
अपने इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. वित्तीय परेशानियों के शिखर पर खड़े देश की सरकार के सारे प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं और अब वो देश की संपत्तियों को बेचने को मजबूर है. बीते दिनों ही पाकिस्तान सरकार ने न्यूयॉर्क स्थित अपने मशहूर रूजवेल्ट होटल (Roosevelt Hotel) को तीन साल के लिए किराये पर दे दिया है. तो वहीं अब इमरजेंसी फंड के लिए कराची पोर्ट का सौदा करने जा रहा है.
कराची पोर्ट UAE को बेचने की तैयारी
सरकार का खजाना खाली होने के चलते कंगाली की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान की सरकार ने अपने कराची बंदरगाह (Karachi Port) को संयुक्त अरब अमीरात को बेचने की तैयारी कर ली है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए एक कमिटी का गठन भी कर दिया गया है, जो इस पोर्ट को UAE को हैंडओवर करने की डील को अंतिम रूप देगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले को लेकर पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) की अध्यक्षता में सोमवार को अंतर-सरकारी वाणिज्यिक लेनदेन पर कैबिनेट समिति की बैठक भी हो चुकी है.
पाकिस्तान पर बढ़ रहा डिफॉल्ट का खतरा
गौरतलब है कि पाकिस्तान के हालात इतने खराब हो चुके हैं, कि अगर जल्द उसे कहीं से आर्थिक मदद नहीं मिली तो देश दिवालिया हो सकता है. मदद पाने के लिए शहबाज शरीफ सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लेकर तमाम देशों से गुहार लगाई है, लेकिन कोई उसे मदद देने को तैयार नहीं है. ऐसे में डिफॉल्ट होने से बचने के लिए अब सरकार अपनी संपत्तियों को बेचने और लीज पर देने का कदम उठा रही है.
शहबाज सरकार ने इमरजेंसी फंड पाने के लिए साल 2022 में एक कानून बनाया था. इंटर गवर्नमेंटल कमर्शियल ट्रांजैक्शन एक्ट को इसलिए बनाया गया था कि धन जुटाने के लिए राज्य की संपत्ति को फास्ट-ट्रैक आधार पर बेचा जा सके. अब इसी कानून के तहत कराची पोर्ट का सौदा यूएई से हो रहा है.
महंगाई का कोहराम जारी
कंगाली की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान में महंगाई का कोहराम भी लगातार जारी है. आम जनता खाने-पीने के साथ ही रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के लिए भी मोहताज है. महंगाई दर (Inflation Rate) भारत से कई गुना ज्यादा 38 फीसदी के नए हाई लेवल पर पहुंच गई है. ये आंकड़ा एशिया में सबसे ज्यादा है और इसे कम करने की सरकार की सारी कोशिशें फेल होती जा रही हैं. इसलिए पाकिस्तान हर उस रास्ते से पैसे जुटाने की कोशिश कर रहा है, जिससे खतरे को टाला जा सके.
कर्ज के भारी बोझ तले दबा देश
बदहाल आर्थिक हालात के कारण पाकिस्तान अब तक पूरी दुनिया से अरबों रुपये का कर्ज ले चुका है. देश के ऊपर कुल कर्ज और देनदारी लगभग 60 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा है. यह देश की जीडीपी का 85 फीसदी से अधिक है. पाकिस्तान पर मौजूद इस भारी-भरकम कर्ज में करीब 35 फीसदी हिस्सा केवल चीन का है. पाकिस्तान की सरकार आर्थिक संकट से निपटने के लिए आईएमएफ के 1.1 अरब डॉलर का फंड रिलीज करने के लिए गुहार लगा रही है, लेकिन IMF ने अभी तक इस बेलआउट पैकेज की मंजूरी नहीं दी है.