
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (SBI) ने अपने ग्राहकों को फिर से झटका दिया है. बैंक ने अपने कर्ज की दरों यानी एमसीएलआर (MCLR) में फिर से बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है. ये दर एक साल की अवधि के लोन के लिए बढ़ाई गई है. MCLR में इजाफा होने के बाद होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन सभी तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे.
10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट्स (MCLR) में 10 बेसिस प्वाइंट या .10 फीसदी वृद्धि का ऐलान किया है. इसके साथ है बैंक की वेबसाइट पर भी इस बढ़ोतरी की डिटेल अपडेट कर दी गई है. गौरतलब है कि बीते दिसंबर महीने में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद अन्य बैंकों की तरह एसबीआई ने भी एमसीएलआर में इजाफा किया था. 15 दिसंबर 2022 को SBI ने कर्ज की दरों में बढ़ोतरी लागू की थी, अब एक महीने बाद ही फिर से ग्राहकों को झटका दिया है.
कल से लागू होंगी नई दरें
एसबीआई की वेबसाइट के मुताबिक, कर्ज की दरों में बदलाव 15 जनवरी 2023 यानी कल रविवार से प्रभावी होगा. बैंक के ऐलान के बाद एक साल की अवधि के लोन पर ब्याज दर 8.3 फीसदी से बढ़कर 8.4 फीसदी हो गई है. जबकि अन्य अवधि के लोन पर ब्याज दरों को यथावत रखा गया है. एक रात की अवधि के लोन पर ये 7.85 फीसदी, एक से तीन महीने के लिए 8.00 फीसदी, छह महीने के लिए 8.30 फीसदी, दो साल के लिए 8.50 फीसदी और तीन साल की अवधि के लोन पर एमसीएलआर 8.60 फीसदी है.
Repo Rate में बढ़ोतरी का असर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बीते साल 2022 में लगातार उच्च स्तर पर रही महंगाई दर को काबू में करने के लिहाज से एक के बाद एक लगातार पांच बार रेपो दरों में इजाफा किया था. मई 2022 से दिसंबर महीने तक नीतिगत दरों में 2.25 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली थी. इसे आखिरी बार 7 दिसंबर 2022 को 0.35 फीसदी बढ़ाया गया था. जैसे-जैसे आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया, वैसे-वैसे देश के तमाम बैंकों ने अपना कर्ज महंगा कर दिया.
SBI ही नहीं इससे पहले हाल ही में बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने भी MCLR में 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी. इसके अलावा HDFC Bank, Union Bank, ICICI Bank, PNB ने भी साल 2023 के पहले महीने में लोन ब्याज दरों में इजाफा कर ग्राहकों का बोझ बढ़ाया है.
MCLR से कैसे होती है EMI प्रभावित?
मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट्स या एमसीएलआर दरअसल, RBI द्वारा लागू किया गया एक बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर तमाम बैंक लोन के लिए अपनी ब्याज दरें तय करते हैं. जबकि Repo Rate वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है.
रेपो रेट के कम होने से बैंको को कर्ज सस्ता मिलता है और वे एमसीएलआर में कटौती कर लोन की EMI घटा देते हैं. वहीं जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो बैंकों को कर्ज आरबीआई से महंगा मिलता है, जिसके चलते उन्हें एमसीएलआर में बढ़ोतरी का फैसला लेना पड़ता है और ग्राहक का बोझ बढ़ जाता है.