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RBI का नया नियम... FASTag में बार-बार रिचार्ज का झंझट खत्‍म! जानिए ऐसा क्‍या बदला

इन पेमेंट सिस्‍टम में अमाउंट तय लिमिट से कम होते ही कस्‍टमर्स के अकाउंट से पैसे ऑटोमैटिक जुड़ जाएंगे. इसका मतलब है कि अब फास्‍टैग यूजर्स को बार-बार फास्टैग रिचार्ज नहीं करने की आवश्‍यकता नहीं होगी.

Fastag rule Fastag rule
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 23 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों के लिए एक नया नियम पेश किया है, जिसके तहत कुछ सर्विस जैसे कि FASTag और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) के ऑटो-रिप्लेनिशमेंट पर कोई प्री-डेबिट नोटिफिकेशन जारी नहीं करेंगे. साथ ही आरबीआई ने फास्टैग और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (National Common Mobility - NCMC) को ई-मेंडेट फ्रेमवर्क में शामिल कर लिया है. 

इन पेमेंट सिस्‍टम में अमाउंट तय लिमिट से कम होते ही कस्‍टमर्स के अकाउंट से पैसे ऑटोमैटिक जुड़ जाएंगे. इसका मतलब है कि अब फास्‍टैग यूजर्स को बार-बार फास्टैग रिचार्ज नहीं करने की आवश्‍यकता नहीं होगी. ऐसा कहा जा सकता है कि अब कस्‍टमर्स के लिए फास्‍टैग रिचार्ज करने का झंझट समाप्‍त हो जाएगा. ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को साल 2019 में बनाया गया था.

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आरबीआई ने सर्कुलर में क्‍या कहा 
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर में कहा कि फास्‍टैग और NCMC में बैलेंस की ऑटो-रिप्‍लेनिसमेंट, जो कस्‍टमर्स द्वारा तय सीमा से कम बैलेंस होने पर ट्रिगर हो जाती है. अब ये मौजूदा ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत आएगी. ये ट्रांजैक्शन रेकरिंग लेकिन समय के अनुसार अनियमित होने के कारण, वास्तविक शुल्क से 24 घंटे पहले ग्राहकों को प्री-डेबिट नोटिफिकेशन भेजने की सामान्य आवश्यकता से मुक्त होंगे.

क्‍यों शुरू हुआ था ई-मैंडेट फ्रेमवर्क 
ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को पहली बार 2019 के बाद से कई सर्कुलर के जरिए पेश किया गया था, ताकि कस्‍टमर्स को उनके अकाउंट्स से आने वाले डेबिट की एडवांस सूचना देकर उनकी सुरक्षा की जा सके. अपने सबसे हालिया अपडेट में, RBI ने लचीलेपन की आवश्यकता को समायोजित करने के महत्व को पहचाना है, खासकर उन स्थितियों में जहां ट्रांजैक्‍शन नियमित होते हैं और टोल भुगतान और मोबिलिटी कार्ड को टॉप अप करने जैसी सर्विस के सुचारू संचालन के लिए जरूरी होते हैं. 

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2019 के आरबीआई के सर्कुलर में क्‍या था? 
2019 में, RBI ने कहा कि जोखिम कम करने और ग्राहक सुविधा के उपाय के रूप में जारीकर्ता कार्डधारक को कार्ड पर वास्तविक शुल्क/डेबिट से कम से कम 24 घंटे पहले एक प्री-ट्रांजैक्शन नोटिफिकेशन भेजेगा. कार्ड पर ई-मैंडेट दर्ज करते समय कार्डधारक को जारीकर्ता से स्पष्ट, अस्पष्ट तरीके से और समझने योग्य भाषा में प्री-ट्रांजेक्शन नोटिफिकेशन प्राप्त करने के लिए उपलब्ध विकल्पों (एसएमएस, ईमेल, आदि) में से एक मोड चुनने की सुविधा दी जाएगी. प्री-ट्रांजेक्शन नोटिफिकेशन प्राप्त करने के इस मोड को बदलने की सुविधा भी कार्डधारक को प्रदान की जाएगी. 

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