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जली हुई सिगरेट से अनोखा काम कर रही ये भारतीय कंपनी, बना रही बच्चों के लिए प्रोडक्ट

सिगरेट के बड को शहर के अलग-अलग हिस्सों से इकट्ठा किया जाता है. इसके बाद उसे साफ करके ब्लीच किया जाता है. रिसाइकिल करके इसका इस्तेमाल सॉफ्ट टॉय बनाने में किया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि लगभग 267 मिलियन लोग भारत में तंबाकू का सेवन करते हैं.

सिगरेट के बड से बन रहे हैं खिलौने. सिगरेट के बड से बन रहे हैं खिलौने.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

आमतौर पर सिगरेट (Cigarette) के पीने के बाद, उसके जिस हिस्से को फेंक दिया जाता है. उसका इस्तेमाल कर एक कंपनी बच्चों के लिए खिलौने बना रही है. सिगरेट के बड का इस्तेमाल सॉफ्ट टॉय बनाने में किया जा रहा है. कूड़ेदान में पाए जाने वाले सिगरेट के बड को भालू और बंदर जैसे चमकीले सॉफ्ट टॉय में भरा जा रहा है. जो चीज सड़कों पर कूड़ा बनकर बिखरी रहती है, वही अब बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरने के काम आ रही है. सिगरेट बड (Cigarette Butts) कई लोगों के रोजगार जरिया भी बना है.  

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सिगरेट के बड से बन रहे हैं खिलौने

रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सिगरेट के बड को रिसायकल कर उसका फिर से इस्तेमाल करने का आइडिया व्यवसायी नमन गुप्ता के दिमाग की उपज है. सिगरेट के बड को शहर के अलग-अलग हिस्सों से इकट्ठा किया जाता है. इसके बाद उसे साफ करके ब्लीच किया जाता है. रिसायकल करके इसका इस्तेमाल सॉफ्ट टॉय बनाने में किया जा रहा है.  

रोजाना एक हजार किलो सिगरेट बड की रीसाइक्लिंग

नमन गुप्ता ने रायटर्स के साथ बातचीत में बताया कि हमने 10 ग्राम (प्रति दिन फाइबर के) के साथ शुरुआत की और अब हम 1,000 किलोग्राम सिगरेट बड को रिसायकल कर रहे हैं. सालान हम लाखों सिगरेट के बड को रिसायकल करने में सक्षम हैं. नमन गुप्ता की कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी सिगरेट के बड की बाहरी परत और तंबाकू को अलग करते हैं.  फिर उन्हें रिसायकल करके कागज और खाद पाउडर में तब्दील कर दिया जाता है. 

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भारत की बड़ी आबादी करती है तंबाकू का सेवन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि लगभग 267 मिलियन लोग भारत में तंबाकू का सेवन करते हैं. यह भारत की वयस्क आबादी का 30 फीसदी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में हर साल तंबाकू के सेवन से लगभग 1.35 मिलियन लोगों की मौत होती है.

पर्यावरण को साफ करने में मदद

नमन गुप्ता की फैक्ट्री में काम करने वाली पूनम कहती हैं कि यहां काम करने से हमें पर्यावरण को भी साफ रखने में मदद मिलती है. अक्सर लोग सिगरेट पीकर उसके बड को सड़कों पर फेंक दिया करते हैं. इससे गंदगी जमा हो जाती है.

28 वर्षीय नमन गुप्ता बताते हैं कि जब मैंने अपने शहर नोएडा में सिगरेट के बड्स जमा होते देखा, तो मुझे उत्सुकता हुई. इसने मुझे कई उत्पादों जैसे खिलौने, सजावट के सामान और रिसायकल कर बहुत कुछ विकसित करने के लिए प्रेरित किया. 

 

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