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50,000 रुपये महीने की सैलरी पर कितना टैक्स? जवाब- जीरो, ये है फॉर्मूला!

How to save tax: यह हर किसी का अधिकार है कि वह कानून के दायरे में ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाने (Tax Saving) के उपाय कर सके. इन उपायों को अपनाकर 50 हजार रुपये की मंथली सैलरी को भी टैक्सफ्री (Tax Free) बनाया जा सकता है.

ऐसे बचाएं इनकम टैक्स ऐसे बचाएं इनकम टैक्स
सुभाष कुमार सुमन
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:23 AM IST
  • 50 हजार की मंथली सैलरी पर भी टैक्स से बचाव संभव
  • पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में कई डिडक्शन का लाभ

अपनी आमदनी पर टैक्स (Income Tax) भरना हर नागरिक का फर्ज है. इन्हीं टैक्स के पैसों से सड़क-पुल जैसी बुनियादी सुविधाएं बनती हैं और देश का विकास होता है. इसके साथ ही यह हर किसी का अधिकार है कि वह कानून के दायरे में ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाने (Tax Saving) के उपाय कर सके. इन उपायों को अपनाकर 50 हजार रुपये की मंथली सैलरी को भी टैक्सफ्री (Tax Free) बनाया जा सकता है.

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पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में कई डिडक्शन का लाभ

भारत की मौजूदा कर व्यवस्था में दो तरह के विकल्प की व्यवस्था है. वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने नई कर प्रणाली (New Tax Regime) का ऐलान किया था. इस तरह अब दो प्रकार के कर स्ट्रक्चर हैं और टैक्सपेयर को इनमें से कोई भी चुनने की आजादी दी गई है. पुराने टैक्स स्ट्रक्चर (Old Tax Regime) में कई तरह के डिडक्शन (Tax Deductions) के विकल्प दिए गए हैं, जबकि नए स्ट्रक्चर में इनमें से ज्यादातर हटा दिए गए हैं.

एक्सपर्ट की राय-पुराना स्ट्रक्चर बेहतर

इस बारे में टैक्स एक्सपर्ट अनूप सिंह ने बताया कि अगर आपकी मंथली सैलरी (Monthly Salary) 50 हजार रुपये है और आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है तो सालाना आमदनी (Annual Income) 6 लाख रुपये हो जाती है. इस स्थिति में जब आप पुराना स्ट्रक्चर चुनते हैं तो इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी (IT Act 80C) के तहत 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन का लाभ मिल जाता है. इसके अलावा सैलरीड लोगों को 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी लाभ मिल जाता है.

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पुराने स्ट्रक्चर में नहीं बनती कोई देनदारी

पुराने स्ट्रक्चर में 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्सफ्री है. इसके बाद 2.5 लाख से पांच लाख के इनकम पर 5 फीसदी का टैक्स लगता है, लेकिन सरकार की ओर से 12,500 रुपये का रिबेट मिलने से यह भी शून्य हो जाता है. इसका अर्थ हुआ कि पुराने स्ट्रक्चर में 5 लाख रुपये तक की आय टैक्सफ्री है. 5 लाख से ऊपर की आमदनी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है, लेकिन आप 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं. यह व्यवस्था 6.5 लाख रुपये तक की आय को आसानी से टैक्सफ्री बना देती है.

नए स्ट्रक्चर में देना होगा इतना टैक्स

दूसरी ओर नया स्ट्रक्चर चुनना घाटे का सौदा साबित हो सकता है. नए स्ट्रक्चर में 6 लाख रुपये की सालाना सैलरी पर 23,400 रुपये की टैक्स देनदारी बनती है. इस स्ट्रक्चर में 2.50 लाख रुपये तक की इनकम टैक्सफ्री है. इसके बाद के 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगता है, जो 12,500 रुपये बनता है. आमदनी 5 लाख रुपये से 1 लाख रुपये ज्यादा है और यह 1 लाख रुपया 10 फीसदी के ब्रैकेट में आता है, तो इस पर 10 हजार रुपये की टैक्स देनदारी बनती है. इनके अलावा कलकुलेटेड टैक्स पर 4 फीसदी सेस बनता है. कलकुलेटेड टैक्स 12,500 रुपये है तो सेस 900 रुपये हो जाता है. इस तरह टोटल देनदारी 23,400 रुपये की हो जाती है.

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