कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के लिए कई दवा कंपनियों के बीच भयानक प्रतियोगिता चल रही है. जल्दी से जल्दी दवा बनाने और उनसे करोड़ों रुपए कमाने की होड़ लगी हुई है. इसका फायदा कुछ दवा कंपनियों के बोर्ड सदस्यों और सीनियर अफसरों ने उठाना शुरू कर दिया है. ये लोग मुनाफोखोरी में लग गए हैं. ये वैक्सीन के बेहतर रिजल्ट की बातें बताकर करोड़ों रुपए कमाने में लग गए हैं. (फोटोः गेटी)
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस तरह का काम ज्यादातर छोटी दवा कंपनियां कर रही हैं. हालांकि, सूत्रों के हवाले से सोशल मीडिया पर ये भी खबर चल रही है कि इस मुनाफाखोरी में मॉडर्ना, नोवावैक्स और रीजेनेरॉन जैसी कंपनियां भी शामिल हैं. (फोटोः गेटी)
न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए डेटा जुटाने वाली कंपनी इक्वीलार के अनुसार कम से कम 11 कंपनियों ने मार्च के बाद से लगभग 7500 करोड़ रुपए के शेयर बेच कर मुनाफाखोरी की है. (फोटोः गेटी)
कई मामलों में कंपनियों से जुड़े लगों ने कंपनी से नियमित तौर पर मिलने वाले शेयरों और ऑटोमैटिक ट्रेडिंग से मुनाफा कमाया है. दोनों ही मामलों में वरिष्ठ अधिकारियो ने शेयरों के मूल्य उफान पर होने से फायदा उठाया है. (फोटोः गेटी)
कुछ कंपनियों ने वैक्सीन की प्रगति के बारे में बाजार को प्रभावित करने वाली घोषणाओं से थोड़ा पहले ही अधिकारियों को शेयर अलॉट किए हैं. कंपनी के अधिकारियों को खबरों की बेहतरीन सुर्खियां हासिल करने के लिए इनाम दिया गया है. जबकि, दवा आने की कोई गारंटी नहीं है. (फोटोः गेटी)
कुछ कंपनियों ने अपनी मार्केटिंग के लिए सरकार के वैक्सीन अभियान वार्प स्पीड से जुड़े होने का दावा किया है. सरकार इस दावे की जांच कर रही है. उदाहरण- वैक्सार्ट कंपनी ने दावा किया है कि कोविड-19 वैक्सीन को अमेरिकी सरकार के ऑपरेशन वार्प स्पीड के लिए चुना गया है. (फोटोः गेटी)
लेकिन सच्चाई ये है कि वैक्सार्ट की वैक्सीन को बंदरों के ट्रायल में शामिल किया गया है. वैक्सार्ट उन कंपनियों में शामिल नहीं है जिन्हें वैक्सीन की करोड़ों डो़ज बनाने के लिए सरकार से पैसा मिल रहा है. (फोटोः गेटी)
अमेरिकी सरकार ने ऐसी कंपनियों के नाम सिक्योरिटीज और एक्सचेंज कमीशन को दे दी है. कोरोना वायरस वैक्सीन और इलाज पर हो रही रिसर्च से भारी फायदा उठाने वाली कंपनियों की सूची लंबी है. (फोटोः गेटी)
बायोटेक कंपनी रीजेनेरॉन के शेयर फरवरी में कोविड-19 के इलाज में स्वास्थ्य विभाग से सहयोग की घोषणा के बाद 80 फीसदी बढ़ गए थे. उसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने करीब 5200 करोड़ रुपए के शेयर बेच डाले. सीईओ लियोनार्ड स्कीलफर ने एक दिन 1330 करोड़ के शेयर बेचे थे. (फोटोः गेटी)
10 साल से वैक्सीन बना रही कंपनी मॉडर्ना ने जनवरी में कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम करने का ऐलान किया. उसने वैक्सीन की प्रगति के संबंध में कई समाचार दिए. उसके शेयरों के मूल्य तीन गुना तक बढ़ गए. उसका बाजार मूल्य 2.24 लाख करोड़ रुपए हो गए. मॉडर्ना से जुड़े लोगों ने 1850 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)