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कोरोना

कोरोना पर 10 सबसे बड़े सवाल, जानें- AIIMS डायरेक्टर के जवाब

aajtak.in
  • 16 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 9:42 AM IST
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देशभर में कोरोना को लेकर खतरा मंडरा रहा है. सरकार ने भी इसके संक्रमण को रोकने के लिए तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया है. लोगों के मन में कोरोना को लेकर कई सवाल आ रहे हैं. जैसे कोरोना का टेस्ट कब कराना चाहिए. घर पर एसी चलाना है या नहीं, आप फ्रंटलाइन वॉरियर्स हैं तो क्या करें, घर से बाहर जाते हैं तो क्या करें, कोरोना का इलाज क्या है, कौन सी ड्रग फायदेमंद है आदि. आजतक ने डॉ रणदीप गुलेरिया से ऐसे ही सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवालों पर उनका जवाब जाना. आप भी पढ़ें.

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1- बीसीजी वैक्सीन अगर फायदेमंद है तो क्या इसे बुजुर्गों को फिर से दिया जा सकता है?

डॉ गुलेरिया ने कहा कि बीसीजी पर जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी रिसर्च में पाया गया है कि जिस कंट्री में बीसीजी वैक्सीन का टीका दिया जा रहा है, वहां केस कम है.  लेकिन असल में इसका कॉज या इफेक्ट समझ नहीं आ रहा है.वैसे इसका साइंटिफिक डेटा भी है कि क‍ि कई बीमारियों में इससे फायदा होता है. लेकिन बुजुर्गों को फ‍िर से देना चाहिए, इस पर कोई डेटा नहीं है. वैसे देश के अध‍िकतम भारतीयों को बीसीजी का टीका लग चुका है.

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2- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कौन ले सकता है, कितनी असरदार है?

अभी इस पर अभी बहुत गुड क्वालिटी स्टडी नहीं आई है. बीते दिनों भी कई एक्सपर्ट में चर्चा हुई थी कि इसे दिया जाए या न जाए. लेकिन ये सोचा गया कि चू‍ंकि ये ड्रग काफी दिनों से दे रहे हैं इसलिए दूसरे ड्रग की तुलना में ये तुलनात्मक सेफ है. लेकिन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन देने में ये ध्यान रखा जाए कि जिन मरीजों को हम मॉनिटर कर रहे हैं, उन्हें ही ये ड्रग दे सकते हैं. खासकर अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों या हेल्थ केयर वर्कर्स को ये दिया जा सकता है. जो लगातार मॉनिटरिंग में रहें. जिन पर इसका असर परखा जा सके.

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3- जो पहले से बीमार है, उसके लिए कोरोना कितना खतरनाक है?

अगर कोरोना से मृत्युदर का आंकड़ा देखा जाए तो सामने आता है कि 50 से कम उम्र में मृत्युदर 1 प्रतिशत से भी कम है. लेकिन जिनमें comorbidity यानी एक से ज्यादा बीमारियां जैसे टीबी, एचआईवी है, शुगर या फेफड़े से जुड़ी समस्या है तो उनका आईसीयू एडमिशन और डेथ रेट ज्यादा है. बुजुर्ग और comorbidity वालों काे खासतौर पर प्रोटेक्ट करने की जरूरत है. उन्हें हरहाल में घर में ही रहना है, बाहर नहीं जाना है. सोसायटी वालों को आगे आकर उनकी हेल्प करनी चाहिए ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े.

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4- हमारी इम्यूनिटी स्ट्रांग है या नहीं इसे पता करने का तरीका है क्या?

आपकी इम्यूनिटी ए प्लस है या ए माइनस, इसे तय करने का कोई मानक नहीं है. ऐसा कोई टेस्ट नहीं है. अगर आपको कोविड इनफेक्शन है तो 80 से 90 प्रतिशत संक्रमण है तो आप जब ठीक हो जाएंगे तो आपमें इसकी एंटीबॉडीज बन जाएंगी.

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5- क्या AC में रहने से ज्यादा खतरा बढ़ जाता है?

डॉ गुलेरिया कहते हैं कि अगर घर में विंडो एसी है तो हवा कमरे में ही रहेगी बाहर नहीं जाएगाी. लेकिन अगर ऑफिस या घर में सेंट्रल एसी है तो अगर दूसरे कमरे में या ऑफिस में कोई खांस रहा है तो एसी से ड्रॉपलेट के जरिये संक्रमण फैल सकता है. घर में एसी चलाने से डरने की बात नहीं है. अस्पतालों में भी सेंट्रल एसी से बदलकर विंडो एसी लगा रहे हैं.

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6- क्या कोरोना का शरीर के दूसरे अहम अंगों पर भी असर पड़ता है?

