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सैलरी है 50 हजार रुपये, नये या पुराने Tax स्लैब को चुनें? जानिए कौन फायदेमंद

अपनी कमाई पर सभी को टैक्स (Income Tax) भरना होता है, ये हर एक नागरिक का फर्ज है. हालांकि, सरकार नागरिकों को कानूनी रूप से टैक्स बचाने के भी अधिकार देती है. कानूनी रूप से टैक्स बचाने (Tax Saving) के तमाम तरीके मौजूद हैं. टैक्स स्लैब से लेकर टैक्स बचाने तक के नियम समझ लीजिए.

इनकम टैक्स के स्लैब और नियम. इनकम टैक्स के स्लैब और नियम.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST

वित्त वर्ष 2022-23 के समाप्त होने में भी अब अधिक वक्त नहीं बचा है. एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) संसद में आम बजट पेश करेंगी. लोगों को उम्मीद है कि इस बार के बजट टैक्स स्लैब (Tax Slab) में बदलाव किए जा सकते हैं. बजट का नाम आते ही देश के आम आदमी की नजर मुख्य रूप से टैक्स स्लैब में होने वाले बदलावों (Tax Slab Change) पर रहती है. लेकिन क्या आपको पता है देश में इनकम टैक्स के लिए सरकार ने कितने स्लैब बनाए हैं और इनके प्रावधान क्या हैं? चलिए समझ लेते हैं.  

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टैक्स के दो सिस्टम

बीते कुछ बजट सत्रों में टैक्स के स्लैब में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है. फिलहाल, टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं. पहली प्रणाली जिसे ओल्ड टैक्स स्लैब के तौर पर जाना जाता है. वहीं साल 2020 में सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए नया टैक्स स्लैब (New Tax Slab) शुरू किया था. इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने में आसानी हो, इसके लिए नए सिस्टम की शुरुआत हुई थी. हालांकि, सरकार ने नए स्लैब के साथ पुराने को भी बरकरार रखा है. 

ओल्ड टैक्स स्लैब क्या है?

इसमें 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स जमा नहीं करना होता है. इसके अलावा सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स जमा करने से छूट मिलती है. इस हिसाब से टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को तकरीबन साढ़े 6 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है. ओल्ड टैक्स रेजिम या पुराने टैक्स स्लैब में इनकम टैक्स रेट मुख्यत: आपकी इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है.

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50 हजार की सैलरी पर कितना टैक्स

अगर आपकी मंथली सैलरी (Monthly Salary) 50 हजार रुपये है और आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है तो सालाना आमदनी (Annual Income) 6 लाख रुपये हो जाती है. इस स्थिति में जब आप पुराना स्ट्रक्चर चुनते हैं तो इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी (IT Act 80C) के तहत 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन का लाभ मिलता है. इसके अलावा सैलरीड लोगों को 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी लाभ मिल जाता है. 

मिलता है रिबेट

पुराने स्ट्रक्चर में 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्सफ्री है. इसके बाद 2.5 लाख से पांच लाख के इनकम पर 5 फीसदी का टैक्स लगता है, लेकिन सरकार की ओर से 12,500 रुपये का रिबेट मिलने से यह भी शून्य हो जाता है. इसका मतलब ये हुआ है कि पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में पांच लाख रुपये की आमदनी पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ता है. आयकर नियम साफ कहता है कि 5 लाख रुपये की कमाई पर टैक्स 12,500 रुपये (2.5 लाख का 5%) बनता है. आयकर सेक्शन 87A के तहत 12,500 रुपये के मिलने वाल रिबेट आपको कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ेगा. 5 लाख वाले स्लैब में शून्य टैक्स का भुगतान करना होगा. 

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(आमदनी) 5,00,000- 5,00,000 (कुल टैक्स डिडक्शन)= 0 टैक्स  

नया टैक्स स्ट्रक्चर क्या है?

नए टैक्स स्ट्रक्चर में 2.50 लाख रुपये तक की सालाना इनकम टैक्स फ्री है. इसके बाद के 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगता है, जो 12,500 रुपये बनता है. वहीं, 6 लाख रुपये की सालाना सैलरी पर 23,400 रुपये की टैक्स की देनदारी बनती है. अगर आमदनी पांच लाख रुपये से एक लाख रुपये अधिक है, तो एक लाख की रकम 10 फीसदी के ब्रैकेट में आती है. इसलिए इसपर 10 हजार रुपये की टैक्स की देनदारी बनती है. इसके अलावा कैलकुलेटेड टैक्स पर 4 फीसदी सेस लगता है. अगर 12,500 रुपये टैक्स है तो सेस 900 रुपये हो जाता है. 

6 लाख की आमदनी कैसे होगी टैक्स फ्री?

आप 80C के तहत 1.5 लाख रुपये बचा सकते हैं. इसके लिए EPF, PPF, ELSS, NSC में निवेश करना होता है. अगर आप अलग से नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में सालाना 50,000 रुपये तक निवेश करते हैं, तो सेक्शन 80CCD (1B) के तहत आपको अतिरिक्त 50 हजार रुपये Income Tax छूट का फायदा उठा सकते हैं. होम लोन (Home Loan) वाले अतिरिक्त 2 लाख रुपये बचा सकते हैं.  

आमदनी 6,00,000-1,50,000 (PPF, EPF)= 4,50,000
4,50,000-50,000 (NPS)= 4,00,000
4,00,000-2,00,000 (होम लोन) = 2,00,000 (टैक्स फ्री) 

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