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How to Become Rich: सैलरी मोटी... सेविंग जीरो, क्या आपके पास तीन बैंक अकाउंट नहीं हैं?

आज हम आपको बचत, खर्च और निवेश के बारे में विस्तार से बताते हैं. इन तीनों का सीधा संबंध आपके बैंक खातों से है. अगर आप नौकरीपेशा हैं या फिर किसी रोजगार से जुड़े हैं.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST
  • अच्छी-खासी सैलरी के बावजूद नहीं कर पाते हैं बचत?
  • बचत, खर्च और निवेश के बीच तालमेल बैठाना होगा

बचत और खर्च एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. बचत (Saving) के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं, जिनकी सैलरी या कमाई लाखों में है. लेकिन बचत के नाम पर कुछ भी नहीं, यानी जो भी कमा रहे हैं, सब खर्चे हो जा रहे हैं.

दरअसल, बचत के लिए कमाई का दायरा तय नहीं है. महत्वपूर्ण ये है कि आप अपने भविष्य को लेकर कितने सजग हैं. कई दफा कम आमदनी वाले भी मोटी रकम सेविंग से जोड़ लेते हैं, जबकि कुछ लोग अच्छी-खासी सैलरी के बावजूद भी बचत नहीं कर पाते हैं. इसलिए सेविंग का फैसला असंभव नहीं है. इसके लिए बचत, खर्च और निवेश के बीच तालमेल बैठाना होगा. 

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आय और खर्च के बीच तालमेल जरूरी

अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि कमाते तो बहुत हैं, लेकिन पैसे कहां खर्चे हो जाते हैं, पता नहीं चलता. ये पूरा मामला मिस मैनेजेमेंट का है. ऐसे लोगों के पास खर्च की कोई लिस्ट नहीं होती है. आज हम आपको बचत, खर्च और निवेश के बारे में विस्तार से बताते हैं. इन तीनों का सीधा संबंध आपके बैंक खातों से है. अगर आप नौकरीपेशा हैं या फिर किसी रोजगार से जुड़े हैं. इस समस्या से हल के लिए आपके पास कम से कम तीन बैंक खाते होने चाहिए. 

पहला अकाउंट (1st Account): अगर आप जॉब (Job) करते हैं, तो आपको हर महीने सैलरी (Salary) मिलती होगी, जो अकाउंट में डिपॉजिट होती होगी. अगर आपका कोई बिजनेस (Business) है तो फिर आपके पास करेंट अकाउंट (Current Account) जरूर होगा. सैलरी अकाउंट को इनकम अकाउंट (Income Account) भी नाम दे सकते हैं. निवेश के पहले कदम के तौर पर सैलरी के अलावा आपकी जो भी आय (Income) है, उसे भी हर महीने इसी खाते में डालें. जिससे ये आपको पता चल जाएगा कि आपकी कुल आमदनी कितनी है. 

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दूसरा अकाउंट (2nd Account): पहले बैंक खाते (Bank Account) से जब आपको पता चल जाएगा कि आदमनी कितनी है तो फिर उसमें से महीनेभर के खर्च को दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दें. यानी दूसरे खाते की पहचान खर्च के रूप में होगी. इसे Spend Account नाम दे सकते हैं. इस अकाउंट में महीनेभर के खर्च की राशि होगी. जिसमें से आप जरूरत के हिसाब से खर्च कर सकेंगे. 

तीसरा अकाउंट ((3rd Account): जब बचत और खर्च के बीच आप संतुलन बैठा लेंगे तो फिर आपका अगला कदम निवेश होगा. यानी खर्च के बाद पहले अकाउंट (सेविंग) में जो भी रकम बचेगी, उसे आप कहीं भी निवेश कर सकते हैं. लेकिन उसे निवेश करने के लिए आपको अलग से बैंक खातों की जरूरत होगी. 

बता दें, निवेश से पहले आपको तय करना है कि हर महीने कितना निवेश करना है, और उस अमाउंट को पहले अकाउंट से सीधे तीसरे अकाउंट में यानी निवेश खाते (Invest Account) में ट्रांसफर कर दें. जिसके बाद इस खाते से हर महीने निवेश करें. हालांकि, शुरुआत में बहुत ज्यादा रकम से निवेश की शुरुआत न करें, इससे आपके घर का बजट बिगड़ सकता है. धीरे-धीरे आय बढ़ने के साथ निवेश को बढ़ाएं.

कुल मिलाकर आपके पास तीन बैंक अकाउंट होना चाहिए. पहले में आमदनी का ब्योरा हो, दूसरे में महीनेभर के खर्च का लेखा-जोखा और तीसरे में निवेश के लिए फंड. जब आप लगातार 6 महीने तक इस रूटीन को फोलो करेंगे तो फिर आपकी ये शिकायत दूर हो जाएगी कि आमदनी तो काफी है. लेकिन पैसे कहां खर्च हो जाते हैं ये पता नहीं चलता है. 

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