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Omicron testing kit: फिर देश के काम आई Tata, अब देसी किट से डिटेक्ट होगा ओमिक्रॉन

अभी भारत में ओमिक्रॉन वैरिएंट की टेस्टिंग (omicron variant testing) के लिए अमेरिकी कंपनी थर्मो फिशर (Thermo Fisher) की टेस्टिंग किट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस किट में ओमिक्रॉन वेरिएंट को डिटेक्ट करने के लिए S Gene Target Failure (SGTF) स्ट्रेटजी का इस्तेमाल होता है.

टाटा मेडिकल ने डेवलप किया ओमिस्योर टाटा मेडिकल ने डेवलप किया ओमिस्योर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
  • Omicron को डिटेक्ट करना होगा आसान
  • टाटा मेडिकल की टेस्टिंग किट को मिली मंजूरी

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) की टेस्टिंग के लिए विदेशी कंपनी पर निर्भरता अब समाप्त होने वाली है. टाटा समूह की हेल्थकेयर कंपनी टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स (Tata Medical and Diagnostics) ने ओमिस्योर (Omisure) नाम की एक टेस्टिंग किट तैयार की है. इस किट को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मंजूरी मिल चुकी है.

अभी अमेरिकी कंपनी की टेस्टिंग किट का हो रहा इस्तेमाल

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अभी भारत में ओमिक्रॉन की टेस्टिंग के लिए अमेरिकी कंपनी थर्मो फिशर (Thermo Fisher) की टेस्टिंग किट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस किट में ओमिक्रॉन वैरिएंट को डिटेक्ट करने के लिए S Gene Target Failure (SGTF) स्ट्रेटजी का इस्तेमाल होता है. म्यूटेशन के चलते थर्मो फिशर के Taq Path RT-PCR Test में S Gene को डिटेक्ट करना संभव नहीं हो रहा था.

ICMR ने किया नई टेक्नोलॉजी को डेवलप

आईसीएमआर ने SARS-CoV-2 Omicron का पता लगाने वाले रियल टाइम आरटी-पीसीआर टेस्ट की टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर के लिए पिछले महीने कंपनियों से रूचिपत्र मंगाया था. 17 दिसंबर को जारी EoI में कंपनियों से इस नई टेक्नोलॉजी पर बेस्ड आरटी-पीसीआर टेस्ट किट के डेवलपमेंट और कमर्शियलाइजेशन के लिए भी निविदाएं मांगी गई थी.

आईसीएमआर के पास रहेगी ऑनरशिप

आईसीएमआर ने EoI में बताया था कि उसने ओमिक्रॉन वैरिएंट को डिटेक्ट करने के लिए नई टेक्नोलॉजी डेवलप की है और इसके लिए किट भी तैयार की गई है. इस टेक्नोलॉजी की ऑनरशिप आईसीएमआर के पास रहेगी, जबकि टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स इसका व्यावसायिक उत्पादन करेगी. टाटा के ओमिस्योर को 30 दिसंबर को आईसीएमआर की मंजूरी मिली थी.

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पहले भी काम आ चुकी है टाटा

टाटा समूह की कंपनियां कोविड-19 के खिलाफ जारी अभियान पर अब तक 2,500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी हैं. दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी होने पर टाटा स्टील के कलिंगनगर प्लांट ने बड़े स्तर पर लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति की थी. इनके अलावा टाटा समूह की कंपनियों पीपीई किट और टेस्टिंग किट की लाखों यूनिट की आपूर्ति भी कर चुकी हैं.

 

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