उनकी उम्र 100 साल थी. लेकिन यह बात पिछले साल की है जब उनकी उम्र एक साल कम यानी 99 थी. उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी ओर से मदद करने का फैसला किया. उनका प्रयास इतना रंग लाया कि बहुत कम वक्त में 387 करोड़ रुपये जमा हो गए. उन्होंने यह पैसा ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के हवाले कर दिया. लेकिन खुद मंगलवार को इस शख्स की मौत हो गई. इनका नाम है- सर टॉम मूरे. मूरे के निधन पर ब्रिटेन के आम और खास लोगों के बीच शोक की लहर दौड़ गई. मूरे पिछले महीने कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. आइए जानते हैं कैसे सर टॉम मूरे पिछले साल पूरी दुनिया में चर्चा में आ गए थे...
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सर टॉम मूरे ब्रिटेन की सेना के रिटायर्ड अफसर (कैप्टन) थे. उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन पिछले साल जब उन्होंने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 387 करोड़ रुपये जुटा लिए तो वह देश के राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर देखे जाने लगे. मूरे को कोरोना वैक्सीन इसलिए नहीं लगाई गई थी क्योंकि वे न्यूमोनिया की दवा ले रहे थे.
मूरे की बेटी इन्ग्राम ने पिता के वाक करने का वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया था और फिर ऑनलाइन फंड जुटाने के लिए कैंपेन शुरू किया गया. ब्रिटेन के प्रिंस विलियन ने भी इस दौरान चंदा दिया था और मूरे को 'वन मैन फंड रेजिंग मशीन' बताया था. बाद में तमाम प्रमुख टीवी चैनलों ने मूरे के वाक को प्रसारित किया था और वे देश के लोगों को हौसला देने वाले प्रतीक बन गए थे.
कोरोना से लड़ाई के लिए पैसे जुटाने की खातिर मूरे ने पिछले साल अप्रैल में अपने घर के बगीचे में 100 चक्कर लगाए थे. अपनी खराब तबीयत के बावजूद उन्होंने ऐसा किया था. एक बार में वह 82 स्टेप ही चल पा रहे थे. मूरे लंदन के पास एक गांव में रहते थे.
मूरे के निधन पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने उन्हें वास्तविक अर्थ में दुनिया का हीरो बताया है. जॉनसन ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध में देश की आजादी के लिए लड़ने के बाद देश के सबसे गहरे संकट के वक्त मूरे ने हमें एकजुट करने का काम किया. बता दें कि मूरे पिछले पांच साल से प्रोस्टेट और स्किन कैंसर से जूझ रहे थे.