
गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान करते हुए एक नहीं बल्कि दो गुड न्यूज दी हैं. पहली तो ये कि रेपो रेट (Repo Rate) की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे लोन लेने वाले लोगों पर ईएमआई (EMI) का बोझ नहीं बढ़ेगा. वहीं दूसरी अलक्लेम्ड डिपॉजिट से जुड़ी हुई है. अलग-अलग सरकारी बैंकों में हजारों करोड़ रुपये की रकम का कोई दावेदार नहीं है. अब RBI इस पैसे को एक वेब पोर्टल की मदद से कानूनी हकदारों तक पहुंचाएगी.
35,012 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं
अगर आपके दादा-परदादा अलग-अलग बैंकों में पैसे जमा कर गए हैं और आप तक उसकी खबर भी नहीं है. तो अगर आप इस पैसे के कानूनी हकदार हैं तो ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट आपको मिल सकता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नए वित्त वर्ष की पहली एमपीसी बैठक के नतीजों का ऐलान करते हुए इस संबंध में जानकारी शेयर की है. आपको बता दें हाल ही में सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि अलग-अलग सरकारी बैंकों में करीब 35,000 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है. इसके मुताबिक, बैंकों ने RBI को फरवरी 2023 तक 35,012 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स के रूप में जमा किया है. मार्च 2022 तक ये रकम 48,262 करोड़ रुपये की थी.
आरबीआई ने तैयार किया वेब पोर्टल
ये बेनामी रकम अनक्लेम्ड डिपॉजिट में न जाए इसके लिए RBI की ओर से क्रेडिट पॉलिसी बनाने की तैयारी की जा रही है. इस पॉलिसी के बारे में बताते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि हम ऐसे कई कदम उठा रहे हैं, जिससे नए डिपॉजिट्स का पैसा अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स में न जा जाए. इसके साथ ही वर्तमान में मौजूद अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को भी इसके कानूनी हकदारों तक पहुंचाने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने आगे जानकारी देते हुए कहा कि इस तरह के डिपॉजिट और इसके डिपॉजिटर या लाभार्थी के आंकड़ों के लिए केंद्रीय बैंक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स की मदद से डिजाइन किया गया एक वेब पोर्टल तैयार किया है. इससे अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को लेकर सही इनपुट के साथ अलग-अलग बैंकों के डिपॉजिटर की जानकारी मिल सकेगी.
आखिर क्या होता है Unclaimed Deposite?
अब बताते हैं कि आखिर ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट (Unclaimed Deposite) होता क्या है? दरअसल, अलग-अलग बैंक सालाना आधार पर अकाउंट्स रिव्यू करते हैं. इसमें ये पता भी लगाया जाता है कि ऐसे कौन-कौन से बैंक अकाउंट हैं, जिनमें किसी तरह का कोई लेन-देन (Bank Transaction) नहीं हुआ है. जब किसी डिपॉजिटर्स की ओर से बीते 10 साल के दौरान किसी अकाउंट में न तो कोई फंड डाला जाता है और न ही इसमें से कोई रकम निकाली जाती है तो इस दौरान अकाउंट में पड़ी रकम को अनक्लेम्ड डिपॉजिट माना जाता है. इसके बाद बैंक इन ग्राहकों से संपर्क करने की कोशिश भी करते हैं.
बैंक RBI को देते हैं ऐसे अकाउंट की जानकारी
इस पूरी प्रक्रिया में जिन अकाउंट में जमा राशि का कोई दावेदार नहीं होता, तो बैंकों की ओर से आरबीआई को इसकी जानकारी दी जाती है. इसके बाद ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस तरह के डिपॉजिट्स को लेकर RBI अवेयरनेस कैम्पेन चलाता रहता है, जिससे इसके कानूनी हकदारों का पता लगाया जा सके. बता दें इस तरह के अनक्लेम्ड डिपॉजिट बढ़ने के कई कारण भी हैं. इनमें से कुछ का जिक्र करें तो डिपॉजिटर की मौत हो गई है और उसका नॉमिनी दस्तावेजों में दर्ज न होने से उस अकाउंट में जमा रकम का कोई दावेदार नहीं मिलता.