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पिछले हफ्ते शुक्रवार को जैसे ही RBI ने 2,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान किया और इन नोटों को बाजार से वापस लेने का फैसला किया. इसके बाद लोगों में फिर से नोटबंदी (Demonetisation) जैसा डर फैल गया. लेकिन सरकार और RBI की तरफ से ये तुरंत ही साफ कर दिया गया कि ये 'नोटबंदी' नहीं है और 30 सितंबर तक 2,000 का नोट लीगल टेंडर (Legal Tendor) बना रहेगा. इसके बाद सोमवार को RBI गवर्नर ने संकेत दिया कि नोट बदलने और जारी रखने की डेडलाइन पर 30 सितंबर के बाद फैसला किया जाएगा. इस बीच बड़े गुलाबी नोटों को बंद करने के फैसले पर जनता की राय जानने के लिए हुए सर्वे (Survey) में बड़ी बातें सामने आई हैं.
नोटबदली पर लोकल सर्कल का सर्वे
नोटबंदी या नोटबदली के एलान के बाद से ज्वैलर्स और रियल एस्टेट सेक्टर समेत लग्जरी सामानों के मार्केट्स में हलचल तेज हो गई है, लेकिन इस बार लोगों में साल 2016 में हुई नोटबंदी जैसी घबराहट और डर का माहौल नहीं है. इस मामले में लोकल सर्कल द्वारा किए गए हालिया सर्वे में दावा किया गया है कि देशभर में हर 3 में से 2 लोग भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2000 रुपये का नोट वापस लेने के फैसले के पक्ष में हैं. इस हिसाब से देखें तो भारत की 64 फीसदी जनता इस कदम का समर्थन कर रही है. जबकि 22 फीसदी लोग 2 हजार रुपये के नोट वापस लेने के फैसले का समर्थन नहीं कर रहे हैं.
64% लोगों के पास नहीं 2000 का नोट
सर्वे में शामिल 64 फीसदी लोगों ने इस बात को कबूल किया है कि उनके पास 2000 रुपये का नोट ही मौजूद नहीं है. जबकि 6 फीसदी लोगों के पास 2000 रुपये के नोट 1 लाख या उससे ज्यादा कीमत के हैं. सर्वे के आंकड़ों से जो जानकारी निकलकर सामने आई है उससे मालूम चलता है कि 15 फीसदी लोगों के पास 2 हजार के नोट 20,000 रुपये तक हैं. जबकि 7 फीसदी लोगों के पास 20 से लेकर 40 हजार रुपये तक के 2 हजार के नोट हैं. 6 फीसदी लोगों के पास 40 हजार से 1 लाख तक गुलाबी नोट हैं. 1 लाख से 2 लाख तक के 2 हजार के नोट 2 फीसदी लोगों के पास है. वहीं 2 लाख से 10 लाख से ज्यादा मूल्य के नोट भी महज 2 फीसदी लोगों के पास ही हैं.
इस सर्वे में शामिल जहां 64 फीसदी लोगों ने बताया कि उनके पास 2,000 रुपये के नोट नहीं है, तो वहीं 12 फीसदी लोगों का कहना है कि 2,000 के इस नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने के रिजर्व बैंक के फैसले का उनके ऊपर कोई असर नहीं होगा. इस बीच 2 फीसदी लोगों ने इस मुद्दे पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया.
सितंबर के बाद पूरी तरह बंद हो 2 हजार का नोट!
सर्वे में शामिल 68 फीसदी लोगों का कहना है कि कि अगर 30 सितंबर के बाद भी 2000 रुपये का नोट लीगल टेंडर बना रहेगा, तो फिर इस कवायद का कोई फायदा नहीं होगा. उनका मानना है कि RBI के इस तारीख को बढ़ाने से केवल काला धन रखने वालों को फायदा मिलेगा. सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों का मानना है कि वो बचे हुए 2 हजार के नोटों को 30 सितंबर तक बदलने का काम कर लेंगे. हालांकि 14 फीसदी लोगों का मानना है कि वो इस डेडलाइन तक अपने 2,000 रुपये के नोटों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. लेकिन ज्यादातर लोगों का कहना है कि RBI का ये फैसला अगर तय तारीख से आगे जाएगा तो मुमकिन है कि इससे कालेधन रखने वालों को फायदा मिल सकता है.
2000 के नोट खर्च में कहां मुश्किल?
RBI के ऐलान के बाद लोग न केवल बैंक ब्रांचों, बल्कि जगह-जगह इस रकम का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन हर जगह इस नोट को आसानी से नहीं लिया जा रहा है. ऐसे में सर्वे में मिली जानकारी के मुताबिक पेट्रोल पंप पर 6 फीसदी लोगों को 2 हजार का नोट इस्तेमाल करने में दिक्कत पेश आई. ज्वेलर्स के यहां 2 हजार का नोट चलाने में 4 परसेंट लोगों को मुश्किल हुई. इसी तरह दवाई की दुकान में 13 फीसदी, रिटेल शॉप्स में 15 परसेंट, अस्पतालों में 9 फीसदी, सर्विस प्रोवाइडर्स के यहां 9 प्रतिशत, ऑनलाइन में नकद भुगतान करने में 4 परसेंट और दूसरी जगहों पर 13 फीसदी लोगों को मुश्किल हुई.
सर्वे में 57000 लोगों की राय शामिल
लोकल सर्कल ने 2 हजार के नोट को बदलने के एलान के बाद ये सर्वे किया था. सर्वे का मकसद देश में नए आर्थिक विकास पर लोगों के नजरिए को जानना भी था. इसके जरिए लोकल सर्कल ने ये पता लगाने का प्रयास किया था कि क्या छोटे और मध्यम आकार के कारोबारियों को 2000 रुपये के नोट को वापस लेने की वजह से कोई मुश्किल आ रही है या नहीं. इस सर्वे में देशभर के 341 जिलों के 57 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी राय दी थी.