अमेरिका के प्रख्यात कोरोना वायरस विशेषज्ञ एंथनी फाउची ने खुलासा किया है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी और एक लिफाफे में 'सफेद पाउडर' भी भेजा गया था. फाउची ने बताया कि उन्हें लगा था कि वे मर जाएंगे. फाउची ने यह खुलासा तब किया है जब डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति का पद छोड़े कुछ ही दिन हुआ है. अमेरिकी सरकार के कोरोना टास्कफोर्स के अहम सदस्य होने के बावजूद ट्रंप फाउची को पसंद नहीं करते थे और उनकी राय को महत्व नहीं देते थे.
न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में एंथनी फाउची ने कहा- जान से मारने की धमकी देने वाले लोग जानते थे कि मेरे बच्चे कहां काम करते हैं और कहां रहते हैं. ये धमकियां बच्चों के फोन पर ही आया करती थीं. फाउची ने इससे पहले भी बताया था कि ट्रंप से अलग विचार रखने की वजह से उन्हें धमकियां मिलीं.
बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद फाउची ने कहा कि उन्हें आजादी महसूस हो रही है. फाउची ने कहा कि विज्ञान और वैज्ञानिक एक्सपर्ट्स की बातें सुनने की जगह ट्रंप अपने व्यापारिक दोस्तों की बातें सुनना अधिक पसंद करते थे. बता दें कि 80 साल के फाउची अब तक अमेरिका के 7 राष्ट्रपति के साथ काम कर चुके हैं और उन्हें अमेरिका का सबसे भरोसेमंद संक्रामक रोग विशेषज्ञ भी कहा जाता है.
ट्रंप ने बिना ठोस सबूत के कोरोना मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा देने की वकालत की थी. फाउची ने ट्रंप के कार्यकाल को लेकर कहा कि बात सिर्फ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की नहीं है, बल्कि कई और दवाओं को लेकर यही रुख अपनाया गया था. फाउची ने कहा कि कई बार जब वे कोई बयान देते थे तो ट्रंप का फोन आता था और राष्ट्रपति उनसे कहते थे कि आप थोड़े और पॉजिटिव क्यों नहीं हैं, आपको पॉजिटिव एटीट्यूड रखना होगा.
फाउची ने बाइडेन सरकार को लेकर कहा है कि नए प्रशासन में एक नई बात यह हुई है कि अगर आपको किसी सवाल का जवाब नहीं पता तो बिना अंदाजा लगाए आप कह सकते हैं कि 'जवाब नहीं पता है'. फाउची से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने ट्रंप के कार्यकाल में कभी इस्तीफा देने के बारे में सोचा था तो उन्होंने जवाब दिया- 'नहीं, कभी नहीं. कभी नहीं.'