
पाकिस्तान में आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) थमने का नाम नहीं ले रहा है. आटा, चावल, दूध से लेकर गैस, पानी और बिजली तक के लिए लोग जूझ रहे हैं. महंगाई (Inflation) का आलम ये है कि पाकिस्तान ने श्रीलंका को भी पीछे छोड़ दिया है. बीते साल Sri Lanka में ही कुछ ऐसा ही घमासान देखने को मिला था, लेकिन अब वहां हालात सुधरते नजर आ रहे हैं. जबकि, पाकिस्तान की जनता पर हर बीतता दिन भारी पड़ रहा है. देश में अप्रैल महीने में महंगाई दर 36.4 फीसदी के नए उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है.
महंगाई के मामले में PAK सबसे आगे
महंगाई दर के मामले में हर महीने के साथ पाकिस्तान (Pakistan Inflation Rate) तमाम देशों को पीछे छोड़ता जा रहा है. अप्रैल में महंगाई दर 36.4 फीसदी पर पहुंच गई. ये आंकड़ा एशिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का शिकार हुआ दूसरा देश श्रीलंका भी पाकिस्तान से पीछे हो गया है. अप्रैल में दिवालिया श्रीलंका की महंगाई (Sri Lanka Inflation) दर 35.3 फीसदी रह गई, जो मार्च में रिकॉर्ड 50.3 फीसदी पर थी. इसमें तेजी से गिरावट आई है. वहीं दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान में मुद्रास्फीति लगातार बढ़ते हुए जनता का बोझ बढ़ा रही है.
जनता ने ठहराया प्रधानमंत्री को दोषी
दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान को डिफॉल्ट से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज का इंतजार है और इसके लिए वो लगातार संघर्ष कर रहा है. लेकिन कमजोर होती देश की करेंसी, आसमान छूती खाद्य कीमतें और ऊर्जा की बढ़ती लागत के कारण महंगाई दर नए मुकाम पर पहुंचती जा रही है. जबकि इस पर लगाम लगाने में देश की शहबाज शरीफ सरकार नाकाम साबित हो रही है. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के अनुमान पर गौर करें, तो पाकिस्तानी रुपये में जारी गिरावट औ बढ़ती कीमतों के चलते बावजूद मुद्रास्फीति दर 36-38 फीसदी की सीमा में रहेगी.
इस साल 20 फीसदी टूटा पाकिस्तानी रुपया
वैश्विक स्तर पर पाकिस्तानी रुपया अब तक अमेरिकी डॉलर के मुताबले सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक है. सिर्फ 2023 में ही अब तक ये डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी तक टूट चुका है. महंगाई के आंकडें देखें तो अप्रैल में परिवहन कीमतें 56.8 फीसदी बढ़ीं, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति एक साल पहले की तुलना में अप्रैल में 48.1 फीसदी की दर से बढ़ी है. इसकी तुलना में श्रीलंका में खाद्य महंगाई दर मार्च में 47.6 फीसदी की तुलना में अप्रैल में घटकर 30.6 फीसदी पर आ गई है. गैर-खाद्य महंगाई दर भी श्रीलंका में 37.6 फीसदी के स्तर पर आ गई है, जो कि मार्च महीने में 51.7 फीसदी के उच्च स्तर पर थी.
श्रीलंका को IMF की हां, पाकिस्तान को न
श्रीलंका से भी बदतर हालत में पहुंच चुके पाकिस्तान में लोग रोटी के लिए भी मोहताज नजर आ रहे हैं. इन बदतर हालातों और विशाल आर्थिक संकट के लिए लोग वित्त मंत्री इशाक डार और प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ को दोषी ठहरा रहे हैं. बता दें श्रीलंका के लिए आईएमएफ ने भी अपने दरवाजे खोले हुए हैं, लेकिन पाकिस्तान की ओर आंख मूंदकर बैठा हुआ है. दरअसल, पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.1 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को रिलीज करने की मांग कर रहा है, लेकिन कई कड़ी शर्तों को मानने के बावजूद अभी तक वैश्विक निकाय ने इसे मंजूरी नहीं दी है.
देश के ऊपर कुल कर्ज और देनदारी 60 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से अधिक है. यह देश की जीडीपी का 89 फीसदी है. वहीं इस कर्ज में करीब 35 फीसदी हिस्सा केवल चीन का है, इसमें चीन के सरकारी वाणिज्यिक बैंकों का कर्ज भी शामिल है. पाकिस्तान पर चीन का 30 अरब डॉलर का कर्ज बकाया है, जो फरवरी 2022 में 25.1 अरब डॉलर था.