दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में असरदार दवाइयों और इलाज की खोज जारी है. तमाम परीक्षणों में रेमडेसिवीर दवा भी कोरोना वायरस के खिलाफ शुरुआती बचाव में असरदार दिख रही है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) का कहना है कि वह कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में रेमडेसिवीर दवा का उपयोग करने पर विचार करेगी. हालांकि, इसका निर्णय तभी लिया जा सकेगा, जब घरेलू कंपनियां इस दवा का उत्पादन करें.
ICMR के प्रमुख वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने कहा, 'एक स्टडी के शुरुआती डेटा से पता चलता है कि यह दवा प्रभावी है. हम WHO के नतीजों का इंतजार करेंगे और यह भी देखेंगे कि क्या कुछ कंपनियां भी इस पर आगे काम कर सकती हैं.'
रेमडेसिवीर दवा का इस्तेमाल इबोला के प्रकोप के दौरान किया गया था. अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी Gilead ने रेमडेसिवीर दवा पर एक स्टडी कराई थी. स्टडी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती कोरोना के 53 गंभीर मरीजों पर इसका क्लीनिकल परीक्षण किया गया था और 36 मरीजों में इस दवा से काफी सुधार देखने को मिला.
Gilead के सीईओ डैनियल ओडे ने लिखा, 'रेमडेसिवीर से उपचार पर अभी जांच जारी है और दुनिया में कहीं भी इसके उपयोग के लिए अभी मंजूरी नहीं दी गई है. यह पता लगाने की भी कोशिश की जा रही है कि यह दवा कितनी सुरक्षित और प्रभावी है.'
ओडे ने कहा कि विभिन्न संदर्भों में यह दवा कैसे काम करती है, इसके बारे में पता लगाने के लिए दुनिया भर में कई क्लीनिकल परीक्षण किए जा रहे हैं.
Covid-19 से अमेरिका, एशिया और यूरोप के सबसे ज्यादा संक्रमित क्षेत्रों में Gilead तीसरे चरण का परीक्षण कर रहा है.
कंपनी के अनुसार, एक परीक्षण कोरोना के गंभीर संक्रमण वाले मरीजों के लिए है और दूसरा सामान्य लक्षण वाले मरीजों के लिए है.
स्टडी में इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या Covid-19 की उपचार अवधि दस से पांच दिनों तक कम हो सकती है.
Gilead ने कहा कि अगर यह तीनों चरण के परीक्षण में सफल हो जाती है, तो उपयोग के लिए इसकी दस लाख डोज देने की पेशकश की जाएगी.
आम लोग इस दवा की कीमत को लेकर चिंतित हैं. फरवरी के महीने में चीन में इस दवा का क्लीनिकल परीक्षण किया गया था और उस समय यह अनुमान लगाया जा रहा था कि Gilead एक ट्रीटमेंट कोर्स का 260 डॉलर( 19,815 रूपए) ले सकता है. हालांकि अमेरिका में इसकी कीमत अब ज्यादा हो सकती है.