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कैसे बेचें सस्ती शराब? कंपनियों की सरकार से गुहार, दाम बढ़ा दो या Tax कम कर दो, संकट में इंडस्ट्रीज

इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने शराब पर लगने वाले टैक्स को कम करने की अपील की है. एसोसिएशन का कहना है कि भारी टैक्स की वजह से मार्जिन कम हो रहा है, जिससे उद्योग को ऑपरेट करने में मुश्किलें आ रही हैं.

शराब पर भारी टैक्स की वजह से बढ़ी परेशानी. शराब पर भारी टैक्स की वजह से बढ़ी परेशानी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ISWAI) ने शराब पर लगने वाले टैक्स में कौटती की मांग की है. ISWAI का कहना है कि भारी टैक्स चलते लीकर इंडस्ट्रीज को भारी नुकसान झेलना पड़ा रहा है, जिसकी वजह से देश में 15 लाख लोगों के रोजगार पर संकट के बाद मंडराने लगे हैं. भारी टैक्स देश में शराब उद्योग के भविष्य को खतरे में डाल रहा है. देश में प्रीमियम अल्कोबेव उद्योग (Alcobev Industry) के शीर्ष निकाय ISWAI ने कहा कि उत्पाद की कीमतों में टैक्स का हिस्सा 67 से 80 प्रतिशत है. इससे व्यापार को बनाए रखने और उसे ऑपरेट करने में बहुत कम बचत होती है.

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संकट में एल्कोबेव इंडस्ट्री

ISWAI की सीईओ नीता कपूर ने कहा कि अधिक महंगाई दर और हाई टैक्स रेट के कारण भारत में एल्कोबेव इंडस्ट्री गहरे संकट में है. इस सेक्टर को संकट से निकालने के लिए टैक्स में कटौती करनी होगी या फिर प्रोडक्ट की कीमतों में इजाफा करना होगा. कपूर ने कहा कि अन्य उद्योगों के विपरीत, शराब उद्योग को अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों को तय करने की आजादी नहीं है.

राज्य सरकारों की कमाई 

कपूर ने कहा- 'शराब व्यापार से राज्य सरकारों के राजस्व में 25 से 40 फीसदी तक का योगदान होता है. इसके बावजूद सरकार ने इस पर उच्च दरों पर टैक्स लगाने का विकल्प चुना है. उन्होंने कहा कि दरों को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए.' ISWAI के अनुसार, भारतीय अल्कोबेव इंडस्ट्री 55 बिलियन अमरीकी डालर के अनुमानित बाजार आकार के साथ 1.5 मिलियन लोगों को रोजगार देती है.  

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कपूर ने कहा कि ऐसे समय में जब शीरे और अनाज जैसे कच्चे माल की उपलब्धता के कारण भारत को उत्पादन में तुलनात्मक लाभ है. देश को अपनी नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है जो कि निर्यात के लिए अधिक उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी.

ISWAI के मेंबर में कौन-कौन शामिल?

पश्चिम बंगाल सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए कोविड महामारी की शुरुआत से ठीक पहले अप्रैल 2020 में शराब पर 30 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाया था. लेकिन लेवी के कारण बिक्री में गिरावट को देखते हुए प्रशासन ने वर्ष के अंत में इसे वापस ले लिया था. पश्चिम बंगाल में सालाना 1.6 करोड़ पेटी भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) और 80 लाख पेटी बीयर की बिक्री होती है. ISWAI के सदस्यों में बकार्डी, कैंपारी ग्रुप, डियाजियो यूनाइटेड स्पिरिट्स और पेरनोड रिकार्ड शामिल हैं.

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