डॉ गुलेरिया ने कहा कि हालिया स्टडी में सामने आया है कि कोरोना के हर पांच में से एक मामले में दिल को नुकसान पहुंचाने के संकेत दिखे हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस फेफड़ों पर ही नहीं दिल पर भी अटैक करता है. डॉ गुलेरिया ने कहा कि तमाम देशों से जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उससे वायरस के अलग-अलग प्रभाव के बारे में पता चलता है.


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7- कोरोना के शरीर के विभिन्न अंगों पर क्या लक्षण दिखते हैं?

आम मरीजों की पहले ये निमोनिया जैसी हालत करता है. मरीज में खांसी-जुकाम के लक्षणों के साथ ऑक्सीजन की कमी होती है. लेकिन 30 प्रतिशत मरीजों में ये मायोकार्डिटिस (Myocarditis) के लक्षण भी देता है. इससे हार्ट की मांसपेशि‍यों और उसके इलेक्ट्रि‍कल सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है. इससे हृदय गति पर असर पड़ता है. हार्ट की फंक्शनिंग पर असर पड़ने से कई बार पंपिंग एकदम कम हो जाती है, इससे पता ही नहीं चल पाता और कई मामलों में मरीज की अचानक मौत हो जाती है. इसलिए कुछ कोरोना मरीजों में जिनमें हृदय को लेकर लक्षण आ रहे हैं, उनमें हार्ट मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है.

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8- क्या कोरोना वायरस हवा में रहता है?

वैज्ञानिकों का विचार है कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से ड्रॉपलेट यानी लार से होने वाला इनफेक्शन है. ये ड्रॉपलेट किसी सरफेस में सेटल कर सकते हैं. कुछ स्टडी में ये भी आया कि कुछ माइक्रो पार्टिकल हवा में एअरोसॉल की तरह रह सकते हैं लेकिन इसका डेटा ज्यादा नहीं है. फिर भी हमें बचकर रहना चाहिए. सरकार ने भी कहा है कि हमें मुंह ढककर रखना चाहिए, फिर वो मास्क हो या साफ कपड़ा, किसी से भी मुंह को ढककर रखें, इससे आगे ड्रॉपलेट नहीं जाएंगे. ये संदेह पिछले दिनों में आया इसलिए हमें मास्क डालकर जाना चाहिए ताकि चेन ऑफ ट्रांसमिशन को तोड़ सकें.

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9- फ्रंटलाइन वॉरियर्स हैं या ऑफिस-बाजार जाते हैं तो घर आकर क्या करें?

फ्रंट लाइन वॉरियर्स जैसे डॉक्टर-नर्स, मीडिया, पुलिसकर्मी, हॉकर्स, सफाईकर्मी जो भी अपनी सेवाएं बाहर जाकर दे रहे हें तो उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. वो सबसे पहले घर आकर अच्छी तरह हाथ धोएं. इसमें कम से कम 20 से 30 सेकेंड लगाएं जिससे उंगली अंगूठे सभी को अच्छे से साफ करें. अपने जूते पहले से ही बाहर निकाल दें. फिर साबुन से नहा लें. कपड़े आम तरीके धो सकते हैं क्योंकि जब धूप में सुखाएंगे तो वायरस अपनेआप खत्म हो जाएगा.

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10- कोरोना के इलाज में कितनी कारगर है प्लाज्मा थ्योरी?

एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि प्लाज्मा थ्योरी पुरानी ट्रीटमेंट थेरेपी है. इसे पहले भी कई आउटब्रेक यानी महामारियों जैसे इबोला और पोलियाे में भी इस्तेमाल किया गया. डॉ गुलेरिया बताते हैं कि अगर किसी एक व्यक्त‍ि को कोरोना वायरस होता है तो 80 से 90 पर्सेंट मरीजों में ये ठीक हो जाएगा. अब अगर व्यक्त‍ि कोरोना से बिल्कुल ठीक हो जाता है. उसकी दो तीन ब्लड रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती हैं तो वो व्यक्त‍ि इलाज के लिए ब्लड डोनेट करे तो इससे आईसीयू में भर्ती गंभीर रोगी की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि ज‍िस व्यक्त‍ि को एक बार कोरोना हो जाता है इलाज के बाद उसके रक्त में एंटीबॉडीज आ जाएगी. डॉ गुलेरिया ने बताया कि अब उसके ब्लड से प्लाज्मा न‍िकालकर वो कोरोना पेशेंट को दिया जाए तो वो उसे ठीक होने में हेल्प करेगा. इस तरह ठीक हो गए पेशेंट से बीमार को देकर उसे ठीक कर सकते हैं.

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