
कल यानी छह मई 2023 को ब्रिटेन के लिए एक बड़ा दिन है. दरअसल, किंग चार्ल्स III का शनिवार को राज्याभिषेक (King Charles III Coronation) किया जाएगा. इस आयोजन से पहले बीते सप्ताह ब्रिटिश उच्चायोग ने मुंबई के ताज होटल में एक समारोह रखा था, जिसमें डब्बा वाले (Mumbai Dabbawalas) ने किंग चार्ल्स के लिए परंपरागत पुनेरी पगड़ी और उपरने तोहफे के रूप में सौंपे हैं.
क्या है पुनेरी पगड़ी और उपरने?
King Charle III को मुंबई डब्बा वाले संघ की ओर से तोहफे के रूप में भेजी गई पुनेरी पगड़ी 19वीं सदी से प्रचलित परंपरागत पगड़ी है, जिसे महाराष्ट्र के पुणे क्षेत्र में गौरव और सम्मान के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा उपरने पुरुषों द्वारा परंपरागत समारोहों में कंधे पर डाला जाने वाले दुपट्टा होते हैं. ब्रिटिश उच्चायोग के अधिकारियों को मुंबई डब्बा वाले द्वारा सौंपी गई ये पगड़ी और उपरने राज्याभिषेक के दौरान किंग चार्ल्स को दिए जाएंगे.
ब्रिटिश राजघराने का डब्बा वाले से नाता
ब्रिटिश राजघराने का मुंबई डब्बावाला संगठन से खासा लगाव है. जब वे साल 2003 में किंग चार्ल्स, प्रिंस के रूप में भारत दौरे पर आए थे, तो उन्होंने मायानगरी के डब्बा वालों से मुलाकात की थी और उनके काम की जमकर तारीफ भी की थी. पीटीआई के मुताबिक, हालांकि, इस बार राज्याभिषेक के आयोजन में शामिल होने के लिए डब्बा वाले को आमंत्रित नहीं किया गया है. इससे पहले अप्रैल 2005 में लंदन में प्रिंस चार्ल्स और कैमिला पार्कर के विवाह समारोह में डब्बावाला संघ के दो सदस्यों को आमंत्रित किया गया था. तब डब्बा वालों ने महाराष्ट्रियन पगड़ी और 9 गज की साड़ी उपहार में दी थी.
सुपरहिट है मुंबई में डब्बा का बिजनेस
मुंबई में डब्बा का बिजनेस आज कर नहीं बल्कि करीब 130 साल से भी ज्यादा पुराना है. डब्बा वाले मुंबई में घरों से दफ्तर मुंबईकर्स को गर्म खाना पहुंचाते हैं. इनके डिलीवरी सिस्टम की देश ही नहीं विदेशों में भी जमकर तारीफ होती है. मबंई में साइकिल पर एक साल ढेरों डिब्बे (Tiffin Box) टंगे हुए आसानी से दिख जाएंगे. साफ शब्दों में कहें डब्बेवाले ऐसे लोगों का एक संगठन है, मुंबई शहर में काम करने वाले सरकारी और गैर-सरकारी कर्मचारियों को खाने का डब्बा (Tiffin) पहुंचाने का काम करते हैं.
रोज 2 लाख लोगों को पहुंचाते हैं खाना
मुंबई में डब्बा वाले संघ से करीब 5,000 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं और हर दिन ये लगभग दो लाख से ज्यादा डब्बा पहुंचाने का काम करते हैं. कहा जाता है कि साल 1890 में. महादु हावजी बचे (Mahadu Havji Bache) द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी. शुरुआत में यह काम सिर्फ 100 ग्राहकों तक ही सीमित था. लेकिन जैसे-जैसे शहर बढ़ता गया, डब्बा डिलीवरी की मांग भी बढ़ती गई.
अब ये इतना बड़ा हो चुका है कि पूरी दुनिया में इसकी चर्चा होती है. मुंबई में डब्बा वाले बाकायदा एक खास यूनिफॉर्म पहनकर अपना काम करते हैं. इन्हें आमतौर पर सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा, सिर पर गांधी टोपी, गले में रुद्राक्ष की माला और पैरों में कोल्हापुरी चप्पल पहने देखा जा सकता है.