
आर्थिक रूप से अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए नौकरीपेशा लोग कई तरह की सेविंग स्कीम (Saving Schemes) में निवेश करते हैं. ताकी बुढ़ापे में उन्हें आर्थिक रूप से किसी पर भी निर्भर नहीं रहना पड़े. बड़ी संख्या में लोग पब्लिक प्रोविंडेंट फंड (PPF) में भी निवेश कर अपने भविष्य के लिए फंड जुटाते हैं. ये देश की सबसे पॉपुलर स्मॉल सेविंग स्कीम (Small Saving Scheme) है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मैच्योरिटी से पहले अगर किसी पीपीएफ खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो खाते में जमा पैसा कैसे नॉमिनी को मिलता है?
नॉमिनी को मिल जाती है रकम
अगर किसी पीपीएफ खाताधारक की मृत्यु स्कीम के मैच्योर होने से पहले ही हो जाती है, तो इस स्थिति में नॉमिनी पैसा निकाल सकता है. डेथ क्लेम में पीपीएफ खाते का मैच्योर होने का इंतजार नहीं करना पड़ता है. मतलब ये कि पीपीएफ खाता 15 साल में मैच्योर होता है. लेकिन अगर खाताधारक की मृत्यु उससे पहले ही हो जाती है, तो पैसा निकालने के लिए नॉमिनी को 15 साल पूरा होने का इंतजार नहीं करना होता है.
अब मान लीजिए कि किसी ने PPF में निवेश की शुरुआत की. हर महीने वो इस स्कीम में निवेश के पैसे डाल रहा है. लेकिन जब स्कीम आठ साल की अवधि तक पहुंचती है, तो खाताधारक की किसी वजह से मृत्यु हो जाती है. ऐसी स्थिति में PPF खाते में जमा राशि उसके नॉमिनी को दे दी जाती है.
नॉमिनी को करने होते हैं ये काम
अगर डेथ क्लेम पांच लाख रुपये से कम का है, तो नॉमिनी क्लेम फॉर्म भरकर और डेथ सर्टिफिकेट दिखाकर खाते से पैसा निकाल सकता है. अगर क्लेम पांच लाख रुपये से अधिक का है, तो नॉमिनी को डेथ सर्टिफिकेट के साथ कानूनी प्रूफ भी देने होंगे. कानूनी प्रूफ के रूप में नॉमिनी को कोर्ट से सक्सेशन सर्टिफिकेट आदि बनवाकर जमा करना पड़ता है.
15 साल में मैच्योर होने वाले पीपीएफ खाते को कभी भी क्लोज किया जा सकता है. लेकिन खाताधारक इमरजेंसी में निवेश की 50 फीसदी रकम निकाल सकता है. इसके लिए शर्त ये है कि खाता खोलने के 6 साल के बाद ही कोई खाते से निकासी कर पाएगा.
टैक्स सेविंग के लिहाज से बेहतरीन स्कीम
फिलहाल इस स्कीम में निवेश की राशि पर कंपाउंडिंग के आधार पर 7.10 फीसदी दर से ब्याज मिल रहा है.पीपीएफ खाते पर लोन की सुविधा भी उपलब्ध है. खाता ओपन होने के तीन साल बाद इसपर लोन लिया जा सकता है. टैक्स छूट के नजरिये से ये बेहतरीन स्कीम है. इसलिए यह नौकरी-पेशा लोगों में बेहद लोकप्रिय है.
PPF में पैसे जमाकर बेहतर रिटर्न के साथ-साथ टैक्स छूट का फायदा भी उठा सकते हैं. इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट का लाभ ले सकते हैं, जिसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये तक है. फिलहाल PPF पर सरकार सालाना 7.1 फीसदी का ब्याज दे रही है. इसमें निवेश पर चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है, जिसका सालाना आधार पर आंकलन होता है.