को एक निश्चित रकम नियमित रूप से म्यूचुअल फंड की किसी स्कीम में निवेश करने की सुविधा देता है. म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत 500 रुपये महीने से की जा सकती है. लगातार म्यूचुअल फंड में निवेश से बड़ा फंड बनाया जा सकता है.

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