पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर जारी है तो वहीं ये ब्राजील में भी दस्तक दे चुका है. इसकी वजह से अभी तक 486 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं कोरोना वायरस से अभी तक 11,000 से अधिक लोग संक्रमित हैं. वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा कि हमें डर है कि कोरोना वायरस ब्राजील में स्वदेशी समुदायों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
बताया जा रहा है कि शुरुआत में इस महामारी की शुरूआत साउ पाउलो के औद्योगिक राज्य से हुई थी लेकिन अब ये वायरस पूरे देश में फैल गया है. तो वहीं ब्राजील के स्वदेशी समुदाय में कोरोना वायरस का पहला मामला अमेजन इलाके में ही पाया गया था.
माना जा रहा है कि समुदाय के बुजुर्गों को वायरस से मरने का खतरा सबसे अधिक है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह 'अराजकता' का कारण बनेगा क्योंकि बुजुर्ग ज्ञान और सामाजिक संगठन प्रदान करते हैं. कुछ समुदाय इस प्रकोप से निपटने के लिए छोटे समूहों में टूट रहे हैं.
फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ साओ पाउलो की शोधकर्ता डॉक्टर सोफिया मेंडोंका ने बीबीसी न्यूज को बताया, 'देशी समुदायों में वायरस के फैलने और उनके समुदाय को मिटने का खतरा बहुत ज्यादा है. ये कुछ ऐसा है कि हर कोई बीमार हो जाता है, और आप सभी पुराने लोगों को खो देते हैं, इसके साथ उनकी बुद्धि और सामाजिक संगठन भी. यही अराजकता है.'
1960 के दशक में यानोमामी समुदाय में खसरे का प्रकोप फैला था इस बीमारी की वजह से 9 फीसदी लोग मारे गए थे. वहीं कोरोना वायरस की महामारी के समय भी इस समुदाय पर खतरा मंडरा रहा है. डेली मेल के मुताबिक कई समुदायों के पास साबुन और पानी से अपने हाथ धोने के लिए आवश्यक सुविधाएं तक नहीं हैं और अधिकांश के पास चिकित्सा देखभाल तक पहुंच नहीं हैं, जिसकी वजह से समस्या और भी ज्यादा है.
समुदायों के सदस्यों से कहा गया है कि वे खाने के बर्तनों को साझा करना बंद करें और बग से संक्रमित होने वाले लोगों को अलग करें. लेकिन कई समूह पहले से ही स्वैच्छिक अलगाव से डरते हैं.
फेडरेशन ऑफ इंडिजिनस ऑर्गनाइजेशन ऑफ रियो नीग्रो (फ़ॉइर्न) के अध्यक्ष मारिवेल्टन बेरे ने कहा कि कुछ स्थानीय समुदाय 'दहशत में' हैं. हमें खुद उनकी मदद करनी होगी इसके लिए हमें भोजन को गांवों में ले जाना होगा ताकि संक्रमण के माहौल में बाहर न आना पड़े.
स्वदेशी समुदाय के एक गंभीर रूप से बीमार रोगी को वेंटिलेटर वाले अस्पताल तक पहुंचने के लिए नाव से 1,000 किमी की यात्रा करनी होगी. स्वदेशी स्वास्थ्य (सेसई) के लिए विशेष सचिवालय के लिए काम करने वाली एक नर्स का कहना है कि कर्मचारियों के पास पर्याप्त सुरक्षात्मक मास्क और उपकरण नहीं हैं और उनके पास गांवों में कोरोना वायरस के मामलों से निपटने के लिए कोई परीक्षण केंद्र भी नहीं है.