
क्या शेयर बाजार (Share Market) में आज की गिरावट आखिरी है? लेकिन अगर बाजार यहां से भी नीचे जाता है तो फिर स्थिति और पैनिक हो सकती है. क्योंकि अक्टूबर 2024 से जो गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ है, वो अब तक जारी है. दरअसल, तमाम टेक्निकल एक्सपर्ट मान रहे हैं कि निफ्टी के लिए 22800 अंक एक मजबूत सपोर्ट है, फिलहाल बाजार अपने सपोर्ट तक पहुंच गया है.
ऐसे में अगर बाजार 22800 अंक पर सपोर्ट लेता है, तो फिर धीरे-धीरे रिकवरी देखने को मिल सकती है. लेकिन अगर निफ्टी 22800 के सपोर्ट को तोड़ता है तो फिर बाजार और फिसल सकता है, जिसके बाद 22000 अंक भी बाजार टेस्ट कर सकता है. फिलहाल शेयर मार्केट में भयंकर गिरावट से निवेशकों में कोहराम मचा हुआ है.
अगर निफ्टी की बात करें तो ये अपने हाई से करीब 3400 अंक, यानी 14 से 15 फीसदी तक टूट चुका है. निफ्टी का 52 वीक हाई 26,277 अंक था, जहां से इंडेक्स गिरकर 22.850 के नीचे तक फिसल गया है. वहीं सेंसेक्स अपने हाई से 10000 अंक टूट चुका है. Sensex का 52 वीक हाई 85,978.25 अंक था और फिलहाल 75,470 अंक पर कारोबार कर रहा है. केवल आज की गिरावट से निवेशकों के करीब 11 लाख करोड़ रुपये डूबे हैं.
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के मुख्यतौर पर 5 कारण बताए जा रहे हैं...
1. DeepSeek ने अमेरिका को दिया झटका
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रेस में चीन ने एक बड़ी छलांग लगाई है. ऐसा लग रहा था कि अमेरिकी कंपनियां इस रेस में किसी दूसरे देश से बहुत आगे हैं, लेकिन चीन ने बड़ी चाल चल दी है. चीन ने इस सेगमेंट में DeepSeek R1 को इंट्रोड्यूस किया है, जो एक रिजनिंग मॉडल है. DeepSeek R1 की पॉपुलैरिटी की खास वजह कम कीमत होना है. चीन के इस एक बड़े ऐलान से अमेरिकी आईटी कंपनियों में हड़कंप मचा है. जिसका असर सीधा शेयर बाजार पर हो रहा है. खासकर नैस्डेक में बड़ी गिरावट देखी जा रही है, अब इससे भारतीय कंपनियां भी अछूती नहीं हैं.
DeepSeek R1 को ऑगमेंटेड रिजनिंग और एनालिटिक्ल कैपेबिलिटी के लिए तैयार किया गया है. इस कंपनी का हेड क्वार्टर चीन के हांग्जो शहर में है. कंपनी की शुरुआत 2023 में Liang Wenfeng ने की थी.
अमेरिका के लिए क्यों झटका?
जहां Open AI o1 की कीमत 15 डॉलर प्रति मिलियन इनपुट टोकन और 60 डॉलर प्रति मिलियन आउटपुट टोकन की है. वहीं DeepSeek R1 की कीमत महज 0.55 डॉलर प्रति मिलियन इनपुट टोकन और 2.19 डॉलर प्रति मिलियन आउटपुट टोकन है. कंपनी का कहना है कि उन्हें इस AI मॉडल को बनाने में सिर्फ दो महीने का वक्त लगा है. जहां अमेरिकी कंपनियों वर्षों से लगी हैं.
2. अमेरिकी डॉलर में मजबूती
डॉलर का लगातार मजबूत होना भारतीय बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण है. शुक्रवार को भारतीय रुपया कुछ मजबूत हुआ था, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के टैरिफ संबंधी फैसले पर अनिश्चितताओं के बीच सोमवार को रुपया गिरावट के साथ खुला. 27 जनवरी को शुरुआती कारोबार में 22 पैसे की गिरावट के साथ 86.44 प्रति डॉलर पर आ गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया (US-Colombia tariff war) पर टैरिफ और प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है, जिसके बाद डॉलर में मजबूती आई है.
3. तीसरी तिमाही के नतीजे
तीसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजे अच्छे नहीं दिख रहे हैं, अगर बड़ी कंपनियों के नतीजे अच्छे होते, तो फिर बाजार में एक अलग जोश देखने को मिलता. हालांकि कुछ कंपनियों के रिजल्ट इन-लाइन रहे हैं, जबकि अधिकतर कंपनियों ने निराश किया है. यही नहीं, जिन कंपनियों के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं होते हैं, उन कंपनियों के शेयरों की जोरदार पिटाई हो रही है. जिससे सेंटीमेंट और बिगड़ रहा है.
4. बजट से पहले मुनाफावसूली
बजट को लेकर भी निवेशकों में सस्पेंस है, क्या सरकार कोई सख्त कदम उठा सकती है. अगर ऐसा होता है तो फिर बाजार में गिरावट और गहरा सकता है. जिस कारण से निवेशक थोड़ा बहुत प्रॉफिट घर ले जाने में लगे हैं. क्योंकि बजट में कई बड़े फैसले होने की उम्मीद लगाई जा रही है.
5. विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से मोहभंग
विदेशी निवेशक पिछले चार महीने से लगातार बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार पर दिन प्रतिदिन दबाव दिख रहा है. हालांकि घरेलू बड़े निवेशक लगातार खरीदारी कर रहे हैं. लेकिन बाजार को चलने के लिए कोई बड़ा ट्रिगर नहीं मिल रहा है.