
खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) एक बार फिर से 6 फीसदी के पार निकल गई है. आंकड़े बता रहे हैं कि खाने-पीने की वस्तुएं जनवरी में महंगी हुई है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में आटे (flour) की कीमतों में गिरावट आई है. लगभग एक साल से बढ़ रहे आटे के दाम पिछले 15 दिनों में 6 रुपये प्रति किलो तक टूटे हैं. बाजार के जानकारों का कहना है कि आने वाले 10 दिनों में आटे के दाम चार से पांच रुपये प्रति किलो और घटेंगे. इस गिरावट के बाद मार्केट में आटे का भाव 25 से 26 रुपये प्रति किलो पर आ जाएगा. महज 15 दिन पहले आटा 35 से 38 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा था.
रिकॉर्ड गेहूं के उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि इस साल देश भर में रिकॉर्ड 11.2 करोड़ मीट्रिक टन गेहूं पैदा होगा. इस वजह से अभी से ही आटे के दाम में गिरावट देखने को मिल रही है. आटे की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले मार्केट में बेचने का ऐलान किया था.
गोदामों में इतना उपलब्ध है गेहूं
इस बीच गेहूं की अच्छी पैदावार होने की आई खबर की वजह से बड़ी संख्या में व्यापारी FCI से गेहूं खरीदने के लिए आगे नहीं आए. FCI ने पहले चरण में 15 लाख मीट्रिक टन गेहूं के लिए बोली के लिए टेंडर मंगाए थे. इसके जरिए पूरे देश के व्यापारियों ने 2300 रुपये प्रति क्विंटल की ऑफर प्राइस पर केवल 9 लाख टन गेहूं की खरीद की थी. फिलहाल देश के सभी वेयरहाउस में कुल 1.64 करोड़ मीट्रिक टन गेहूं उपलब्ध हैं. रिपोर्ट के अनुसार, नए सीजन तक केवल 54 लाख मीट्रिक टन गेहूं की डिमांड रहने वाली है.
सरकार ने नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार के लिए एफसीआई के गेहूं का दाम 23.50 रुपये से घटाकर 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है. इन संस्थानों को गेहूं को आटे में बदलकर 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचने को कहा गया था. अब उन्हें आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचने को कहा गया है.
पिछले साल घटा था उत्पादन
चालू रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) सीजन में गेहूं की फसल का रकबा थोड़ा बढा है. नई गेहूं की फसल की खरीद 15 मार्च से शुरू हो जाएगी. केंद्र ने घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए FCI की खरीद में तेज गिरावट के बाद बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भारत का गेहूं उत्पादन 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 109.59 मिलियन टन से गिरकर 106.84 मिलियन टन हो गया था. कुछ राज्यों में चली लू की वजह से गेहूं की पैदावार में गिरावट आई थी.