
एक सर्वे (Survey) के मुताबिक भारत में बड़ी संख्या में कर्मचारियों को महंगाई (Inflation) का सामना करने के लिए इस साल इंक्रीमेंट का बेसब्री से इंतजार है. वैसे तो भारत में पिछले साल भी डबल डिजिट में वेतन बढ़ोतरी हुई थी. लेकिन जिस रफ्तार से 2022 में और 2023 की शुरुआत में महंगाई ने छलांग लगाई, उससे लोगों के लिए अपने इस वेतन में गुजर बसर करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में उन्हें इस साल फिर से डबल डिजिट में इंक्रीमेंट की उम्मीद है.
ये खुलासा कई एजेंसियों की रिपोर्ट में अनुमान के तौर पर सामने भी आया है. खास बात है कि भारत में होने वाला इंक्रीमेंट दूसरे देशों के औसत के मुकाबले भी ज्यादा है. इसके बावजूद भारतीय कर्मचारियों को लगता है कि उन्हें दूसरे देशों के कर्मचारियों के मुकाबले कम सैलरी मिल रही है. काम के मुकाबले कम सैलरी मिलने की बात कहना कोई नई बात नहीं है. दुनियाभर में ऐसा काफी लोग मानते हैं, लेकिन भारत में ऐसा मानने वालों का औसत ग्लोबल औसत के मुकाबले काफी ज्यादा है.
काम के बदले मिल रही है कम सैलरी!
ADP रिसर्च के सर्वे के मुताबिक भारत में 69 फीसदी भारतीय कर्मचारी मानते हैं कि उन्हें काम के हिसाब से कम सैलरी मिलती है. वहीं अगर इसकी तुलना ग्लोबल औसत से की जाए, तो दुनियाभर में ऐसा मानने वाले लोगों की तादाद इससे काफी कम 43 फीसदी है. भारतीयों के ऐसा मानने में कोई गलती भी नहीं है क्योंकि भारतीय कर्मचारी कर्मठ माने जाते हैं और हर हफ्ते में औसतन 10 घंटा 39 मिनट वो बिना वेतन के काम करते हैं. जबकि दुनिया में बेगार करने वाले कर्मचारियों को औसतन 8 घंटे से थोड़ा ज्यादा ही समय काम करना होता है.
पिछले साल भारत में सबसे ज्यादा लोगों की सैलरी बढ़ी
सर्वे के मुताबिक पिछले साल भारत में 78 फीसदी कर्मचारियों को सैलरी हाइक मिला था, जो 17 देशों में सबसे बड़ा आंकड़ा था. इसकी तुलना अगर दूसरे देशों से करें तो चीन में 50 फीसदी, सिंगापुर में 70 फीसदी और ऑस्ट्रेलिया में 66 फीसदी कर्मचारियों को ही वेतन बढ़ोतरी का फायदा मिला था. भारत में औसत वेतन बढ़ोतरी 7.2 फीसदी थी, जो उच्च महंगाई दर से जूझ रहे अर्जेंटीना के बाद सबसे ज्यादा थी. अर्जेंटीना की इस बड़ी वेतन बढ़ोतरी की वजह से ही लैटिन अमेरिकी देशों का औसत सैलरी इंक्रीमेंट के मामले में सबसे ज्यादा रहा था.
इस साल 90% को सैलरी हाइक का भरोसा
इस साल के हिसाब से बात करें तो भारत में 90 फीसदी कर्मचारियों को 2023 में इंक्रीमेंट मिलने का भरोसा है. यानी इस बरस, 2022 से भी ज्यादा लोगों की तनख्वाह में बढ़ोतरी होगी. वहीं 49 फीसदी लोगों को तरक्की मिलने की भी उम्मीद है. जबकि दुनियाभर में 83 फीसदी लोगों को इस बार सैलरी इंक्रीमेंट का भरोसा है. भारत में वेतन बढ़ोतरी का अनुमान 8.4 फीसदी है जबकि ग्लोबल औसत 8.3 फीसदी है. भारत में 20 फीसदी लोगों को 4 से 6 फीसदी, 19 फीसदी लोगों को 10 से 12 फीसदी वेतन बढ़ोतरी का भरोसा है.
पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा इंक्रीमेंट मिलेगा
इस बार भी पुरुषों को महिला कर्मचारियों के मुकाबले ज्यादा सैलरी मिलने की उम्मीद है. पुरुषों को इस साल औसतन 6.7 फीसदी और महिलाओं को 6 परसेंट इंक्रीमेंट मिलने की उम्मीद है. इसके बावजूद पुरुषों के मामले में 46 फीसदी का मानना है कि उनको काम के हिसाब से कम वेतन मिल रहा है. जबकि महिलाओं में ऐसा मानने वालों की तादाद 42 फीसदी है. लेकिन ये ग्लोबल एवरेज है और भारत के मामले में ऐसे कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
भारत में फ्लेक्सिबल वर्किंग का चलन बढ़ा!
फ्लेक्सिबल वर्किंग पॉलिसी के मामले में भी भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर है. कोविड-19 के बाद से लोगों के लिए हमेशा दफ्तर में आकर काम करना मुमकिन नहीं है. ऐसे में घर से काम करने की भी छूट लोग चाहते हैं और भारतीय कंपनियों ने कर्मचारियों की इस मांग का सम्मान किया है. फ्लेक्सिबल वर्किंग पॉलिसी में कहीं भी काम करने की छूट देने के साथ साथ वर्किंग आवर्स में भी ढिलाई दी गई है. भारत में कंपनियों के द्वारा इस पॉलिसी को लागू करने की बात मानने वाले 44 फीसदी कर्मचारी हैं. वहीं सिंगापुर में ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या 24 फीसदी और ऑस्ट्रेलिया में 20 फीसदी है.
नौकरी पर गहराया मंदी का साया!
दुनियाभर में 62 फीसदी कर्मचारियों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक हालात की चपेट में दुनियाभर के सभी सेक्टर्स का आना तय है. लेकिन इसके बावजूद 44 फीसदी कर्मचारियों का मानना है कि टेक्नोलॉजी और इंफोर्मेशन इंडस्ट्री में भविष्य सुरक्षित है. वहीं सर्वे में शामिल 37 फीसदी लोगों का कहना है कि वो अपनी नौकरी के लिए भरोसेमंद नहीं हैं. हालांकि अगले 5 साल के लिए 87 फीसदी को लगता है कि नौकरियों में ग्रोथ जारी रहेगी.