भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (Indian Space Research Organisation- ISRO) के महत्वकांक्षी मिशन गगनयान कोरोना वायरस की वजह से थम गया है. अब यह मिशन तब तक आगे नहीं बढ़ेगा जब तक रूस में कोरोना की वजह से लगा लॉकडाउन खत्म नहीं होता. भारतीय अंतरिक्षयात्री रूस में गगनयान को लेकर ट्रेनिंग ले रहे हैं. (फोटोः इसरो)
इसरो ने भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के साथ मिलकर चार पायलटों को चुना था. इन पायलटों को एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया था. इन सभी चारों पायलटों की ट्रेनिंग रूस के यूरी ए. गैगरीन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में हो रही थी. (फोटोः इसरो)
भारतीय वायुसेना ने बताया कि मॉस्को के पास स्थित यह ट्रेनिंग सेंटर अभी कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण बंद कर दिया गया है. इन पायलटों में तीन पायलटों को ट्रेनिंग के बाद गगनयान में भेजा जाएगा. (फोटोः इसरो)
भारतीय वायुसेना के इन चारों जाबांजों की करीब एक साल की ट्रेनिंग होगी. इन्हें रूस में ट्रेनिंग खत्म करने के बाद वापस बेंगलुरू आकर भी ट्रेनिंग करनी होगी. (फोटोः इसरो)
गगनयान मिशन के तहत ISRO तीन अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा कराएगा. इन अतंरिक्षयात्रियों को सात दिन के लिए पृथ्वी की लो-ऑर्बिट में चक्कर लगाना होगा. इस मिशन के लिए ISRO ने भारतीय वायुसेना से अंतरिक्षयात्री चुनने के लिए कहा था. (फोटोः इसरो)
दिसंबर 2021 में इसरो तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजेगा. उससे पहले दो अनमैन्ड मिशन होंगे. ये दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में किए जाएंगे. इन दोनों मिशन में गगनयान को बिना किसी यात्री के अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. (फोटोः इसरो)
इसके बाद दिसंबर 2021 में मानव मिशन भेजा जाएगा. इस पूरे मिशन की लागत 10 हजार करोड़ रुपए है. गौरतलब है कि देश के पहले अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा 2 अप्रैल 1984 में रूस के सोयूज टी-11 में बैठकर अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे. (फोटोः इसरो)
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्षयात्रियों के खाने का मेन्यू भी सामने आया था. जिसमें एग रोल, वेज रोल, इडली, मूंग दाल हलवा और वेज पुलाव शामिल थे. यह खाना मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च इंस्टीट्यूट के द्वारा तैयार किया जा रहा है. (फोटोः इसरो)
अंतरिक्ष में खाना गर्म करने के लिए ओवन की व्यवस्था भी डीआरडीओ ही कर रहा है. अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पानी और जूस के साथ-साथ लिक्विड फूड की भी व्यवस्था रहेगी. ये सभी एस्ट्रोनॉट्स करीब सात दिनों तक पृथ्वी से 450 किलोमीटर ऊपर गगनयान में रहेंगे. (फोटोः इसरो)