कोरोना वायरस कहां से फैला, इस बात को लेकर अब तक कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आ सकी है. ज्यादातर वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि यह वायरस प्राकृतिक रूप से फैला, वहीं इस बात पर संदेह है कि लोग पहली बार Covid-19 से कैसे संक्रमित हुए. कोरोना वायरस को कुछ लोग किसी साजिश का नतीजा भी बता रहे हैं.
ब्रिटेन में लोगो के बीच कोरोना वायरस और 5G वायरलेस तकनीक के लिंक की खबरें फैल रही हैं और लगभग एक तिहाई लोग इन बातों को खारिज नहीं करते हैं.
वहीं अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल एक तिहाई अमेरिकियों का मानना है कि Covid-19 कुछ लोगों द्वारा लैब में पैदा किया गया था.
प्यू ने के इस सर्वे में अमेरिका के 8,914 लोग शामिल हुए. सर्वे में चार प्रश्न पूछे गए थे. इनमें पहला पहला प्रश्न था कि क्या कोरोना वायरस स्वाभाविक तरीके से आया था? दूसरा प्रश्न था कि क्या इसे जानबूझकर लैब में पैदा किया गया था?
तीसरा प्रश्न था कि क्या यह वायरस लैब में गलती से बन गया था? और चौथा और आखिरी प्रश्न था कि यह वायरस वास्तव में जिंदा है या नहीं?
सर्वे में शामिल 43 फीसदी लोगों का मानना था कि Covid-19 नेचुरल तरीके से आया है. वहीं 10 में से हर तीसरे व्यक्ति (लगभग 29 फीसदी) लोगों का मानना था कि इसे लैब में बनाया गया है.
23 फीसदी लोगों का मानना था कि यह वायरस लैब में जानबूझकर बनाया गया था. जबकि एक फीसदी लोगों का मानना था कि यह वायरस जिंदा नहीं है.
लैब में साजिश की थ्योरी पर भरोसा करने वालों में सबसे ज्यादा रिपब्लिकन पार्टी या या उनकी तरफ झुकाव वाले (37 फीसदी) लोग थे वहीं 21 फीसदी लोग डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ झुकाव वाले थे.
रिसर्च से यह बात भी पता चली कि वयस्कों की तुलना में वहां के युवा कोरोना वायरस की साजिश वाली थ्योरी पर ज्यादा यकीन करते थे.
65 या उससे ऊपर के आयु वर्ग वाले 21 फीसदी लोगों की तुलना में 18 से 29 वर्ष की आयु के लगभग एक तिहाई युवाओं का कहना था कि कोरोना वायरस साजिश के तहत लैब में विकसित किया गया.