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हर चौथा शख्स अगले एक साल में छोड़ना चाहता है जॉब, वजह भी बताई...आप भी ऐसा सोचते हैं क्या?

बढ़ती महंगाई की वजह से कर्मचारियों को लगने लगा है कि अब वो नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च और ईएमआई नहीं चुका पाएंगे. इसलिए वो नौकरी की जगह अपना खुद का काम करना चाहते हैं. 

हर चौथा शख्स नौकरी छोड़ने को तैयार (Photo: File) हर चौथा शख्स नौकरी छोड़ने को तैयार (Photo: File)
आदित्य के. राणा
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से महंगाई ने हर किसी को परेशान किया हुआ है. भारत समेत दुनिया भर के सेंट्रल बैंक्स ने बीते डेढ़ साल में ब्याज दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी की है. महंगाई की वजह से बढ़ी इन ब्याज दरों ने दुनिया की आर्थिक रफ्तार सुस्त की है, जिससे बेरोजगारी में भी इजाफा हुआ है. लेकिन अब PWC की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि महंगाई की वजह से लोग नौकरियां छोड़ रहे हैं. इसका कारण है कि दुनिया भर में कर्मचारी आर्थिक परेशानी से गुजर रहे हैं और महंगाई की वजह से सैलरी से खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में कर्मचारियों की बचत खत्म हो रही है और वो नौकरी छोड़ रहे हैं या फिर अगले साल तक नौकरी छोड़ने की सोच रहे हैं.

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बेहतर इनकम के विकल्पों की तलाश
लेकिन यहां पर ये सवाल उठना वाजिब है कि जब सैलरी से भी काम नहीं चल रहा है तो फिर लोग नौकरी छोड़कर क्या करेंगे? PWC की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 26 फीसदी लोग यानी हर चौथा कर्मचारी अगले साल तक नौकरी छोड़कर कुछ और करना चाहता है. दरअसल, बढ़ती महंगाई की वजह से कर्मचारियों को लगने लगा है कि अब वो नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च और ईएमआई नहीं चुका पाएंगे. इसलिए वो नौकरी की जगह अपना खुद का काम करना चाहते हैं. 

सैलरी में घर चलाना मुश्किल
PWC की रिपोर्ट में ब्रिटेन का उदाहरण देकर कहा गया है कि वहां पर 47 फीसदी कर्मचारियों ने महीने के ​आखिर में कुछ ना बचने की बात कही है जबकि 15 परसेंट का कहना है​ कि अपनी सैलरी से वो घर के सारे बिल भी नहीं भर पा रहे हैं. ऐसे में उनके सामने नौकरी छोड़कर कुछ और करने का ही विकल्प बचता है. हालांकि इस मसले पर जानकारों का कहना है कि तनाव और आर्थिक अनिश्चतता के माहौल में लोग बदलाव करने से घबराते हैं.

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सैलरी से खर्च ना चलने के बावजूद कर्मचारियों में नौकरी छोड़ने का डर है, क्योंकि नए काम में सफल होने की भी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में आशंका बनी रहती है कि फिलहाल बतौर सैलरी जो भी कमाई हो रही है वो आगे जारी रहेगी या नहीं? 2008 की मंदी के दौर में अमेरिका में 26 लाख लोगों की नौकरी गई थी. लेकिन इसी दौर में नौकरी बदलने वालों की संख्या अमेरिका के इतिहास में सबसे कम थी. 

ग्रीन एनर्जी का चलन बढ़ने से जाएंगी नौकरियां!
नौकरियों को लेकर संकट के हालात इसलिए भी बन रहे हैं क्योंकि आशंका है कि दुनिया में ग्रीन एनर्जी के विकास के साथ ही नौकरियां भी घटती जाएंगी. चीन और भारत की बड़ी आबादी खनन उद्योग में काम करती है. अकेले कोयला उद्योग में इससे 2035 तक 4 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी यानी दुनिया में हर रोज 100 लोग बेरोजगार होंगे. लेकिन भारत-चीन पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा.

अमेरिका की ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की रिपोर्ट के मुताबिक कोल इंडिया में सदी के मध्य तक 73 हज़ार 800 नौकरियां खत्म हो सकती हैं, जबकि कोयला उद्योग में 37 फीसदी की छंटनी होगी. वहीं चीन के शांक्त्सी राज्य में सबसे ज्यादा 2050 तक करीब 2.42 लाख नौकरियां जा सकती हैं. जाहिर है ऐसे हालात का सामना करने से पहले भी लोग अपने लिए इनकम के वैकल्पिक इंतजाम करने पर ध्यान देंगे जो नौकरी छोड़ने की बड़ी वजह होगी.

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