कोरोना वायरस के इलाज को लेकर पूरी दुनिया में खोजबीन जारी है. इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का एक ऑब्जरवेशन सामने आया है, जो एक खुशखबरी साबित हो सकता है. अगर यह तरीका सफल हो जाए तो इससे कोरोना को रोकने में मदद मिल सकती है. (फोटोः रॉयटर्स)
ICMR के नेशनल चेयर और एम्स के पूर्व डीन नरिंदर मेहरा ने बताया कि भारत, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका जैसे देशों में टीबी (TB) का प्रकोप बहुत ज्यादा रहा है. यहां बचपन में ही BCG का इंजेक्शन दिया जाता रहा है. इसी वजह से ऐसे देशों में कोरोना का असर कम देखने को मिल रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
नरिंदर मेहरा ने कहा कि यह एक ऑब्जरवेशन है. BCG वैक्सीन के जरिए कोरोना का इलाज या रोकथाम संभव है कि नहीं इसके लिए अध्ययन करना पड़ेगा. BCG का इंजेक्शन टीबी के लिए भले दिया गया हो लेकिन इससे क्रॉस इम्यूनिटी हो सकती है. यानी इसकी वजह से कोरोना वायरस को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)
सवाल उठता है कि क्या कोरोना में किसी एंटीबायोटिक का रोल है? क्रॉस इम्यूनिटी का सबसे बेहतर उदाहरण है BCG Vaccination. एक स्टडी में यह पाया गया कि बीसीजी वैक्सीनेशन से न केवल इंफेक्शन कम हो जाता है बल्कि मृत्यु दर भी कम होता है. (फोटोः रॉयटर्स)
नरिंदर मेहरा ने बताया कि Obseratvion बताता है पश्चिमी यूरोप और अमेरिका जैसे वो देश जिन्होंने BCG vaccination नहीं कराया वहां, संक्रमण का दर बहुत ज्यादा है. इसकी वजह से वहां मौतें भी ज्यादा हो रही हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
इंडिया, अफ्रीका साउथ, लैटिन अमेरिका में BCG vaccination काफी सालों से किया जा रहा है. अगर हम इसकी तुलना करें तो हो सकता है बीसीजी वैक्सीनेशन की वजह से क्रॉस इम्यूनिटी विकसित हो जाए. (फोटोः रॉयटर्स)
नरिंदर मेहरा बताते हैं कि आमतौर पर वायरस इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक्स का रोल नहीं होता लेकिन एक फ्रेंच स्टडी में पाया गया कि कुछ को Hydroxychloroqine दिया गया और कुछ को Hydroxychloroqine के साथ एंटीबॉयोटिक ajithromaysin दिया गया. देखा गया कि वायरल लोड पर इसका क्या असर पड़ा. (फोटोः रॉयटर्स)
पहले ग्रुप में जिसमें एंटीबायोटिक नही थी उसमें वायरल लोड पर असर कम हुआ. जबकि दूसरे ग्रुप में जिसमें एंटीबायोटिक दी गई थी, उसमें बहुत तेजी से वायरल लोड कम हुआ. (फोटोः रॉयटर्स)
अब आने वाला समय बताएगा कि एंटीबायोटिक्स का रोल है कि नहीं? एंटीबॉयोटिक ज्यादातर बैक्टीरियल इन्फेक्शन में काम आती हैं. वॉयरल इन्फेक्शन में नहीं. भारत मे कई बार निमोनिया में ajithromysin देते हैं. अगर इसके बाद Covid-19 की दवा दें तो फर्क पड़ सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)