
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2023) में राजस्थान रॉयल्स के ओपनर यशस्वी जयसवाल (Yashasvi Jaiswal) का बल्ला जमकर बोल रहा है. गरीबी और अभाव से जूझते हुए यशस्वी ने अपने हुनर के दम पर अपनी पहचान स्थापित कर ली है. उन्हें भारतीय क्रिकेट के उन युवा बल्लेबाजों के रूप में देखा जा रहा है, जिनके कंधे पर आगे चलकर टीम इंडिया की बल्लेबाजी का दारोमदार होगा. स्टेडियम की चकाचौंध और दुधिया फ्लड लाइट के बीच आज चमकते यशस्वी ने यहां तक पहुंचने के लिए जी-तोड़ मेहनत की है. यशस्वी के संघर्ष की कहानी देश के दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) के दिल को छू गई है. उन्होंने अपने फेसबुक हैंडल पर पोस्ट लिखकर इसका जिक्र किया है.
आसान नहीं थी क्रिकेट की राह
उत्तर प्रदेश के भदोही के इस किशोर के लिए क्रिकेटर बनने की राह आसान नहीं रही. जब वह 2012 में क्रिकेट का सपना संजोए अपने चाचा के पास मुंबई पहुंचा, तब वह महज 11 साल का था. चाचा के पास इतना बड़ा घर नहीं था कि वह उसे भी उसमें रख सकें. फिर वो एक डेयरी दुकान में अपनी रातें गुजारते थे. यशस्वी अपना पेट पालने के लिए आजाद मैदान में राम लीला के दौरान पानी-पूरी (गोलगप्पे) भी बेचे. लेकिन उन्होंने क्रिकेट नहीं छोड़ा और जब भी मौका मिला, उसे जमकर भुनाया.
साल 2019 के ऑक्शन में यशस्वी जयसवाल को राजस्थान रॉयल्स ने 2.40 करोड़ रुपये में खरीदा था. उनका बेस प्राइज बीस लाख रुपए था. तब वो इसी टीम के साथ बने हुए हैं और इस सीजन अब तक खेले गए 9 मैचों में जयसवाल 47.56 की औसत और 159.70 के स्ट्राइक रेट से 428 रन बना चुके हैं. इसमें एक शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं. संघर्षों की भट्टी में तपकर निखरे यशस्वी जयसवाल पर अब पूरे देश के क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें हैं.
हासिल कर सकते हैं हर मंजिल
वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने लिखा कि आज एक ऐसी कहानी के बारे में बताना चाहता हूं जिसने मेरे दिल को छुआ है. यशस्वी जयसवाल के पानी पूरी वेंडर से एक स्टार क्रिकेटर बनने के सफर ने दुनिया को दिखा दिया कि अगर आप कड़ी मेहनत और लगन के साथ चलोगे तो आप हर मंजिल हासिल कर सकते हो और चुनौती को पार कर सकते हो.
चॉल से शुरू हुआ था अनिल अग्रवाल का सफर
अनिल अग्रवाल ने आगे लिखा कि आजाद मैदान के एक छोटे से टेंट से देश के टॉप क्रिकेट ग्राउंड तक की उनकी जर्नी देखकर खुशी हुई. क्योंकि मेरी लाइफ की शुरुआत भी ऐसे ही मुंबई के छोटे से चॉल से हुई थी. उनकी ये सफलता मुझे हर उस इंसान की जीत लगती है जो सपने देखता है. बता दें कि अनिल अग्रवाल का जन्म 1954 में पटना, बिहार में हुआ था. उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल का वहां एल्यूमीनियम कंडक्टर का एक छोटा व्यवसाय था. यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने की जगह, एल्यूमीनियम कंडक्टर बनाकर अपने पिता के बिजनेस में शामिल होने का फैसला किया.
माइनिंग व मेटल का बड़ा साम्राज्य
19 साल की उम्र में वे करियर के अवसरों को तलाश में मुंबई पहुंच गए. उन्होंने 1970 के दशक के मध्य में स्क्रैप मेटल का कारोबार करना शुरू किया. अनिल अग्रवाल ने अपनी मेहनत और लगन से माइनिंग व मेटल बिजनेस (Mining And Metal Business) का बड़ा साम्राज्य खड़ा किया.
आने वाले समय में वह भारत को सेमीकंडक्टर (Semiconductor) के मामले में आत्मनिर्भर (Aatmanirbhar Bharat) बनाने में योगदान देने वाले हैं. वे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हुए बिहार से शुरू होकर मुंबई के रास्ते लंदन तक पहुंचने के सफर की कहानियां शेयर करते रहते हैं. अनिल अग्रवार करीब 30,000 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं.