बिहार के सीतामढ़ी में बड़े पैमाने पर रैपीड एंटीजन टेस्ट के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा हुआ है. खासकर उन लोगों के सरकारी आंकड़ों में जिनका कोविड-19 सैंपल टेस्ट हो चुका है. जांच में सिर्फ तीन प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्र में 30 हजार लोगों के मोबाइल नंबर फर्जी मिले हैं. उनके मोबाइल नंबर की जगह 0000000000 और 1111111111 लिखा है. ये कोरोना जांच किट घोटाला सामने आने से जिले में हड़कंप मच गया है.
सीतामढ़ी के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच के नाम पर बड़े पैमाने पर घोटाला किया है. स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच के फर्जी आंकड़े भी उपलब्ध कराए हैं. कोरोना जांच को लेकर बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है. आरोप है कि जिले में कोरोना जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग के महकमे के सिविल सर्जन राकेश चंद्र सहाय वर्मा अपनी पीठ थपथपाते रहे. यही नहीं बगैर जांच के ही उन्होंने कोरोना जांच के नाम पर बड़े-बड़े आंकड़े उपलब्धि के तौर पर दिखाए. जानकारी के मुताबिक, सीतामढ़ी के सिर्फ 3 प्रखंडों रुनीसैदपुर, डुमरा, रीगा स्वास्थ्य केंद्रों से जो दस्तावेज हाथ लगे हैं उसमें 30000 लोगों के नाम के फर्जी मोबाइल नंबर मिले हैं जिनमें 0000000000 और 1111111111 अंकित है.
दावा किया गया था कि जिले में कुल 3 लाख 63 हजार कोरोना जांच हुई. सिर्फ तीन प्रखंडों के लिए गए आंकड़े के मुताबिक, तकरीबन 30 हजार लोगों के गलत आंकड़े दिए गए हैं. इसके मुताबिक, 2 करोड़ 80 लाख के किट की हेराफेरी हुई है. जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के आंकड़े लेने पर 1 लाख से भी अधिक फर्जी कोरोना जांच के आंकड़े आने का अनुमान है. कोरोना एंटीजन किट की कीमत शुरुआती समय में 3500 के आसपास थी लेकिन बाद में किट की कीमत बाजार में 900 रूपये हो गई. पूरे जिले में अगर 1 लाख फर्जी कोरोना जांच हुई है तो एक किट की कीमत 900 रुपये से 9 करोड़ 33 लाख होती है. कुल मिलाकर जिले में जितने प्राथमिक और अति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं सभी में कोरोना जांच में घोटाला बड़े पैमाने पर किया गया है.
उदाहरण के तौर पर डुमरा के रहने वाले आनंद विहारी सिंह जिनका नाम कोरोना जांच कराने वालों की सूची में है. रुन्नीसैदपुर प्रखण्ड के मोरसंड गांव में अंकित है. उन्होंने खुद सामने आकर बताया कि वह अपने जीवन में कभी मोरसंड गए ही नहीं. उन्होंने अपनी कोरोना जांच दो बार करवाई है. पहली बार उन्होंने रीगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में और दूसरी बार डुमरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकिन रुन्नीसैदपुर के मोरसंड में भी उनके नाम के साथ उनका मोबाइल नंबर दर्ज है. यानी उन्होंने सिर्फ दो बार कोरोना जांच करवाई लेकिन सरकारी आंकड़ों में तीन बार उनका नाम कोरोना जांच कराने वालों की सूची में है.
ऐसे हजारों लोगों के नाम फर्जी तरीके से कोरोना जांच कराने वालों की सूची में दो बार या तीन बार लिखे गए हैं. रुन्नीसैदपुर प्रखंड में रैपिड एंटीजन किट घोटाले के बारे में जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी अमृत किशोर से पूछा गया तो उन्होंने इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने नंबर उपलब्ध नहीं कराए इसकी वजह से ऐसा हुआ है. दूसरी ओर राजद के प्रदेश महासचिव और पूर्व सांसद अर्जुन राय ने भी संवाददाता सम्मेलन कर जांच घोटाले पर सरकार और प्रशासन को घेरा है.