मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में बेतवा मुक्तिधाम में शव जलाने जगह कम पड़ने लगी तो अस्थाई घाट बनाया उसका नाम रखा भोर श्मशान घाट, जहां शहर के चार युवा एक महीने से संक्रमितों की चिता को जला रहे हैं. रिश्ता तो उनका घर का है नहीं लेकिन वह सगे से कम नहीं हैं क्योंकि चिता को आग कोई अपना ही देता है. यह चारों युवा अब तक 170 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. (विदिशा से विवेक ठाकुर की रिपोर्ट)
इसी बीच 170 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है इनमें से 10 मृतकों के परिजन अस्थियां लेने नहीं आए हैं. ऐसे में इन अस्थियों को टीम सदस्यों ने स्वयं प्रयागराज जाकर इन्हें विसर्जित करने का मन बना लिया है क्योंकि इन 10 लोगों की अस्थियां पिछले 20 दिन से कोई इनके परिजन लेने नहीं आए. इन चारों युवाओं ने उन अस्थियों को कलश में सुरक्षित रखा है.
इस कोरोना महामारी में इंसान सब कुछ देख रहा है जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की. मौत की ऐसी दहशत और डर की अंतिम संस्कार होने के बावजूद भी लोग अपनों की अस्थियां उठाने तक नहीं आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला जिला प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी के चलते अस्थाई श्मशान भोर घाट में देखने को मिल रहा है जहां पर 10 लोगों की अस्थियां पिछले 20 दिन से अपनों का इंतजार कर रही हैं.
एक समय था जब लोग अपने परिजनों की अस्थियां लेकर बहुत सेवा भाव से प्रयागराज ले जाते थे पर आज इन अस्थियों को परिजन देखने तक नहीं आ रहे. इस कोरोना महामारी ने अपनों को अपनों से दूर कर दिया. अब इस श्मशान घाट पर कार्य करने वाले सेवाभावी यह चार युवा प्रयागराज में जाकर अस्थि विसर्जन की तैयारियां कर रहे हैं. इन सेवाभावी युवाओं की टीम ने अस्थियों को कलश में सुरक्षित रखा है.
ऐसे हालातों में अब यह युवा सेवाभावी की टीम के चार लोग हैं और यह चारों अब तक सामान्य एवं कोरोना वायरस के 170 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं लेकिन इनमें से अभी तक 10 मृतकों के परिजन अस्थियां लेने नहीं आए हैं. ऐसे में इन अस्थियों को टीम सदस्यों ने स्वयं प्रयागराज जाकर इन्हें विसर्जित करने का मन बना लिया है.